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बिंदाल, रिस्पना और सुसवा नदियों का पानी बना 'जहर', रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा - bindal

एक निजी संस्था द्वारा करवाये गए बिंदाल, रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों के पानी परीक्षण में हुआ चौंकाने वाला खुलासा. गंगा में प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने और जंगली जानवारों के लिए घातक साबित हो रहा तीनों नदियों का पानी.

बिंदाल, रिस्पना और सुसवा नदियों का पानी बना 'जहर'.
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Published : Jun 23, 2019, 9:27 AM IST

Updated : Jun 23, 2019, 2:58 PM IST

देहरादून: बिंदाल, रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों की वजह से गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ये दावा है एक निजी संस्था का जिसने बीती 9 जून को तीनों नदियों के एक-एक किलोमीटर के दायरे से जल के नमूने लेकर उनकी जांच करवाई. पानी के नमूनों का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से प्रदत्त प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया. जांच रिपोर्ट में सामने आया कि पानी काफी जहरीला है. इसमें क्रोमियम, जिंक, आयरन, लेड, मैगनीज जैसे घातक पदार्थ हैं.

जानकारी देते निजी संस्था के सचिव.

रिपोर्ट में सामने आया है कि नदियों में बड़े पैमाने पर सीवरेज, घरेलू कचरा, डेरियों से गोबर, कचरा और छोटे उद्योगों के रसायन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को डाला जा रहा है, जिस वजह से नदी का पानी इतना टॉक्सिक हो गया है कि पर्यावरण और जंगली जानवरों के लिए ये खतरा बना हुआ है. सबसे खतरनाक ये है कि इन तीनों नदियों में जमा कचरा और रसायन आखिर में गंगा में समाता है, जिससे मां गंगा और ज्यादा प्रदूषित होती जा रही है.

पढ़ें- रॉयल वेडिंगः रिसेप्शन पार्टी में बॉलीवुड सितारों का दिखेगा जलवा, 'स्टार नाइट' में ये होंगे खास

इन नदियों में मौजूद जहरीले धातु स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मानसिकता और केंद्रीय तंत्रिका कार्य, प्रजनन क्षमता में कमी, फेफड़े, गुर्दे चक्र और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान होता है. इन नदियों के प्रदूषित होने की वजह से आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को कैंसर जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है.

तीनों नदियों की बात करें तो पिछले 5 सालों के अध्ययन में यह पता लगा है कि पानी में टीडीएस ,आयरन, क्लोराइड, लैड जैसे तत्व लगातार बढ़ रहे हैं. इस साल इनमें 18% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वहीं, बीते 5 साल पहले की बात करें तो यह मात्रा 15% तक थी.

पढ़ें- लापरवाहीः पेयजल लाइन लीकेज होने से लाखों लीटर पानी हो रहा बर्बाद, अधिकारी दे रहे ये जवाब

बता दें कि बिंदाल, रिस्पना और सुसवा नदी में लेड की मात्रा 0.46 से 1.07 तक बढ़ी है जबकि TDS की मात्रा 500 mg/l से बढ़कर 1900 mg/l तक पहुंच गई हैं. ये नदियां गंगा के विस्तार में सहायक सिद्ध होती हैं, लेकिन इन नदियों की दशा सुधारने के लिये कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में कैंसर जैसी घातक बीमारियों के कीटाणु जन्म ले रहे हैं. ये संस्था अब तीनों नदियों से लिए गए नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है.

देहरादून: बिंदाल, रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों की वजह से गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ये दावा है एक निजी संस्था का जिसने बीती 9 जून को तीनों नदियों के एक-एक किलोमीटर के दायरे से जल के नमूने लेकर उनकी जांच करवाई. पानी के नमूनों का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से प्रदत्त प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया. जांच रिपोर्ट में सामने आया कि पानी काफी जहरीला है. इसमें क्रोमियम, जिंक, आयरन, लेड, मैगनीज जैसे घातक पदार्थ हैं.

जानकारी देते निजी संस्था के सचिव.

रिपोर्ट में सामने आया है कि नदियों में बड़े पैमाने पर सीवरेज, घरेलू कचरा, डेरियों से गोबर, कचरा और छोटे उद्योगों के रसायन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को डाला जा रहा है, जिस वजह से नदी का पानी इतना टॉक्सिक हो गया है कि पर्यावरण और जंगली जानवरों के लिए ये खतरा बना हुआ है. सबसे खतरनाक ये है कि इन तीनों नदियों में जमा कचरा और रसायन आखिर में गंगा में समाता है, जिससे मां गंगा और ज्यादा प्रदूषित होती जा रही है.

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इन नदियों में मौजूद जहरीले धातु स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मानसिकता और केंद्रीय तंत्रिका कार्य, प्रजनन क्षमता में कमी, फेफड़े, गुर्दे चक्र और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान होता है. इन नदियों के प्रदूषित होने की वजह से आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को कैंसर जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है.

तीनों नदियों की बात करें तो पिछले 5 सालों के अध्ययन में यह पता लगा है कि पानी में टीडीएस ,आयरन, क्लोराइड, लैड जैसे तत्व लगातार बढ़ रहे हैं. इस साल इनमें 18% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वहीं, बीते 5 साल पहले की बात करें तो यह मात्रा 15% तक थी.

पढ़ें- लापरवाहीः पेयजल लाइन लीकेज होने से लाखों लीटर पानी हो रहा बर्बाद, अधिकारी दे रहे ये जवाब

बता दें कि बिंदाल, रिस्पना और सुसवा नदी में लेड की मात्रा 0.46 से 1.07 तक बढ़ी है जबकि TDS की मात्रा 500 mg/l से बढ़कर 1900 mg/l तक पहुंच गई हैं. ये नदियां गंगा के विस्तार में सहायक सिद्ध होती हैं, लेकिन इन नदियों की दशा सुधारने के लिये कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में कैंसर जैसी घातक बीमारियों के कीटाणु जन्म ले रहे हैं. ये संस्था अब तीनों नदियों से लिए गए नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है.

Intro:देहरादून की बिंदाल, रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों से पवित्र गंगा मे प्रदूषण का स्तर विकराल रूप से बढ़ रहा है। दरअसल स्पेक्स संस्था ने बीती 9 जून को एकसाथ रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों के एक-एक किलोमीटर के दायरे से जल के नमूने एकत्रित किये।संस्था के सदस्यों द्वारा एकत्रित किये गये जल के नमूनों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से प्रदत्त प्रयोगशाला मैं परीक्षण किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, तीनों नदियों का पानी विषाक्त पदार्थों से भरा हुआ था इन नदियों के पानी में क्रोमियम ,जिंक ,आयरन ,लेड, मेगनीज जैसे घातक पदार्थ बेहत अधिक मात्रा में थे। जो की मिट्टी ,जलचर मानव जीवन, जलीय जीवन और जंगली जानवरों के लिए बेहद हानिकारक हैं।
summary- स्पेक्स संस्था द्वारा बिंदाल,रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों का जल परीक्षण करने के बाद पाया कि ये तीनों नदियां गंगा का हिस्सा बनने से पहले राजाजी टाइगर रिजर्व से होते हुए बहती है, और इन नदियों का पानी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पवित्र गंगा में प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में भी योगदान दे रहीं है।


Body:नदियों की सफाई की दिशा में स्पेक्स की ओर से लगातार प्रयासों से इस तथ्य का पता लगा है कि इन नदियों में बड़े पैमाने पर सीवेज ,घरेलू कचरा ,डेरियों का गोबर, कुटीर के बेकार बचे हुए कचरे और अन्य छोटे उद्योगों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को डालने में उपयोग किया जा रहा है। तीनों नदियों में जमा हुआ कचरा आखिरकार गंगा में समा जाता है क्योंकि यह नदियां पवित्र नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं और इस प्रकार से गंगा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बढ़ रहा है।

बाईट- डॉ बृजमोहन, सचिव,स्पेक्स संस्था।

इन नदियों में खतरनाक रूप से भारी धातु विषाक्तता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे कम मानसिकता और केंद्रीय तंत्रिका कार्य, प्रजनन क्षमता में कमी, फेफड़े गुर्दे चक्र और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान हो सकता है, इन नदियों के प्रदूषित होने की वजह से आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को कैंसर जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

बाईट- डॉ बृजमोहन शर्मा,सचिव,स्पेक्स।


Conclusion:जल गुणवत्ता परीक्षण परिणाम इस प्रकार हैं-
तीनों नदियों की बात करें तो पिछले 5 सालों के अध्ययन में यह पता लगा है की पानी में टीडीएस ,आयरन, क्लोराइड ,लैड जैसे तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ रही है जो इस साल 18% तक बढ़ी है। जबकि बीते 5 साल पहले की बात करें तो यह मात्रा 15% तक थी जिसमें तीन परसेंट की बढ़ोतरी होना चिंता का विषय जरूर है। आपको बता दें की बिंदाल,रिस्पना और सुसवा नदी में लेड की मात्रा 0.46 से 1.07 तक बढ़ी है जबकि tds की मात्रा 500 mg/l से बढ़कर 1900 mg/l तक पहुंच गईं है।ये यह नदियां गंगा के विस्तार में सहायक सिद्ध होती हैं, लेकिन इन नदियों की दशा सुधारने के लिये कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में कैंसर जैसी घातक बीमारियां जन्म ले रही हैं। बहरहाल स्पेक्स तीनों नदियों से लिए गए नमूनों के परीक्षण की रिपोर्ट सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है
Last Updated : Jun 23, 2019, 2:58 PM IST
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