देहरादून: कोरोना की मार ने उत्तराखंड रोडवेज की कमर तोड़ दी है. अंतरराज्यीय बसों का परिचालन बंद होने से उत्तराखंड रोडवेज पहले से भी ज्यादा घाटे में चला गया है. उत्तराखंड परिवहन निगम आर्थिक संकट के गुजर रहा है. उत्तराखंड रोडवेज (uttarakhand roadways) की बदहाल स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच महीने से निगम ने अपने कर्मचारियों का वेतन (employees salary) नहीं दिया है. ऐसे में अब उत्तराखंड परिवहन निगम (uttarakhand transport corporation) प्रबंधन ने सरकार से 20 करोड़ रुपए एडवांस में मांगे हैं.
रोडवेज प्रबंधन ने यह राशि पर्वतीय संचालन में होने वाले घाटे के मद से मांगी है, ताकि रोडवेज कर्मचारियों को जनवरी माह का वेतन दिया जा सके. हालांकि एडवांस 20 करोड़ रुपये के भुगतान की फाइल को वित्त सचिव ने मंजूर कर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है. ऐसे में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की स्वीकृति के बाद यह धनराशि रोडवेज प्रबंधन को दे दी जाएगी, ताकि रोडवेज कर्मचारियों को जनवरी माह का वेतन दिया जा सके.
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वैसे तो उत्तराखंड परिवहन निगम (uttarakhand transport corporation) की स्थिति पहले भी कोई अच्छी नहीं थी, लेकिन पिछले साल कोरोना की रोकथाम और बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में उत्तराखंड रोडवेज (uttarakhand roadways) की आर्थिक हालत और पतली हो गई. पिछले साल लॉकडाउन खुलने से रोडवेज के पहिए दौड़ने शुरू हुए थे, निगम घाटे से उभरने की कोशिश कर ही रहा था कि कोरोना की दूसरी लहर ने फिर से उत्तराखंड रोडवेज (uttarakhand roadways) के संचालन पर ब्रेक लगा दिया. इन परिस्थितियों में उत्तराखंड रोडवेज की हालत अब ऐसी हो गई है कि वो अपने कर्चमारियों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं.
उत्तराखंड रोडवेज (uttarakhand roadways) में पिछले पांच महीने से अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है. वर्तमान समय में रोडवेज प्रबंधन पर जहां कर्मचारियों के 5 महीने का वेतन देना बाकी है तो वहीं इसके अतिरिक्त कर्मचारियों के लंबित देयकों का भुगतान, सेवानिवृत्त कर्मचारियों के एकमुश्त भुगतान और ग्रेच्युटी आदि का भी रोडवेज पर भुगतान अभी भी लंबित है.