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मानसून आते ही मलिन बस्तियों पर मंडराया खतरा, मेयर बोले- नहीं देंगे सुरक्षा - ताजा समाचार

मानसून से पहले ही रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले मलिन बस्तियों के लोगों को डर सताने लगा है. जान-माल के नुकसान होने का डर के चलते यहां के लोग चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं. वहीं शासन-प्रशासन इस मामले पर ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहा है. जिससे यहां के निवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें और भी बढ़ गई हैं. उधर, नगर निगम ने भी उनकी सुरक्षा को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. साथ ही सुरक्षा देने से साफ इंकार कर दिया है.

मानसून आते ही मलिन बस्तियों पर मंडराया खतरा
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Published : Jun 29, 2019, 8:21 PM IST

Updated : Jun 30, 2019, 2:19 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र और प्रशासन मानसून को लेकर पूरी तरह तैयार नजर नहीं आ रहा है. हालांकि बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तमाम अधिकारियों के साथ मानसून की तैयारियों को लेकर बैठक की थी. बावजूद इसके अभी तक तैयारियां जस की तस बनी हुई है. वहीं, राजधानी के राजपुर रोड से सटे रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले मलिन बस्तियों के ऊपर एक बार फिर खतरा मंडराता नजर आ रहा है.

मानसून आते ही मलिन बस्तियों पर मंडराया खतरा.

बता दें कि राजपुर रोड से सटे रिस्पना नदी के किनारे सैकड़ों लोगों ने अपने आशियाने बना लिए हैं. जहां पर हर मानसून सीजन में खतरा बना रहता है. इन दिनों रिस्पना नदी तकरीबन सूखी हुई है, लेकिन बारिश शुरू होते ही इस रिस्पना नदी में पानी भर जाता है. साथ ही मसूरी से आने वाले पानी के तेज बहाव से रिस्पना नदी उफान पर आ जाती है. जिससे रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले लोगों पर खतरा मंडराता रहता है. जिसे लेकर शासन-प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है.

ये भी पढे़ंः निम के पर्वतारोहियों ने पूरा किया पहला फेज, 5720 मीटर ऊंची द्रोपदी के डांडा चोटी का किया आरोहण

स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात शुरू होने पर उन्हें जान-माल का डर सताता है. बीते साल भी कई लोग इस नदी में बह गए थे. ऐसे में बहने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. साथ ही बताया कि चुनाव के दौरान सभी पार्टी के नेता उनके पास वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद उनकी सुध नहीं ली जाती है.

वहीं, मामले पर नगर निगम मेयर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि कुछ छुटभैया नेता ही इन लोगों को नदी के किनारे बसाते हैं. सरकारी पुस्ते के आगे जो लोग बस गए हैं, उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी. अब इन लोगों के खिलाफ नगर निगम पुलिस में तहरीर दी जाएगी. साथ ही बताया कि पुलिस और नगर निगम के माध्यम से उन्हें हटाने की व्यवस्था की जाएगी. जो लोग पुस्ते के आगे रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा खुद की जिम्मेदारी होगी.

देहरादूनः उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र और प्रशासन मानसून को लेकर पूरी तरह तैयार नजर नहीं आ रहा है. हालांकि बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तमाम अधिकारियों के साथ मानसून की तैयारियों को लेकर बैठक की थी. बावजूद इसके अभी तक तैयारियां जस की तस बनी हुई है. वहीं, राजधानी के राजपुर रोड से सटे रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले मलिन बस्तियों के ऊपर एक बार फिर खतरा मंडराता नजर आ रहा है.

मानसून आते ही मलिन बस्तियों पर मंडराया खतरा.

बता दें कि राजपुर रोड से सटे रिस्पना नदी के किनारे सैकड़ों लोगों ने अपने आशियाने बना लिए हैं. जहां पर हर मानसून सीजन में खतरा बना रहता है. इन दिनों रिस्पना नदी तकरीबन सूखी हुई है, लेकिन बारिश शुरू होते ही इस रिस्पना नदी में पानी भर जाता है. साथ ही मसूरी से आने वाले पानी के तेज बहाव से रिस्पना नदी उफान पर आ जाती है. जिससे रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले लोगों पर खतरा मंडराता रहता है. जिसे लेकर शासन-प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है.

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स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात शुरू होने पर उन्हें जान-माल का डर सताता है. बीते साल भी कई लोग इस नदी में बह गए थे. ऐसे में बहने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. साथ ही बताया कि चुनाव के दौरान सभी पार्टी के नेता उनके पास वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद उनकी सुध नहीं ली जाती है.

वहीं, मामले पर नगर निगम मेयर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि कुछ छुटभैया नेता ही इन लोगों को नदी के किनारे बसाते हैं. सरकारी पुस्ते के आगे जो लोग बस गए हैं, उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी. अब इन लोगों के खिलाफ नगर निगम पुलिस में तहरीर दी जाएगी. साथ ही बताया कि पुलिस और नगर निगम के माध्यम से उन्हें हटाने की व्यवस्था की जाएगी. जो लोग पुस्ते के आगे रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा खुद की जिम्मेदारी होगी.

Intro:उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र व प्रशासन मानसून शुरू होने से पहले की तैयारियां मुकम्मल नहीं कर पाई है। हालांकि बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तमाम अधिकारियों के साथ मानसून की तैयारियों को लेकर बैठक ली थी। बावजूद इसके अभी तक तैयारियां जस की तस बनी हुई है। तो वही देहरादून के राजपुर रोड से लगता हुआ रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले मलिन बस्तियों के ऊपर एक बार फिर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट......


Body:यूं तो पूरा उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश के भूकंप, भू-स्खलन आदि जैसी आपदायें आती रहती हैं। लेकिन शासन -प्रशासन स्तर पर जो तैयारियां की जाती है वो कही न कहीं नाकाफी साबित होती है। इसी तरह राजपुर से लगता हुआ रिस्पना नदी के किनारे सैकड़ो लोगो ने अपना आसियान बना लिया, जिसके ऊपर हर मॉनसून सीजन में खतरा मंडराता नज़र आ रहा है। और शासन-प्रशासन उस ओर ध्यान नही दे पा रहा है। हालांकि मौजूदा समय मे रिस्पिना नदी लगभग सूखी हुई है, लेकिन बरसात में बारिश शुरू होते ही इस रिस्पना नदी में पानी भर जाता है। इसके साथ मसूरी से आने वाले भारी मात्रा में पानी की तेज बहाव से रिस्पिना नदी अपने उफान पर आ जाती है। जिससे रिस्पना नदी के पास रहने वाले लोगो पर पूरे बरसाती सीजन में खतरा मंडराता रहता है।

वही रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले ने बताया कि जब बरसात शुरू होती है तो उन लोगो को डर लगा सताने लगता है, क्योकि पिछले साल भी कई लोग बह गए थे, साथ ही बताया कि चुनाव के दौरान तो नेता यह वोट मांगने आते है लेकिन उसके बाद यहाँ कोई भी नेता उनकी सुध लेने नही आता है।

बाइट - स्थानीय निवासी

रिस्पना नदी के किनारे रह रहे सैकड़ो लोगो के लिए सुरक्षा के सवाल पर देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि कुछ छुटभैया नेताओं ने ही इन लोगो को नदी के किनारे बसाते है। और इन लोगो के खिलाफ नगर निगम पुलिस में तहरीर देगा। साथ ही बताया कि सरकारी पुस्ते के आगे जो लोग बस गए है उनको ना तो कोई सुरक्षा दी जाएगी साथ ही पुलिस और नगर निगम के माध्यम से उन्हें हटाने की व्यवस्था की जाएगी। और जो लोग पुस्ते के आगे बैठे है या रह रहे है ये उनकी खुद की जिम्मेदारी है। 

बाइट - सुनील उनियाल गामा, मेयर, देहरादून


Conclusion:
Last Updated : Jun 30, 2019, 2:19 PM IST
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