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उत्तराखंड पुलिस का ऑपरेशन मुक्ति, बिछड़े बच्चे को परिजनों से मिलवाया - ऋषिकेश जीआरपी ने बिछड़े बच्चे को परिजनों से मिलवाया

ऑपरेशन मुक्ति के तहत ऋषिकेश जीआरपी ने एक साल पहले परिजनों की डांट से परेशान होकर घर छोड़कर निकले बच्चे को सकुशल परिजनों से मिलवा दिया.

Uttarakhand News
उत्तराखंड पुलिस का ऑपरेशन मुक्ति
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Published : Aug 13, 2022, 7:10 AM IST

ऋषिकेश: ऑपरेशन मुक्ति के तहत नागरिक पुलिस के साथ-साथ जीआरपी बिछड़ों और कम उम्र में काम-धंधे में लगे नाबालिगों को मुक्ति दिलाने में लगी है. इसी क्रम में रेलवे स्टेशन पर जीआरपी के जवानों ने एक ऐसे नाबालिग को बरामद कर परिजनों तक पहुंचाया है, जो सालभर से लापता था. राजस्थान से गुमशुदा बेटा ऋषिकेश मिला तो परिजन उसे देखकर फफक पड़े.

जीआरपी की ऋषिकेश चौकी में तैनात सिपाही पंकज काला, विनेश कुमार और मनीष राठी के मुताबिक रेलवे स्टेशन में हरिद्वार जाने वाली एक पैसेंजर ट्रेन में 10 साल का नाबालिग संदिग्ध परिस्थितियों में बैठा दिखा. काउंसलिंग में पता चला कि नाबालिग राजस्थान के कोटा शहर का रहने वाला है और माता-पिता की डांट से क्षुब्ध होकर वह साल 2021 में देहरादून पहुंचा.

पढ़ें: एक साल पुराने अधिवक्ता उस्मान हत्याकांड की गुत्थी सुलझी, जमीनी विवाद में चचेरे भाई ने ही कराई थी हत्या

करीब सालभर देहरादून में रहने के बाद नाबालिग ऋषिकेश आ गया. इस बीच जीआरपी के जवानों को नाबालिग पैसेंजर ट्रेन में बैठा मिल गया. बता दें कि, नाबालिग के पिता महेंद्र सिंह ने कोटा में बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराई थी, जीआरपी जवानों ने संपर्क कर उसे सकुशल राजस्थान पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं, एक अरसे बाद बेटे को देख माता-पिता की आंखें नम हो गईं. जिगर के टुकड़े को कलेजे से लगा कर नाबालिक की मां फफकती नजर आईं.

ऋषिकेश: ऑपरेशन मुक्ति के तहत नागरिक पुलिस के साथ-साथ जीआरपी बिछड़ों और कम उम्र में काम-धंधे में लगे नाबालिगों को मुक्ति दिलाने में लगी है. इसी क्रम में रेलवे स्टेशन पर जीआरपी के जवानों ने एक ऐसे नाबालिग को बरामद कर परिजनों तक पहुंचाया है, जो सालभर से लापता था. राजस्थान से गुमशुदा बेटा ऋषिकेश मिला तो परिजन उसे देखकर फफक पड़े.

जीआरपी की ऋषिकेश चौकी में तैनात सिपाही पंकज काला, विनेश कुमार और मनीष राठी के मुताबिक रेलवे स्टेशन में हरिद्वार जाने वाली एक पैसेंजर ट्रेन में 10 साल का नाबालिग संदिग्ध परिस्थितियों में बैठा दिखा. काउंसलिंग में पता चला कि नाबालिग राजस्थान के कोटा शहर का रहने वाला है और माता-पिता की डांट से क्षुब्ध होकर वह साल 2021 में देहरादून पहुंचा.

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करीब सालभर देहरादून में रहने के बाद नाबालिग ऋषिकेश आ गया. इस बीच जीआरपी के जवानों को नाबालिग पैसेंजर ट्रेन में बैठा मिल गया. बता दें कि, नाबालिग के पिता महेंद्र सिंह ने कोटा में बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराई थी, जीआरपी जवानों ने संपर्क कर उसे सकुशल राजस्थान पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं, एक अरसे बाद बेटे को देख माता-पिता की आंखें नम हो गईं. जिगर के टुकड़े को कलेजे से लगा कर नाबालिक की मां फफकती नजर आईं.

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