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आयुर्वेद में है हर मर्ज का इलाज, बस थोड़ी रिसर्च और मेहनत की जरूरत

आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा ने बताते हैं कि आयुर्वेद में न ही रिसर्च नहीं रही है और न ही मेहनत, अगर ऐसा हो तो आयुर्वेद से हर मर्ज का इलाज हो सकता है.

रिसर्च से बदल सकती है आयुर्वेद की तस्वीर
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Published : May 7, 2019, 2:41 PM IST

देहरादून: देवभूमि को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. उत्तराखंड की इन खूबसूरत वादियों में हजारों तरह की बेशकीमती जड़ी-बूटियां भी मौजूद हैं, जिससे लाइलाज बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है. बावजूद इसके राज्य सरकार इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. यही वजह है कि इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों का सही ढंग से सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.

पढ़ें- CBSE 10वीं रिजल्ट: टॉप थ्री टॉपर लोकेश जोशी ने कहा- मेहनत ही सफलता की कुंजी

मौजूदा समय में आयुर्वेद की स्थिति कुछ ठीक नहीं है, क्योंकि आज भी किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर वह सबसे पहले एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भागता है. यही वजह है कि आयुर्वेद दवाइयों का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आयुर्वेदाचार्य भविष्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिहाज से न सिर्फ चिंता व्यक्त कर रहे हैं, बल्कि भविष्य के लिए इसको एक बड़ी चुनौती भी करार दे रहे हैं.

जानकारी देते आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा

आयुर्वेद में रिसर्च की अहम भूमिका

आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा ने बताया कि आयुर्वेद से तमाम लोगों को लाभ हो सकता है, लेकिन इस देश के अंदर आयुर्वेद में न ही रिसर्च हो रही है और न ही मेहनत. कई लोग पैसा कमाने के लिए आयुर्वेद को डुप्लीकेट करने में लगे हुए है. लेकिन अगर सच्चे मन और सच्ची भावना से आयुर्वेद पर रिसर्च की जाये तो ऐसी कोई बीमारी नहीं है. जिसका इलाज आयुर्वेद से न किया जा सके.

उनका कहना है कि रिसर्च न होने के कारण ही आयुर्वेद कर स्तर नीचे चला गया है. एलोपैथिक दवाइयों को खाने के बाद व्यक्ति ठीक हो जाता है, इसकी मुख्य वजह यह है कि एलोपैथिक के वैज्ञानिकों ने इन दवाइयों पर रिसर्च किया है. इसीलिये लोग एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भाग रहे हैं. मौजूदा समय में आयुर्वेद में कोई रिसर्च नहीं हो रही है और जब तक रिसर्च नहीं होगी तब तक लोग आयुर्वेद से ठीक नहीं हो पाएंगे.

आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा

आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा का कहना है कि कुछ लोग आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा कर रहे हैं. कुछ लोग एलोपैथिक दवाइयों में आयुर्वेदिक दवाइयां भी मिला देते हैं. हालांकि, इन दवाइयों से कुछ क्षण के लिए तो आराम मिलता है लेकिन फिर इसका साइड इफैक्ट शुरू हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग धर्म की आड़ में लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं.

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की सरकार भले ही राज्य को आयुष प्रदेश बनाने का हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन इसके अच्छे परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं. अब देखना होगा कि आखिर त्रिवेंद्र सरकार सूबे को आयुष प्रदेश बनाने का सपना साकार हो पाएगा या नहीं ?

देहरादून: देवभूमि को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. उत्तराखंड की इन खूबसूरत वादियों में हजारों तरह की बेशकीमती जड़ी-बूटियां भी मौजूद हैं, जिससे लाइलाज बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है. बावजूद इसके राज्य सरकार इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. यही वजह है कि इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों का सही ढंग से सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.

पढ़ें- CBSE 10वीं रिजल्ट: टॉप थ्री टॉपर लोकेश जोशी ने कहा- मेहनत ही सफलता की कुंजी

मौजूदा समय में आयुर्वेद की स्थिति कुछ ठीक नहीं है, क्योंकि आज भी किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर वह सबसे पहले एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भागता है. यही वजह है कि आयुर्वेद दवाइयों का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आयुर्वेदाचार्य भविष्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिहाज से न सिर्फ चिंता व्यक्त कर रहे हैं, बल्कि भविष्य के लिए इसको एक बड़ी चुनौती भी करार दे रहे हैं.

जानकारी देते आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा

आयुर्वेद में रिसर्च की अहम भूमिका

आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा ने बताया कि आयुर्वेद से तमाम लोगों को लाभ हो सकता है, लेकिन इस देश के अंदर आयुर्वेद में न ही रिसर्च हो रही है और न ही मेहनत. कई लोग पैसा कमाने के लिए आयुर्वेद को डुप्लीकेट करने में लगे हुए है. लेकिन अगर सच्चे मन और सच्ची भावना से आयुर्वेद पर रिसर्च की जाये तो ऐसी कोई बीमारी नहीं है. जिसका इलाज आयुर्वेद से न किया जा सके.

उनका कहना है कि रिसर्च न होने के कारण ही आयुर्वेद कर स्तर नीचे चला गया है. एलोपैथिक दवाइयों को खाने के बाद व्यक्ति ठीक हो जाता है, इसकी मुख्य वजह यह है कि एलोपैथिक के वैज्ञानिकों ने इन दवाइयों पर रिसर्च किया है. इसीलिये लोग एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भाग रहे हैं. मौजूदा समय में आयुर्वेद में कोई रिसर्च नहीं हो रही है और जब तक रिसर्च नहीं होगी तब तक लोग आयुर्वेद से ठीक नहीं हो पाएंगे.

आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा

आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा का कहना है कि कुछ लोग आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा कर रहे हैं. कुछ लोग एलोपैथिक दवाइयों में आयुर्वेदिक दवाइयां भी मिला देते हैं. हालांकि, इन दवाइयों से कुछ क्षण के लिए तो आराम मिलता है लेकिन फिर इसका साइड इफैक्ट शुरू हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग धर्म की आड़ में लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं.

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की सरकार भले ही राज्य को आयुष प्रदेश बनाने का हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन इसके अच्छे परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं. अब देखना होगा कि आखिर त्रिवेंद्र सरकार सूबे को आयुष प्रदेश बनाने का सपना साकार हो पाएगा या नहीं ?

Intro:देवभूमि उत्तराखंड को प्रकृति ने कई अनमोल तौफो से नवाजा है। उत्तराखंड में धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से कई स्थल है जहां हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड की इन खूबसूरत वादियों में हजारों तरह की बेशकीमती जड़ी-बूटिया भी मौजूद है। जिससे तमाम बड़े से बड़े मर्ज का इलाज किया जा सकता है। बावजूद इसके राज्य सरकार इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों की तरफ ध्यान नही दे पा रहा है। और यही वजह है कि इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों का सही ढंग से सतउपयोग नही हो रहा है।    


Body:मौजूद समय मे आयुर्वेद की स्थिति कुछ खाश ठीक नही है। क्योंकि आज भी किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर वह सबसे पहले एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भागता है। और यही वजह है कि आयुर्वेद दवाइयों का ग्राफ दिनों दिन गिरता जा रहा है। यही नहीं आयुर्वेद के क्षेत्र में अपना पूरा जीवन लगा चुके आयुर्वेदाचार्य, भविष्य में आयुर्वेद को बढाने के लिहाज से न सिर्फ चिंता व्यक्त कर रहे है बल्कि भविष्य के लिए इसको एक बड़ी चुनौती भी करार दे रहे है। और उनका मानना है कि आयुर्वेद में अच्छा ज्ञान और रिसर्च ना होने के कारण आयुर्वेद का ग्राफ नीचे चला गया है लेकिन जिस दिन आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान और रिसर्च होने लग जाएगा, उस दिन आयुर्वेद पूरी दुनिया में छा जाएगा।  


आयुर्वेद में रिसर्च की है अहम भूमिका..........  

ज्यादा जानकारी देते हुए आयुर्वेदाचार्य डॉ प्रकाश टाटा ने बताया कि आयुर्वेद से तमाम लोगों को लाभ हो सकता है लेकिन इस देश के अंदर आयुर्वेद में रिसर्च नहीं हो रहा है और ना ही मेहनत हो रही है। कई लोग पैसा कमाने के लिए आयुर्वेद को डुप्लीकेट करने में लगे हुए हैं। लेकिन अगर सच्चे मन और सच्ची भावना से आयुर्वेद पर रिसर्च किया जाये तो ऐसी कोई बीमारी नहीं है जिसका इलाज आयुर्वेद से ना किया जा सके। रिसर्च ना होने के कारण ही आयुर्वेद कर स्तर नीचे चला गया है। एलोपैथिक दवाइयों को खाने के बाद व्यक्ति ठीक हो जाता है, इसकी मुख्य वजह यह है कि एलोपैथिक के वैज्ञानिकों ने इन दवाइयों पर रिसर्च किया हुआ है, और लोग एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भाग रहे हैं। लेकिन मौजूदा समय में आयुर्वेद में कोई  रिसर्च नहीं हो रहा है, और जब तक रिसर्च नहीं होगा तब तक लोग आयुर्वेद से ठीक नहीं हो पाएंगे।


आयुर्वेद के नाम पर गोरख-धंधा.........    

साथ ही आयुर्वेदाचार्य डॉ प्रकाश टाटा ने बताया कि उत्तराखंड की जड़ी बूटियों को विदेशों में भी भेजा जा सकता है। जिससे लोगों का अच्छे से इलाज हो सकेगा और आयुर्वेद का नाम भी आगे बढ़ेगा। लेकिन कई लोग आयुर्वेद के नाम पर गोरख-धंधा कर रहे हैं और कुछ लोग एलोपैथिक दवाइयों में आयुर्वेदिक दवाइयां भी मिला देते हैं, हालांकि इन दवाइयों से लोगों को कुछ क्षण के लिए तो आराम मिलता है लेकिन फिर इसका साइड इफैक्ट्स शुरू हो जाता है। और देश को कुछ लोग धर्म और धार्मिक की आड़ में लूट रहे हैं। और संस्कृति को नष्ट करने में लगे हुए हैं।    

बाइट - डॉ प्रकाश टाटा, आयुर्वेदाचार्य


Conclusion:हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की प्रदेश सरकार भले ही राज्य को आयुष प्रदेश बनाने का हर संभव प्रयाश कर रही हो लेकिन इसके अच्छे परिणाम सामने नहीं दिखाई दे रहे है। हलाकि अब देखना होगा की त्रिवेंद्र सरकार सूबे को आयुष प्रदेश बनाने का सपना आखिर किस फॉर्मूले को इख्तियार कर साकार कर पायेगी?   
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