देहरादून: विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले (uttarakhand assembly backdoor recruitment) में बर्खास्त 228 कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन (228 dismissed employees protest in dehradun) तीसरे दिन भी जारी रहा. विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे कर्मचारियों को जब पुलिस जबरन उठाने लगी तो इसका प्रदर्शनकारियों ने विरोध जताया. इस बीच उनकी पुलिस के जबरदस्त झड़प भी हुई. वहीं, इस दौरान दो महिलाकर्मी बेहोश हो गईं. पुलिस ने दोनों महिलाओं को कोरोनेशन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया और बाकी प्रदर्शनकारियों को वहां से उठाकर एकता विहार स्थित धरना स्थल छोड़ दिया.
उधर, पुलिस की इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारियों में आक्रोश बढ़ गया. बर्खास्त कर्मचारी एकता विहार से पैदल मार्च निकालते हुए कोरोनेशन अस्पताल में धरना देने पहुंचे. वहां एसडीएम ने कर्मचारियों से बातचीत की. प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम से पुलिस की कार्रवाई का विरोध जताया और जिला प्रशासन से आग्रह किया कि उन्हें विधानसभा भवन के बाहर धरना देने की परमिशन दी जाए. हालांकि, एसडीएम से वार्ता के बाद बर्खास्त कर्मचारियों ने कोरोनेशन अस्पताल में धरना स्थगित कर दिया. इसी बीच कोरोनेशन अस्पताल में उपचार ले रही दोनों प्रदर्शनकारी महिलाओं को छुट्टी दे दी गई है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनके साथ न्याय नहीं होता है तब तक उनका प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा.
दरअसल, विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों का विधानसभा के पास बेमियादी धरना बुधवार को भी जारी है. धरने पर बैठे कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी (speaker ritu khanduri bhushan) पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि जब सब नियुक्तियां अवैध हैं तो कार्रवाई केवल साल 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही क्यों की गई.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधानसभा सचिवालय में साल 2001 से 2021 तक की सभी नियुक्तियां एक ही पैटर्न पर की गई हैं. कोटिया कमेटी की महज 20 दिन की जांच के बाद 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं, और इससे पहले के कर्मचारियों को विधिक राय के नाम पर क्लीन चिट दे दी गई जबकि हाईकोर्ट में दिए अपने शपथ पत्र में विधानसभा अध्यक्ष ने भी बताया है कि राज्य निर्माण के बाद से अब तक की सभी नियुक्तियां अवैध हैं.
कर्मचारियों ने कहा कि पांच दिन के भीतर यदि कोई सकारात्मक कार्रवाई न हुई तो इसके विरोध में आंदोलन तेज किया जाएगा. इसके विरोध में सभी कर्मचारी परिजनों सहित उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे. वहीं, बर्खास्त कर्मी विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं.
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कर्मचारियों ने अन्य विभागों में हुईं नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया. उनका कहना है कि वर्ष 2003 के शासनादेश के बाद विधानसभा ही नहीं बल्कि अन्य विभागों में भी हजारों कर्मचारी तदर्थ, संविदा, नियत वेतनमान और दैनिक वेतन पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में अगर विधानसभा कर्मचारियों की नियुक्तियां अवैध हैं तो फिर अन्य विभागों में नियुक्तियों को कैसे वैध माना जा रहा है. वहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.