मसूरी: कैंट बोर्ड ऐतिहासिक मान्यता और इमारतों को खत्म करने की कोशिश कर रहा है. उस पर ऐसा आरोप स्थानीय निवासी लगा रहे हैं. ऐतिहासिक चीजों का नक्शा बिगाड़ा जा रहा है. चार दुकान इलाके से एसबीआई की शाखा को हटाया जा रहा है. दरअसल, ये सिर्फ बैंक की एक शाखा नहीं है बल्कि अनेक लोगों की भावनाएं इस शाखा से जुड़ी हैं. जाने-माने लेखक रस्किन बॉन्ड का अकाउंट भी इसी बैंक में है. बैंक की शाखा को बंद करने के विरोध में मसूरी के संभ्रांत लोगों- पद्मभूषण रस्किन बॉन्ड, अभिनेता विक्टर बनर्जी, लेखक गणेश सैली ने कैंट अध्यक्ष को पत्र भेजा है. उन्होंने एसबीआई की ब्रांच शिफ्ट न करने की मांग की है.
एसबीआई की इस ब्रांच को शिफ्ट करने की बात की जा रही है, जिसके विरोध में लोग लामबंद होने लगे हैं. दरअसल, लंढौर कैंट के चार दुकान क्षेत्र में स्टेट बैंक की एक शाखा है. इसमें मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड का भी खाता है. अब बैंक की इस ब्रांच को शिफ्ट किया जा रहा है. जिसके विरोध में पद्मभूषण रस्किन बॉन्ड, अभिनेता विक्टर बनर्जी, लेखक गणेश सैली, डॉ. प्रणय रॉय सहित कई लोगों ने कैंट अध्यक्ष को पत्र भेजा है. उन्होंने बैंक की शाखा को शिफ्ट न करने की मांग की है.
मसूरी शहर के लंढौर कैंट के चार दुकान क्षेत्र में विगत कई वर्षों से भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा संचालित हो रही है. इसमें कैंट के स्थानीय निवासियों और जौनपुर क्षेत्र के ग्रामीणों के खाते हैं. हाल में ही लंढौर कैंट द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की इस शाखा को वहां से हटाकर किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात सामने आई है. जिसके बाद लंढौर कैंट क्षेत्र में निवासी पद्मभूषण लेखक रस्किन बॉन्ड, अभिनेता विक्टर बनर्जी, लेखक गणेश सैली, डॉ. प्रणय रॉय, प्रमोद कपूर और राजेश त्रिपाठी ने एक पत्र लंढौर कैंट अध्यक्ष ब्रिगेडियर एसएन सिंह को भेजा है. उन्होंने एसबीआई की ब्रांच को यथावत रखने की मांग की है.
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भेजे गए पत्र में कहा गया है कि छावनी बोर्ड का पहला और सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अपने निवासियों के कल्याण की देखभाल करना है. ऐसे कई अन्य तरीके हैं, जिनसे धन जुटाया जा सकता है. ऐसे में इस प्रोसेस को रद्द करने के लिए हस्तक्षेप किया जाना जरूरी है. लेखक गणेश सैली ने कहा अगर स्टेट बैंक की इस शाखा चार दुकान क्षेत्र से शिफ्ट की जाती है तो उससे जौनपुर के करीब आधा दर्जन गांव के ग्रामीणों और स्थानीय सीनियर सिटीजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि बैंक की उक्त शाखा को छोटी जगह पर शिफ्ट किया जाएगा तो ऐसे में जाम और पार्किंग आदि की समस्याएं बढ़ जाएंगी. लेखक गणेश सैली ने कहा किसी भी संस्थान की एक सामाजिक जिम्मेदारी होती है, जिसका आकलन पैसों से नहीं किया जा सकता.
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वहीं, ग्राम पंचायत मवाना के ग्रामीणों ने भी बैंक की उक्त शाखा को चार दुकान क्षेत्र से न हटाने की मांग को लेकर कैंट बोर्ड लंढौर को पत्र दिया है. ग्राम पंचायत मवाना के निवासी सबल सिंह पंवार ने बताया कि ग्राम प्रधान द्वारा लंढौर कैंट को चार दुकान से बैंक की शाखा न हटाने की मांग की गई है. उन्होंने बताया आज भी चार दुकान से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में मोटर मार्ग नहीं हैं. इस कारण अधिकांश ग्रामवासी बाजार तक आने में असमर्थ हैं. चार दुकान क्षेत्र नजदीक होने के कारण सभी ग्रामीणों के खाते उक्त स्टेट बैंक की ब्रांच में हैं. अगर बैंक चार दुकान से हटाया जाता है तो उससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा यदि कैंट ग्रामीणों की मांग नहीं मानता है तो सभी ग्रामीण चार दुकान पर धरना देने के लिए बाध्य होंगे.
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वहीं इस संबंध में लंढौर कैंट के सीईओ अभिषेक राठौड़ ने बताया कि स्टेट बैंक की उक्त शाखा का एक्सटेंशन वैलिड नहीं है. साथ ही उन्होंने बताया कि बैंक द्वारा उक्त भवन का किराया महज 30 हजार रुपये दिया जाता है. जबकि उसके समीप के भवन का किराया साढ़े पांच लाख रुपये आता है. उन्होंने बताया कि बैंक के शिफ्ट होने के बाद उक्त प्रॉपर्टी से बोर्ड की आय में बढ़ोत्तरी होगी. जिसे कैंट क्षेत्र के विकास में उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा स्थानीय जनता की मांग के अनुसार बैंक की इस शाखा को चार दुकान क्षेत्र से हटाया नहीं, बल्कि केवल 50 मीटर दूर छावनी परिषद के ऑफिस के समीप शिफ्ट करने निर्णय लिया गया है. बैंक का एटीएम चार दुकान पर ही रहेगा.
अगस्त में हुई थी शाखा हटाने की वार्ता: 19 अगस्त को लंढौर कैंट बोर्ड की बोर्ड बैठक में एसबीआई की चार दुकान क्षेत्र वाली शाखा को शिफ्ट करने पर वार्ता हुई थी. शाखा को शिफ्ट करने की वार्ता के बीच स्थानीय लोगों को भी इसका पता चल गया. हालांकि, अभी बैंक की शाखा को शिफ्ट करने की तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन जागरूक लोगों ने अभी से इसका विरोध शुरू कर दिया है. उन्हें उम्मीद है कि इस विरोध को देखते हुए कैंट बोर्ड वार्ता को आगे बढ़ाते हुए प्रस्ताव और शाखा हटाने तक नहीं ले जाएगा.
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कौन हैं रस्किन बॉन्ड: रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई, 1934 को कसौली (हिमाचल) में हुआ था. वे 1964 में मसूरी आए और यहीं बस गए थे.
प्रमुख कृतियां: द ब्लू अंब्रेला, द नाइट टेन एट देहली, अवर ट्री ग्रो इन देहरा, देहली इज नॉट फॉर रस्किन, ए सीजन ऑफ घोष्ट, कमिंग अराउंड द माउंटेन, टाइम स्टाप एट शामली, ए फेस इन द डार्क एंड अदर हंटिंग, रूम ऑन द रूफ.
पहले भी हुई विरासत से छेड़छाड़: दरअसल यह कोई पहला मामला नहीं है, जब मसूरी में ऐतिहासिक इमारतों या प्रतीक चिह्नों को हटाया जा रहा है. इससे पहले भी मसूरी में ऐतिहासिक डाकघर हो या अन्य जगह वहां पर भी उनको मिटाकर रेनूवेट करके नया स्वरूप दिया जा रहा है. हो सकता है कि कैटोनमेंट बोर्ड या नगर निगम मसूरी को नए रंग रूप में उभारने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन प्रशासन को यह चाहिए कि पुराने और ऐतिहासिक स्वरूप में दिख रही इमारतों को विस्तृत और सही ढंग से अपने स्वरूप में विकसित किया जाए, ताकि मसूरी की विरासत हमेशा-हमेशा के लिए आने वाले पर्यटक देख सकें.