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उत्तराखंड के वनों में धार्मिक स्थलों की भरमार, रिपोर्ट देख चौंकी सरकार - धार्मिक स्थलों का सर्वे

उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में चोरी छिपे धार्मिक स्थल बनाए जाने को लेकर खूब हो हल्ला मचा है. सरकार को इसका संज्ञान लेकर जांच करानी पड़ी. फिलहाल जो रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार वाकई उत्तराखंड के वनों में अनेक धार्मिक स्थल बनाए गए हैं. क्या है ये पूरा माजरा, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

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Published : Sep 17, 2022, 9:29 AM IST

Updated : Sep 17, 2022, 11:35 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों की बढ़ती मौजूदगी पिछले दिनों चर्चाओं का सबब रही. हालत यह रही कि खुद शासन को भी इसका संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश करने पड़े. फिलहाल वन विभाग ने इसको लेकर राष्ट्रीय पार्कों को छोड़कर बाकी सर्वे का काम पूरा कर लिया है. जिसके बाद प्रदेशभर में अधिकतर वन क्षेत्र में बने धार्मिक स्थलों का आंकड़ा सामने आ चुका है. खबर है कि मौजूदा रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंचाया गया है.

वनों में धार्मिक स्थलों का सर्वे: उत्तराखंड में कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी पार्क को छोड़ दिया जाए तो बाकी फॉरेस्ट क्षेत्रों में बने धार्मिक स्थलों का पूरा सर्वे कर लिया गया है. आपको बता दें कि पिछले दिनों वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी. इसको लेकर विभिन्न स्तर पर आई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए शासन ने भी गंभीरता दिखाई थी. मामले पर वन विभाग कई दिनों से सर्वे कर वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को लेकर मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट पार्क में किसकी घुसपैठ? कैसे बन गईं कथित मजारें? जानें सबकुछ

भू कानून कमेटी ने भी की सिफारिश: फिलहाल महकमे ने अधिकतर क्षेत्रों में जांच का काम पूरा कर लिया है और धार्मिक स्थलों को लेकर कॉर्बेट और राजाजी नेशनल पार्क के अलावा बाकी क्षेत्रों के आंकड़े जुटाए गए हैं. फिलहाल वन विभाग इन राष्ट्रीय पार्कों में भी सर्वे में जुटा हुआ है और इसके बाद एक फाइनल रिपोर्ट तैयार कर शासन को भी भेजी जाएगी. हालांकि इसकी आधिकारिक रिपोर्ट सामने आए इससे पहले ही भू कानून को लेकर बनी कमेटी (land law committee) ने वन क्षेत्रों समेत विभिन्न जगहों पर धार्मिक स्थल तैयार किए जाने को लेकर अपनी कुछ खास संस्तुतियां भी की हैं.

वनों में धार्मिक स्थलों की भरमार: वन क्षेत्रों में विभाग के अधिकारियों की तरफ से की गई विस्तृत जांच के बाद कुछ खास आंकड़े सामने आए हैं. ईटीवी भारत के पास मौजूद जानकारी के अनुसार फिलहाल विभाग के अधिकारी राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी धार्मिक स्थलों को लेकर गणना के कार्य में जुटे हैं. लेकिन इसके अलावा पूरे प्रदेश से आई रिपोर्ट के अनुसार वन क्षेत्रों में मंदिरों की संख्या 155 पाई गई है. उधर वन क्षेत्र में करीब 12 मजारें चिन्हित की गई हैं. यही नहीं 02 गुरुद्वारे भी वन क्षेत्र में मौजूद है.

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उत्तराखंड के वनों में कितने धार्मिक स्थल

पूर्व में आशंका व्यक्त की गई थी कि फॉरेस्ट एरिया में कुछ नए धार्मिक स्थलों के निर्माण किए जा रहे हैं और इनकी संख्या काफी ज्यादा है. लेकिन अब तक की जांच में उन सभी आशंकाओं को गलत पाया गया है. वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि जिन मंदिरों, गुरुद्वारे या मजारों को चिन्हित किया गया है, उनमें अधिकतर ऐसे हैं जिन की स्थापना प्राचीन काल में कई गयी होगी.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में मजार पर सियासत! कांग्रेस ने कार्रवाई को बताया चिंताजनक, बीजेपी ने किया घेराव

प्रमुख वन संरक्षक का ये कहना है: उधर आशंका ये भी व्यक्त की गई है कि राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में करीब 10 से 12 मजारें हो सकती हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो नए धार्मिक स्थल वन क्षेत्र में स्थापित करने को लेकर जो संभावनाएं व्यक्त की जा रही थी वह सही नहीं दिखाई देतीं. हालांकि वन विभाग के अधिकारी कुछ सीमित धार्मिक स्थलों के वन क्षेत्र में स्थापित होने की बात से भी इंकार नहीं कर रहे हैं. लेकिन इसकी स्पष्ट स्थिति राष्ट्रीय पार्कों में सर्वे के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी. उधर प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल कहते हैं कि धार्मिक स्थलों की सूचनाओं को फिलहाल संकलित किया जा रहा है. कुछ क्षेत्रों की सूचनाएं एकत्रित की जा चुकी हैं. लेकिन फिलहाल इंतजार सभी क्षेत्रों की सूचनाएं मिलने का है, जिसके बाद रिपोर्ट तैयार कर दी जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों की बढ़ती मौजूदगी पिछले दिनों चर्चाओं का सबब रही. हालत यह रही कि खुद शासन को भी इसका संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश करने पड़े. फिलहाल वन विभाग ने इसको लेकर राष्ट्रीय पार्कों को छोड़कर बाकी सर्वे का काम पूरा कर लिया है. जिसके बाद प्रदेशभर में अधिकतर वन क्षेत्र में बने धार्मिक स्थलों का आंकड़ा सामने आ चुका है. खबर है कि मौजूदा रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंचाया गया है.

वनों में धार्मिक स्थलों का सर्वे: उत्तराखंड में कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी पार्क को छोड़ दिया जाए तो बाकी फॉरेस्ट क्षेत्रों में बने धार्मिक स्थलों का पूरा सर्वे कर लिया गया है. आपको बता दें कि पिछले दिनों वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी. इसको लेकर विभिन्न स्तर पर आई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए शासन ने भी गंभीरता दिखाई थी. मामले पर वन विभाग कई दिनों से सर्वे कर वन क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को लेकर मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर रहा है.
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भू कानून कमेटी ने भी की सिफारिश: फिलहाल महकमे ने अधिकतर क्षेत्रों में जांच का काम पूरा कर लिया है और धार्मिक स्थलों को लेकर कॉर्बेट और राजाजी नेशनल पार्क के अलावा बाकी क्षेत्रों के आंकड़े जुटाए गए हैं. फिलहाल वन विभाग इन राष्ट्रीय पार्कों में भी सर्वे में जुटा हुआ है और इसके बाद एक फाइनल रिपोर्ट तैयार कर शासन को भी भेजी जाएगी. हालांकि इसकी आधिकारिक रिपोर्ट सामने आए इससे पहले ही भू कानून को लेकर बनी कमेटी (land law committee) ने वन क्षेत्रों समेत विभिन्न जगहों पर धार्मिक स्थल तैयार किए जाने को लेकर अपनी कुछ खास संस्तुतियां भी की हैं.

वनों में धार्मिक स्थलों की भरमार: वन क्षेत्रों में विभाग के अधिकारियों की तरफ से की गई विस्तृत जांच के बाद कुछ खास आंकड़े सामने आए हैं. ईटीवी भारत के पास मौजूद जानकारी के अनुसार फिलहाल विभाग के अधिकारी राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी धार्मिक स्थलों को लेकर गणना के कार्य में जुटे हैं. लेकिन इसके अलावा पूरे प्रदेश से आई रिपोर्ट के अनुसार वन क्षेत्रों में मंदिरों की संख्या 155 पाई गई है. उधर वन क्षेत्र में करीब 12 मजारें चिन्हित की गई हैं. यही नहीं 02 गुरुद्वारे भी वन क्षेत्र में मौजूद है.

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उत्तराखंड के वनों में कितने धार्मिक स्थल

पूर्व में आशंका व्यक्त की गई थी कि फॉरेस्ट एरिया में कुछ नए धार्मिक स्थलों के निर्माण किए जा रहे हैं और इनकी संख्या काफी ज्यादा है. लेकिन अब तक की जांच में उन सभी आशंकाओं को गलत पाया गया है. वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि जिन मंदिरों, गुरुद्वारे या मजारों को चिन्हित किया गया है, उनमें अधिकतर ऐसे हैं जिन की स्थापना प्राचीन काल में कई गयी होगी.
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प्रमुख वन संरक्षक का ये कहना है: उधर आशंका ये भी व्यक्त की गई है कि राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में करीब 10 से 12 मजारें हो सकती हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो नए धार्मिक स्थल वन क्षेत्र में स्थापित करने को लेकर जो संभावनाएं व्यक्त की जा रही थी वह सही नहीं दिखाई देतीं. हालांकि वन विभाग के अधिकारी कुछ सीमित धार्मिक स्थलों के वन क्षेत्र में स्थापित होने की बात से भी इंकार नहीं कर रहे हैं. लेकिन इसकी स्पष्ट स्थिति राष्ट्रीय पार्कों में सर्वे के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी. उधर प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल कहते हैं कि धार्मिक स्थलों की सूचनाओं को फिलहाल संकलित किया जा रहा है. कुछ क्षेत्रों की सूचनाएं एकत्रित की जा चुकी हैं. लेकिन फिलहाल इंतजार सभी क्षेत्रों की सूचनाएं मिलने का है, जिसके बाद रिपोर्ट तैयार कर दी जाएगी.

Last Updated : Sep 17, 2022, 11:35 AM IST
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