देहरादून: बिंदाल, रिस्पना और सुसवा जैसी नदियों की वजह से गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ये दावा है एक निजी संस्था का जिसने बीती 9 जून को तीनों नदियों के एक-एक किलोमीटर के दायरे से जल के नमूने लेकर उनकी जांच करवाई. पानी के नमूनों का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से प्रदत्त प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया. जांच रिपोर्ट में सामने आया कि पानी काफी जहरीला है. इसमें क्रोमियम, जिंक, आयरन, लेड, मैगनीज जैसे घातक पदार्थ हैं.
रिपोर्ट में सामने आया है कि नदियों में बड़े पैमाने पर सीवरेज, घरेलू कचरा, डेरियों से गोबर, कचरा और छोटे उद्योगों के रसायन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को डाला जा रहा है, जिस वजह से नदी का पानी इतना टॉक्सिक हो गया है कि पर्यावरण और जंगली जानवरों के लिए ये खतरा बना हुआ है. सबसे खतरनाक ये है कि इन तीनों नदियों में जमा कचरा और रसायन आखिर में गंगा में समाता है, जिससे मां गंगा और ज्यादा प्रदूषित होती जा रही है.
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इन नदियों में मौजूद जहरीले धातु स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मानसिकता और केंद्रीय तंत्रिका कार्य, प्रजनन क्षमता में कमी, फेफड़े, गुर्दे चक्र और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान होता है. इन नदियों के प्रदूषित होने की वजह से आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को कैंसर जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है.
तीनों नदियों की बात करें तो पिछले 5 सालों के अध्ययन में यह पता लगा है कि पानी में टीडीएस ,आयरन, क्लोराइड, लैड जैसे तत्व लगातार बढ़ रहे हैं. इस साल इनमें 18% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वहीं, बीते 5 साल पहले की बात करें तो यह मात्रा 15% तक थी.
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बता दें कि बिंदाल, रिस्पना और सुसवा नदी में लेड की मात्रा 0.46 से 1.07 तक बढ़ी है जबकि TDS की मात्रा 500 mg/l से बढ़कर 1900 mg/l तक पहुंच गई हैं. ये नदियां गंगा के विस्तार में सहायक सिद्ध होती हैं, लेकिन इन नदियों की दशा सुधारने के लिये कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में कैंसर जैसी घातक बीमारियों के कीटाणु जन्म ले रहे हैं. ये संस्था अब तीनों नदियों से लिए गए नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है.