विकासनगरः यमुनोत्री हाईवे पर कटापत्थर के पास मां भद्रकाली का मंदिर स्थित है. जिसकी पौराणिक मान्यताएं काफी प्रसिद्ध हैं. इस मंदिर का रहस्य पांडवों से भी जुड़ा है. यही वजह है कि देश विदेश से चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में हाजिरी लगाना नहीं भूलते. श्रद्धालु मां के दरबार में शीश नवाकर ही आगे की यात्रा का शुभारंभ करते हैं. जिससे उनकी यात्रा मंगलमय और सफल हो.
बता दें कि देहरादून जिले से करीब 79 किलोमीटर की दूरी पर विकासनगर-जुड्डो-यमुनोत्री मार्ग पर कटापत्थर के पास मां भद्रकाली का मंदिर मौजूद है. जहां से यात्री अपने चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हैं. देश के कोने-कोने से आए सैलानी और यात्री भी मां के दरबार में शीश नवाते हैं. भद्रकाली मंदिर की देखरेख और पूजा पाठ आदि का काम बीती 54 सालों से जूना अखाड़े के संत जमुना गिरी महाराज करते आ रहे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मां भद्रकाली मंदिर के महंत जमुना गिरी महाराज ने मंदिर की विशेषता और धार्मिक महत्व की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का निर्माण दक्षिण काली मंदिर के नाम से राजा आनंद पाल ने करवाया था. मंदिर के अंदर ही करीब 20 फीट की एक पिंडी है. जब इसकी खुदाई की गई तो 11 फीट की गहराई पर भगवान गणेश की पत्थर की मूर्ति निकली.
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इसके अलावा मंदिर में नाग, हनुमान, शिव शक्ति आदि देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. जो कि प्राचीन पत्थर की मूर्तियां हैं, जो मंदिर में विराजमान हैं. इस मंदिर के आसपास जब खुदाई की गई तो कई पत्थर के कई शिवलिंग भी मिले, जो मंदिर के पीछे रखे गए हैं. उन्होंने बताया कि अज्ञात काल के दौरान पांडव कटापत्थर स्थित भद्रकाली मंदिर में रुके. उस दौरान पांडवों को एक भविष्यवाणी हुई थी कि लाखों शिवलिंगों को स्थापित करने पर उन्हें शिव के दर्शन होंगे. भीम ने शिवलिंगों का निर्माण किया, लेकिन पांडव लाखों शिवलिंग स्थापित नहीं कर सके.
महंत जमुना गिरी महाराज ने बताया कि मंदिर के नीचे से सुरंग बैराट खाई और लाखामंडल में निकलती है. यहां से अज्ञातवास के दौरान पांडव बैराट खाई होते हुए लाखामंडल निकले थे. जहां पर लाखों शिवलिंगों का निर्माण किया गया. लाखामंडल में जो शिवलिंग हैं, वो खुदाई में मिले. उन्होंने बताया कि लाखामंडल से पांडव केदार की ओर निकले थे. उन्होंने कहना है कि भद्रकाली मंदिर की सुरंगों को कई साल पहले बंद कर दिया गया था.
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मां भद्रकाली मंदिर के संत जमुना गिरी महाराज ने बताया कि यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. कालसी, हरिपुर और आसपास क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि हरिद्वार से भी बड़ा धाम कालसी का यमुना तट है. यहीं से अनादि काल से चारधाम यात्री यात्रा के लिए निकलते थे. आज भी इस स्थान का काफी धार्मिक महत्व है.