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ऋषिकेश एम्स में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम से हो रही कोविड-19 के मरीजों की देखभाल

ऋषिकेश एम्स देश का पहला हॉस्पिटल है जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल के लिए रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है.

ऋषिकेश एम्स
ऋषिकेश एम्स
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Published : May 27, 2020, 9:41 AM IST

Updated : May 27, 2020, 1:24 PM IST

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इसके तहत कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्डों को रिमोट मॉनिटरिंग के माध्यम से कंट्रोल किया जा रहा है. इससे कोरोना मरीजों की सही देखभाल के साथ ही उनकी सेवा में जुटे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारी भी संक्रमण से सुरक्षित रह सकेंगे.

एम्स में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम से हो रही कोविड-19 के मरीजों की देखभाल

मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई यह रिमोट प्रणाली बेंगलुरू बेस कंपनी स्टासिस ने एम्स ऋषिकेश के साथ करार करके उपलब्ध कराई है. एम्स ऋषिकेश भारत का पहला ऐसा स्वायत्तशासी स्वास्थ्य संस्थान है जिसने कोविड संक्रमित मरीजों की देखभाल व फ्रंट लाइन वॉरियर्स की जीवन रक्षा के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया है.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि संस्थान के कोविड वॉर्ड में इस सिस्टम को विकसित करने से मरीजों का इलाज करने वाले फ्रंट लाइन वॉरियर्स पर जोखिम कम होगा. उन्होंने बताया कि दूर से ही रोगी की निगरानी और समाधान को लागू करने के लिए स्टार्ट-अप आधारित यह तकनीक विशेष तौर से कारगर साबित होगी. इसका उद्देश्य कोविड-19 संक्रमित मरीजों से अन्य लोगों को होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करना है. इसके अलावा हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा बढ़ाने और पीपीई किट की आवश्यकता को कम करने में भी यह रिमोट सिस्टम काफी हद तक कारगर साबित होगा.

पढ़ें- रियलिटी चेक: मित्र पुलिस के दावों की पड़ताल, कितने सुरक्षित फ्रंट फुट 'वॉरियर्स'

निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश भारत का पहला स्वायत्तशासी स्वास्थ्य संस्थान है, जिसमें इस तकनीक को तैयार कराकर लागू कर किया गया है. उन्होंने बताया कि स्टाटिस ऐप का उपयोग करते हुए चिकित्सक को अपने स्मार्टफोन पर संबंधित मरीजों का डाटा जिनमें हृदय गति की स्थिति, ऑक्सीजन आपूर्ति, इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, श्वसन दर, रक्तचाप और त्वचा का तापमान आदि की संपूर्ण जानकारी तत्काल मिल जाएगी.

निदेशक के अनुसार उत्तराखंड राज्य के लिए एम्स ऋषिकेश कोविड-19 अस्पताल के तौर पर नामित है. यहां उत्तराखंड के अलावा समीपवर्ती आधा दर्जन राज्यों के मरीजों को भी उपचार की सुविधा मिल रही है. वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में पीपीई का उपयोग करना और कोविड मरीजों के उपचार में जुटे फ्रंट-लाइन वर्करों के जीवन की सुरक्षा का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी है. एम्स में विशेषज्ञों की टीम कोरोना मरीजों की बेहतरीन क्लीनिकल देखभाल कर रही है.

पढ़ें- कार्यक्रम में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद ईटीवी भारत पर मंत्री मदन कौशिक की सफाई, कही ये बात

निदेशक का कहना है कि उन्होंने इन उपकरणों का उपयोग कर प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया का समर्थन किया है. यह पूरी तरह से भारत में ही निर्मित है और यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) से अनुमोदित भी है.

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इसके तहत कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्डों को रिमोट मॉनिटरिंग के माध्यम से कंट्रोल किया जा रहा है. इससे कोरोना मरीजों की सही देखभाल के साथ ही उनकी सेवा में जुटे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारी भी संक्रमण से सुरक्षित रह सकेंगे.

एम्स में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम से हो रही कोविड-19 के मरीजों की देखभाल

मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई यह रिमोट प्रणाली बेंगलुरू बेस कंपनी स्टासिस ने एम्स ऋषिकेश के साथ करार करके उपलब्ध कराई है. एम्स ऋषिकेश भारत का पहला ऐसा स्वायत्तशासी स्वास्थ्य संस्थान है जिसने कोविड संक्रमित मरीजों की देखभाल व फ्रंट लाइन वॉरियर्स की जीवन रक्षा के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया है.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि संस्थान के कोविड वॉर्ड में इस सिस्टम को विकसित करने से मरीजों का इलाज करने वाले फ्रंट लाइन वॉरियर्स पर जोखिम कम होगा. उन्होंने बताया कि दूर से ही रोगी की निगरानी और समाधान को लागू करने के लिए स्टार्ट-अप आधारित यह तकनीक विशेष तौर से कारगर साबित होगी. इसका उद्देश्य कोविड-19 संक्रमित मरीजों से अन्य लोगों को होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करना है. इसके अलावा हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा बढ़ाने और पीपीई किट की आवश्यकता को कम करने में भी यह रिमोट सिस्टम काफी हद तक कारगर साबित होगा.

पढ़ें- रियलिटी चेक: मित्र पुलिस के दावों की पड़ताल, कितने सुरक्षित फ्रंट फुट 'वॉरियर्स'

निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश भारत का पहला स्वायत्तशासी स्वास्थ्य संस्थान है, जिसमें इस तकनीक को तैयार कराकर लागू कर किया गया है. उन्होंने बताया कि स्टाटिस ऐप का उपयोग करते हुए चिकित्सक को अपने स्मार्टफोन पर संबंधित मरीजों का डाटा जिनमें हृदय गति की स्थिति, ऑक्सीजन आपूर्ति, इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, श्वसन दर, रक्तचाप और त्वचा का तापमान आदि की संपूर्ण जानकारी तत्काल मिल जाएगी.

निदेशक के अनुसार उत्तराखंड राज्य के लिए एम्स ऋषिकेश कोविड-19 अस्पताल के तौर पर नामित है. यहां उत्तराखंड के अलावा समीपवर्ती आधा दर्जन राज्यों के मरीजों को भी उपचार की सुविधा मिल रही है. वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में पीपीई का उपयोग करना और कोविड मरीजों के उपचार में जुटे फ्रंट-लाइन वर्करों के जीवन की सुरक्षा का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी है. एम्स में विशेषज्ञों की टीम कोरोना मरीजों की बेहतरीन क्लीनिकल देखभाल कर रही है.

पढ़ें- कार्यक्रम में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद ईटीवी भारत पर मंत्री मदन कौशिक की सफाई, कही ये बात

निदेशक का कहना है कि उन्होंने इन उपकरणों का उपयोग कर प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया का समर्थन किया है. यह पूरी तरह से भारत में ही निर्मित है और यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) से अनुमोदित भी है.

Last Updated : May 27, 2020, 1:24 PM IST
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