देहरादून: देश में नए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट (MV Act) लागू होने के बाद उत्तराखंड में ट्रैफिक चालान वसूली में रिकॉर्ड स्तर पर इजाफा हुआ है. बीते दो वर्षों की तुलना में साल 2020 (कोरोना काल) में भले ही चालान काटने की संख्या बीते वर्षों की अपेक्षा मात्र 40 फीसदी रही हो लेकिन नए एमवी एक्ट के अंतर्गत इस वर्ष चालान वसूली ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि सरकार अपना टारगेट पूरा करने के लिए तो ये वसूली नहीं कर रही?
ट्रैफिक चालान वसूली सरकार राजस्व कमाने का जरिया: जानकार
वहीं, ट्रैफिक चालान मामले में जानकारों के मुताबिक, सरकार ने ट्रैफिक चालान वसूली मात्र राजस्व एकत्र करने का जरिया बनाया है. इसके लिए बकायदा ट्रैफिक पुलिस सीपीयू सहित थाना/ चौकियों को प्रतिदिन अधिक से अधिक चालान टारगेट दिया जाता है, ताकि वसूल कर सरकारी खजाने को भरा जा सके, जबकि कुल चालान वसूली से रोड सेफ्टी के लिए मिलने वाली 25 फीसदी धनराशि होती है जो 'सड़क सुरक्षा' के लिए नाकाफी है.
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कुछ साल पहले राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें ट्रैफिक चालान वसूली के कुल धनराशि से 25 फीसदी का राजस्व सड़क सुरक्षा निधि को दिया जाता है. इसमें तीन एजेंसी को धनराशि मिलती है जिसमें- परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग और उत्तराखंड ट्रैफिक पुलिस. इन तीनों एजेंसी का काम मिलने वाली धनराशि से राज्य के अलग-अलग सड़कों को सुरक्षित करने की दिशा में डेंजर जोन चिन्हित कर उन्हें सूचित करना होता है, लेकिन इस दिशा में मात्र 25 फीसदी मिलने वाला फंड रोड सेफ्टी के लिए नाकाफी माना जा रहा है.
इन आंकड़ों पर गौर करें तो भले चालान काटने की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में साल 2020 में लगभग 40% ही रही हो, लेकिन जुर्माने की राशि 100 रुपये की जगह 500 हो जाने से ट्रैफिक चालान वसूली के रूप में राज्य सरकार के खजाना में खूब राजस्व आ रहा है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि भारी संख्या में टारगेट अनुसार ट्रैफिक चालान वसूल कर सरकार अपने खस्ताहाल राजस्व को बढ़ाने में जुटी है.
रोड सेफ्टी के लिए मिलती है 25 फीसदी धनराशि
उत्तराखंड में ट्रैफिक चालान वसूली भले ही साल दर साल रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ती जा रही हो लेकिन यातायात व्यवस्था को दुरुस्त कर सड़क सुरक्षा बेहतर करने में राज्य सरकार का कोई विशेष ध्यान नहीं है, जबकि पूरे साल भर की ट्रैफिक चालान वसूली की कुल धनराशि से 25 फीसदी का राजस्व रोड सेफ्टी फंड में दिया जाता है, लेकिन यह सड़क सुरक्षा के लिहाज से काफी कम माना जा रहा है. ऐसे में जानकारों की माने तो ट्रैफिक चालान से मिलने वाली धनराशि से रोड सेफ्टी फंड को सरकार को बढ़ाना होगा, ताकि पब्लिक से वसूला गया पैसा, सड़क सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करने की दिशा में सही रूप में लगाया जा सके.
ट्रैफिक चालान राजस्व वसूली का जरिया बनाया: जानकार
वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का मानना है कि ट्रैफिक चालान वसूली सरकार के राजस्व बढ़ाने का एक बड़ा माध्यम बनती जा रही है. एमवी एक्ट संशोधन से ही राजस्व लगातार साल दर साल कई गुना बढ़ता जा रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार को अपनी माली हालत सुधारने के लिए सिर्फ चालान वसूली पर ही ध्यान नहीं देना होगा बल्कि इससे मिलने वाली धनराशि 25 प्रतिशत बढ़ाकर उसे सड़क सुरक्षा निधि में भी खर्च करना होगा.