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कोरोना के बढ़ते मामलों से लोग खौफजदा, जानें क्या है अस्पतालों की स्थिति

प्रदेश में कोरोना के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. जिससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. लोगों को कोरोना और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर अभी भी जानकारी नहीं है.

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Published : Apr 23, 2021, 7:53 AM IST

Updated : Apr 23, 2021, 3:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. जिससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. लोगों को कोरोना और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर अभी भी जानकारी नहीं है. जिसको कारण लोगों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना के बढ़ते मामलों से लोग खौफजदा.


गौर हो कि कोरोना महामारी के दौरान में आम लोगों को क्या करना चाहिए. ऐसे हालात में अस्पताल कितने तैयार किए गए हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने जानकारी ली. प्रदेश में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर की कमी बताई जा रही है. सबसे पहले आपको बता दें कि राज्य में फिलहाल इसको लेकर क्या व्यवस्था है.


उत्तराखंड में आइसोलेशन बेड की स्थिति

आइसोलेशन बेडवर्तमान में खाली बेड
10375 9388


उत्तराखंड में ऑक्सीजन बेड की स्थिति

ऑक्सीजन बेड वर्तमान में खाली बेड
3781 1973


उत्तराखंड में आईसीयू बेड की स्थिति

आईसीयू बेड वर्तमान में खाली बेड
706 301


उत्तराखंड में वेंटिलेटर की स्थिति

आइसोलेशन बेडवर्तमान में खाली बेड
773 346


वहीं, प्रदेश में रेमडेसीवीर इंजेक्शन की उपलब्धता बेहद कम थी, लेकिन केंद्र से अब 13,500 इंजेक्शन राज्य को मिल रहे हैं.


इन आंकड़ों को देखकर आपको प्रदेश में सब कुछ ठीक होने का अनुमान या अंदाजा लग गया होगा. लेकिन हकीकत में राज्य में फिलहाल दिक्कतें बनी हुई है. बता दें कि राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा कोरोना के एक्टिव मरीज हैं और मौत का आंकड़ा भी सबसे ज्यादा है.

देहरादून में कोरोना एक्टिव मरीज की संख्याकुल मौत का आंकड़ा
9798 1119

लिहाजा सबसे ज्यादा कमी राजधानी देहरादून में बनी हुई है. यहां पर ऑक्सीजन बेड फुल हैं. आईसीयू भी फुल हो चुके हैं और वेंटीलेटर भी करीब-करीब फुल होने की तरफ है. आइसोलेशन बेड कि यहां पर्याप्त संख्या है. देहरादून में यह स्थिति इसलिए भी हुई है क्योंकि यहां पर न केवल उत्तराखंड बल्कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के मरीज भी पहुंच रहे हैं.

डॉक्टरों ने कोरोना को लेकर कई यह बातें

चिकित्सकों के अनुसार इस बार हालात इसलिए भी खराब हुए हैं, क्योंकि पिछले साल कोरोना के मामले मौजूदा स्थिति तक आने में 6 महीने का समय चिकित्सकों को मिल गया था. लेकिन इस बार 10 गुना तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं और इस बार महज दो हफ्तों में इतने केस बढ़े हैं. खास बात यह है कि इस बार गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा है और इसमें युवा भी शामिल हैं. गंभीर रूप से मामले बढ़ने और मौत दर ज्यादा होने के पीछे चिकित्सक मानते हैं कि इस बार ट्रिपल म्युटेंट का प्रकोप है और इस बार ऑक्सीजन का लेवल अचानक मरीजों में कम हो रहा है. फेफड़ों में संक्रमण 3 दिनों में ही मरीज की मौत हो रही है. इसके अलावा होम आइसोलेशन वाले मरीज देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और इस कारण भी मौत का प्रतिशत ज्यादा है.


अगर किसी मरीज को सामान्य संक्रमण है और उसे निजी अस्पताल में भर्ती होना है तो अब निजी अस्पताल होटल में भी सामान्य संक्रमण वाले मरीजों को इलाज की सुविधा दे रहे हैं. इसमें मैक्स, सिनर्जी और सीएमआई हॉस्पिटल शामिल है. इसके अलावा एम्स ऋषिकेश भी गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में जल्द ही रुकने की सुविधा और इलाज की सुविधा देने जा रहा है.
राज्य सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर

कोरोना संक्रमण के दौरान या स्वास्थ्य सुविधा को लेकर किसी भी जानकारी के लिए राज्य सरकार की तरफ से 104 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. इस नंबर पर कोरोना संक्रमण लेकर स्वास्थ्य संबंधी कोई भी जानकारी ली जा सकती है. यह सेवा मरीजों और आम लोगों के लिए 24 घंटे उपलब्ध है. इसके अलावा जिलाधिकारी कार्यालय, सीएमओ कार्यालय पुलिस कंट्रोल रूम 112 और एंबुलेंस सेवा 108 पर भी कॉल की जा सकती है. इसके अलावा होम आइसोलेशन के लिए https://dsclservices.org.in/self isolation.php पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. उधर स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी ली जा सकती हैं.


ईसंजीवनी योजना के तहक डॉक्टरों से घर बैठे ले सकेंगे राय

ईसंजीवनी का भी आम लोग उपयोग कर सकते हैं यानी घर बैठे चिकित्सकों की राय भी ली जा सकती है. इसमें 94120 80622 व्हाट्सएप नंबर के जरिए लोग ईसंजीवनी योजना के तहत ऑनलाइन चिकित्सकों का परामर्श ले सकते हैं. साथ ही www.esanjeevaniopd.in/register के जरिए भी इस सेवा का लाभ लिया जा सकता है.

मरीज को अगर कोरोना के कुछ भी लक्षण महसूस होते हैं तो वह फौरन सरकारी, निजी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में अपना आरटी पीसीआर टेस्ट करवा सकता है. फिलहाल मामले बढ़ने के कारण कोरोना की रिपोर्ट में 2 दिन से भी ज्यादा का वक्त लग रहा है. लिहाजा संक्रमण की जांच कराने के साथ ही मरीज स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करते हुए शेड्यूल में दी गई दवाइयों का सेवन शुरू कर सकता है. इसके लिए मरीज होम आइसोलेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोरोना के भी स्वास्थ्य विभाग से पा सकता है.


सामान्य संक्रमण की स्थिति में ही मरीज होम आइसोलेशन में रह सकता है. अगर मरीज को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही है या स्वास्थ्य के लिहाज से ज्यादा समस्या आ रही है तो मरीज फौरन निजी या सरकारी अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श ले सकता है.

सरकार की ओर से कोरोना मरीजों के लिए तीन सेंटर तैयार किए गए हैं.

1- पहला जहां सामान्य रूप से संक्रमित मरीज को रखा जाता है.

2- दूसरा अस्पतालों में मौजूद कोविड-19 के लिए रखे गए बेड हैं.

3- तीसरा डेडीकेटेड अस्पताल में सीवियर मामलों को देखने के लिए व्यवस्था की गई है.


अगर कोई व्यक्ति मेडिकल ऑक्सीजन को अपने घर में प्रयोग करना चाहता है तो उसके लिए निजी ऑक्सीजन विक्रेता से ऑक्सीजन सिलेंडर लिए जा सकते हैं. हालांकि इसके लिए क्या रेट होंगे. यह राज्य सरकार की तरफ से तय नहीं किया गया है, और इसीलिए बाजार में ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी की संभावना बढ़ गई है. वैसे इस स्थिति में मरीज या तीमारदार ड्रग कंट्रोलर को इसकी शिकायत कर सकता है.

पढ़ें: रामनगर: कुंभ ड्यूटी से लौटे 10 पुलिसकर्मियों सहित 90 कोरोना पॉजिटिव मिले

राज्य में सरकारी अस्पतालों में कोरोना का इलाज पूरी तरह से मुक्त रखा गया है. लेकिन निजी अस्पतालों में इसके लिए फीस ली जा रही है, राज्य सरकार की तरफ से कोरोना की इस दूसरी लहर में निजी अस्पतालों के लिए मरीजों से वसूली को लेकर कोई रेट तय नहीं किए गए हैं. हालांकि सरकार की तरफ से निजी अस्पतालों को मरीजों से कम से कम फीस लेने के लिए निर्देशित किया गया है. राज्य सरकार की तरफ से अब 70% बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित करने के निर्देश भी दिए गए हैं.


राज्य सरकार की तरफ से ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने के मद्देनजर कुछ जरूरी कदम उठाए गए हैं, लिहाजा इसी हफ्ते से प्रदेश में करीब 1500 अतिरिक्त ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था किए जाने का दावा किया गया है. गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी तो अब यह प्रदेश के लिए पर्याप्त संख्या मानी जा रही है.

पढ़ें: गढ़वाल विवि ने स्थगित की UG, PG की परीक्षा, कोरोना के चलते लिया फैसला

राजधानी देहरादून में आईसीयू और ऑक्सीजन बेड की समस्या की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि लोगों में अब कोरोना को लेकर मौत दर बढ़ने के कारण ज्यादा डर है ऐसे भी लोग सामान्य रूप से संक्रमित होने पर भी ऑक्सीजन बेड की डिमांड कर रहे हैं और इससे गंभीर रूप से पीड़ित मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा. राज्य में वैक्सीन की जरूरत को भी करीब-करीब पूरा किया जा रहा है. फिलहाल 50,000 वैक्सीन की डोज राज्य को मिली है. अब 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को भी वैक्सीन लगाई जा सकेगी.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. जिससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. लोगों को कोरोना और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर अभी भी जानकारी नहीं है. जिसको कारण लोगों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना के बढ़ते मामलों से लोग खौफजदा.


गौर हो कि कोरोना महामारी के दौरान में आम लोगों को क्या करना चाहिए. ऐसे हालात में अस्पताल कितने तैयार किए गए हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने जानकारी ली. प्रदेश में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर की कमी बताई जा रही है. सबसे पहले आपको बता दें कि राज्य में फिलहाल इसको लेकर क्या व्यवस्था है.


उत्तराखंड में आइसोलेशन बेड की स्थिति

आइसोलेशन बेडवर्तमान में खाली बेड
10375 9388


उत्तराखंड में ऑक्सीजन बेड की स्थिति

ऑक्सीजन बेड वर्तमान में खाली बेड
3781 1973


उत्तराखंड में आईसीयू बेड की स्थिति

आईसीयू बेड वर्तमान में खाली बेड
706 301


उत्तराखंड में वेंटिलेटर की स्थिति

आइसोलेशन बेडवर्तमान में खाली बेड
773 346


वहीं, प्रदेश में रेमडेसीवीर इंजेक्शन की उपलब्धता बेहद कम थी, लेकिन केंद्र से अब 13,500 इंजेक्शन राज्य को मिल रहे हैं.


इन आंकड़ों को देखकर आपको प्रदेश में सब कुछ ठीक होने का अनुमान या अंदाजा लग गया होगा. लेकिन हकीकत में राज्य में फिलहाल दिक्कतें बनी हुई है. बता दें कि राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा कोरोना के एक्टिव मरीज हैं और मौत का आंकड़ा भी सबसे ज्यादा है.

देहरादून में कोरोना एक्टिव मरीज की संख्याकुल मौत का आंकड़ा
9798 1119

लिहाजा सबसे ज्यादा कमी राजधानी देहरादून में बनी हुई है. यहां पर ऑक्सीजन बेड फुल हैं. आईसीयू भी फुल हो चुके हैं और वेंटीलेटर भी करीब-करीब फुल होने की तरफ है. आइसोलेशन बेड कि यहां पर्याप्त संख्या है. देहरादून में यह स्थिति इसलिए भी हुई है क्योंकि यहां पर न केवल उत्तराखंड बल्कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के मरीज भी पहुंच रहे हैं.

डॉक्टरों ने कोरोना को लेकर कई यह बातें

चिकित्सकों के अनुसार इस बार हालात इसलिए भी खराब हुए हैं, क्योंकि पिछले साल कोरोना के मामले मौजूदा स्थिति तक आने में 6 महीने का समय चिकित्सकों को मिल गया था. लेकिन इस बार 10 गुना तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं और इस बार महज दो हफ्तों में इतने केस बढ़े हैं. खास बात यह है कि इस बार गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा है और इसमें युवा भी शामिल हैं. गंभीर रूप से मामले बढ़ने और मौत दर ज्यादा होने के पीछे चिकित्सक मानते हैं कि इस बार ट्रिपल म्युटेंट का प्रकोप है और इस बार ऑक्सीजन का लेवल अचानक मरीजों में कम हो रहा है. फेफड़ों में संक्रमण 3 दिनों में ही मरीज की मौत हो रही है. इसके अलावा होम आइसोलेशन वाले मरीज देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और इस कारण भी मौत का प्रतिशत ज्यादा है.


अगर किसी मरीज को सामान्य संक्रमण है और उसे निजी अस्पताल में भर्ती होना है तो अब निजी अस्पताल होटल में भी सामान्य संक्रमण वाले मरीजों को इलाज की सुविधा दे रहे हैं. इसमें मैक्स, सिनर्जी और सीएमआई हॉस्पिटल शामिल है. इसके अलावा एम्स ऋषिकेश भी गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में जल्द ही रुकने की सुविधा और इलाज की सुविधा देने जा रहा है.
राज्य सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर

कोरोना संक्रमण के दौरान या स्वास्थ्य सुविधा को लेकर किसी भी जानकारी के लिए राज्य सरकार की तरफ से 104 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. इस नंबर पर कोरोना संक्रमण लेकर स्वास्थ्य संबंधी कोई भी जानकारी ली जा सकती है. यह सेवा मरीजों और आम लोगों के लिए 24 घंटे उपलब्ध है. इसके अलावा जिलाधिकारी कार्यालय, सीएमओ कार्यालय पुलिस कंट्रोल रूम 112 और एंबुलेंस सेवा 108 पर भी कॉल की जा सकती है. इसके अलावा होम आइसोलेशन के लिए https://dsclservices.org.in/self isolation.php पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. उधर स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी ली जा सकती हैं.


ईसंजीवनी योजना के तहक डॉक्टरों से घर बैठे ले सकेंगे राय

ईसंजीवनी का भी आम लोग उपयोग कर सकते हैं यानी घर बैठे चिकित्सकों की राय भी ली जा सकती है. इसमें 94120 80622 व्हाट्सएप नंबर के जरिए लोग ईसंजीवनी योजना के तहत ऑनलाइन चिकित्सकों का परामर्श ले सकते हैं. साथ ही www.esanjeevaniopd.in/register के जरिए भी इस सेवा का लाभ लिया जा सकता है.

मरीज को अगर कोरोना के कुछ भी लक्षण महसूस होते हैं तो वह फौरन सरकारी, निजी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में अपना आरटी पीसीआर टेस्ट करवा सकता है. फिलहाल मामले बढ़ने के कारण कोरोना की रिपोर्ट में 2 दिन से भी ज्यादा का वक्त लग रहा है. लिहाजा संक्रमण की जांच कराने के साथ ही मरीज स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करते हुए शेड्यूल में दी गई दवाइयों का सेवन शुरू कर सकता है. इसके लिए मरीज होम आइसोलेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोरोना के भी स्वास्थ्य विभाग से पा सकता है.


सामान्य संक्रमण की स्थिति में ही मरीज होम आइसोलेशन में रह सकता है. अगर मरीज को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही है या स्वास्थ्य के लिहाज से ज्यादा समस्या आ रही है तो मरीज फौरन निजी या सरकारी अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श ले सकता है.

सरकार की ओर से कोरोना मरीजों के लिए तीन सेंटर तैयार किए गए हैं.

1- पहला जहां सामान्य रूप से संक्रमित मरीज को रखा जाता है.

2- दूसरा अस्पतालों में मौजूद कोविड-19 के लिए रखे गए बेड हैं.

3- तीसरा डेडीकेटेड अस्पताल में सीवियर मामलों को देखने के लिए व्यवस्था की गई है.


अगर कोई व्यक्ति मेडिकल ऑक्सीजन को अपने घर में प्रयोग करना चाहता है तो उसके लिए निजी ऑक्सीजन विक्रेता से ऑक्सीजन सिलेंडर लिए जा सकते हैं. हालांकि इसके लिए क्या रेट होंगे. यह राज्य सरकार की तरफ से तय नहीं किया गया है, और इसीलिए बाजार में ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी की संभावना बढ़ गई है. वैसे इस स्थिति में मरीज या तीमारदार ड्रग कंट्रोलर को इसकी शिकायत कर सकता है.

पढ़ें: रामनगर: कुंभ ड्यूटी से लौटे 10 पुलिसकर्मियों सहित 90 कोरोना पॉजिटिव मिले

राज्य में सरकारी अस्पतालों में कोरोना का इलाज पूरी तरह से मुक्त रखा गया है. लेकिन निजी अस्पतालों में इसके लिए फीस ली जा रही है, राज्य सरकार की तरफ से कोरोना की इस दूसरी लहर में निजी अस्पतालों के लिए मरीजों से वसूली को लेकर कोई रेट तय नहीं किए गए हैं. हालांकि सरकार की तरफ से निजी अस्पतालों को मरीजों से कम से कम फीस लेने के लिए निर्देशित किया गया है. राज्य सरकार की तरफ से अब 70% बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित करने के निर्देश भी दिए गए हैं.


राज्य सरकार की तरफ से ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने के मद्देनजर कुछ जरूरी कदम उठाए गए हैं, लिहाजा इसी हफ्ते से प्रदेश में करीब 1500 अतिरिक्त ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था किए जाने का दावा किया गया है. गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी तो अब यह प्रदेश के लिए पर्याप्त संख्या मानी जा रही है.

पढ़ें: गढ़वाल विवि ने स्थगित की UG, PG की परीक्षा, कोरोना के चलते लिया फैसला

राजधानी देहरादून में आईसीयू और ऑक्सीजन बेड की समस्या की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि लोगों में अब कोरोना को लेकर मौत दर बढ़ने के कारण ज्यादा डर है ऐसे भी लोग सामान्य रूप से संक्रमित होने पर भी ऑक्सीजन बेड की डिमांड कर रहे हैं और इससे गंभीर रूप से पीड़ित मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा. राज्य में वैक्सीन की जरूरत को भी करीब-करीब पूरा किया जा रहा है. फिलहाल 50,000 वैक्सीन की डोज राज्य को मिली है. अब 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को भी वैक्सीन लगाई जा सकेगी.

Last Updated : Apr 23, 2021, 3:55 PM IST
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