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Uttarakhand Land Law: धर्म स्थलों के बारे में ये है भू कानून समिति की रिपोर्ट, लागू हुई तो समझिए...

उत्तराखंड में भू कानून समिति की रिपोर्ट धार्मिक लिहाज से भी बेहद खास है. दरअसल, समिति ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक स्थलों को लेकर पाबंदी से जुड़ी संस्तुतियां की हैं. यूं तो रिपोर्ट में किसी धर्म विशेष का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा सरकार इन मामलों पर किसी नए विवाद में घिर सकती है. ये विवाद उस धर्म विशेष से जुड़े मुद्दों को लेकर संभव है, जिसकी शिकायतें पूर्व में धामी सरकार को मिली थीं. सरकार ने इस पर जांच के निर्देश भी दिए थे. क्या है यह पूरा मामला समझिए.

Land Law in uttarakhand
भू कानून
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Published : Sep 10, 2022, 10:12 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार राज्य में सख्त भू कानून (strict land laws in uttarakhand) लागू करती है तो न केवल बाहरी राज्यों के लोगों पर जमीन खरीदने की रोक लग सकेगी, बल्कि धार्मिक स्थलों को लेकर भी नियम बेहद कड़े हो जाएंगे. भू-कानून को लेकर बनी समिति की रिपोर्ट तो कुछ इसी ओर इशारा कर रही है. खास बात ये है कि समिति की रिपोर्ट में भले ही किसी धर्म विशेष का जिक्र ना हो लेकिन धार्मिक स्थलों से जुड़े इस मुद्दे पर कुछ आपत्तियां दर्ज की जा सकती है.

सबसे पहले आपको बता दें कि भू-कानून में वो कौन सी संस्तुतियां है, जो धार्मिक स्थलों से जुड़ी हुई है. दरअसल, रिपोर्ट के अंतिम बिंदुओं में धार्मिक प्रयोजन से भूमि खरीदने या निर्माण कार्य करने पर जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर ही शासन स्तर से निर्णय लिए जाने का सुझाव दिया गया है. इसके अलावा सरकारी भूमि या क्षेत्रों के साथ नदी नालों में अवैध कब्जे कर धार्मिक स्थल बनाने पर कठोर कार्रवाई करने की संस्तुति की गई है.

भू कानून समिति की रिपोर्ट में क्या खास ?

यही नहीं, उस विभाग से संबंधित अधिकारी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने का सुझाव देते हुए इसके खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान चलाने पर भी विचार करने के लिए रिपोर्ट में लिखा गया है. भू कानून से जुड़ी समिति की रिपोर्ट 80 पेज की है, जिसमें कुल 23 संस्तुतियां की गई हैं. इसमें से अंतिम 2 संस्तुतियां धार्मिक स्थलों से जुड़ी हैं.

वैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगस्त 2021 में भू कानून बनाने के लिए सुझाव हेतु 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कमेटी के गठन से पहले समिति के सदस्य अजेंद्र अजय ने ही पर्वतीय क्षेत्र में एक धर्म विशेष के लोगों की संख्या बढ़ने की बात कहते हुए इस पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा था. इसको लेकर एक समिति गठित करने की मांग की थी.

कौन हैं अजेंद्र अजय: अजेंद्र अजय भाजपा के वही नेता हैं, जिन्होंने केदारनाथ फिल्म का विरोध भी किया था. इसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने फिल्म पर बैन भी लगाया था. फिलहाल, अजेंद्र अजय बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं. उनके सुझाव के बाद ही भू कानून में धार्मिक स्थल से जुड़े बिंदु को शामिल किया गया है. ऐसे में एक धर्म विशेष पर इसके फोकस होने के आरोप लगना स्वाभाविक है.
पढ़ें- उत्तराखंड में भू कानून समिति की संस्तुतियों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कही ये बात

हालांकि, इस मामले पर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स कहते हैं कि अगर अवैध रूप से कोई भी धार्मिक स्थल बनाया गया होगा, तो उस पर कार्रवाई होनी ही चाहिए और यदि कोई व्यक्ति गलत सुझाव मुख्यमंत्री तक पहुंचा रहा है, तो उसको भी सरकार में स्पष्ट किया जाएगा.

वन क्षेत्रों में मजारों की संख्या बढ़ने का भी उठ चुका है मामला: उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में एकाएक मजारों की संख्या बढ़ने का भी मामला उठ चुका है. स्थिति यह है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल की तरफ से भी इस मामले में अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, अब तक इस जांच से जुड़ी रिपोर्ट का क्या हुआ, इस पर कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है.

जिस तरह एक धर्म विशेष से जुड़े धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ने की शिकायत के साथ जांच शुरू की गई थी. उसे सरकारी एजेंसियों ने भी काफी गंभीर माना था. सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे, इसके लिए इन मामलों पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. लेकिन भू-कानून के जरिए धार्मिक स्थलों के लिए जमीन खरीद और निर्माण पर पाबंदी से जुड़ी संस्तुतियों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार राज्य में सख्त भू कानून (strict land laws in uttarakhand) लागू करती है तो न केवल बाहरी राज्यों के लोगों पर जमीन खरीदने की रोक लग सकेगी, बल्कि धार्मिक स्थलों को लेकर भी नियम बेहद कड़े हो जाएंगे. भू-कानून को लेकर बनी समिति की रिपोर्ट तो कुछ इसी ओर इशारा कर रही है. खास बात ये है कि समिति की रिपोर्ट में भले ही किसी धर्म विशेष का जिक्र ना हो लेकिन धार्मिक स्थलों से जुड़े इस मुद्दे पर कुछ आपत्तियां दर्ज की जा सकती है.

सबसे पहले आपको बता दें कि भू-कानून में वो कौन सी संस्तुतियां है, जो धार्मिक स्थलों से जुड़ी हुई है. दरअसल, रिपोर्ट के अंतिम बिंदुओं में धार्मिक प्रयोजन से भूमि खरीदने या निर्माण कार्य करने पर जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर ही शासन स्तर से निर्णय लिए जाने का सुझाव दिया गया है. इसके अलावा सरकारी भूमि या क्षेत्रों के साथ नदी नालों में अवैध कब्जे कर धार्मिक स्थल बनाने पर कठोर कार्रवाई करने की संस्तुति की गई है.

भू कानून समिति की रिपोर्ट में क्या खास ?

यही नहीं, उस विभाग से संबंधित अधिकारी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने का सुझाव देते हुए इसके खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान चलाने पर भी विचार करने के लिए रिपोर्ट में लिखा गया है. भू कानून से जुड़ी समिति की रिपोर्ट 80 पेज की है, जिसमें कुल 23 संस्तुतियां की गई हैं. इसमें से अंतिम 2 संस्तुतियां धार्मिक स्थलों से जुड़ी हैं.

वैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगस्त 2021 में भू कानून बनाने के लिए सुझाव हेतु 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कमेटी के गठन से पहले समिति के सदस्य अजेंद्र अजय ने ही पर्वतीय क्षेत्र में एक धर्म विशेष के लोगों की संख्या बढ़ने की बात कहते हुए इस पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा था. इसको लेकर एक समिति गठित करने की मांग की थी.

कौन हैं अजेंद्र अजय: अजेंद्र अजय भाजपा के वही नेता हैं, जिन्होंने केदारनाथ फिल्म का विरोध भी किया था. इसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने फिल्म पर बैन भी लगाया था. फिलहाल, अजेंद्र अजय बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं. उनके सुझाव के बाद ही भू कानून में धार्मिक स्थल से जुड़े बिंदु को शामिल किया गया है. ऐसे में एक धर्म विशेष पर इसके फोकस होने के आरोप लगना स्वाभाविक है.
पढ़ें- उत्तराखंड में भू कानून समिति की संस्तुतियों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कही ये बात

हालांकि, इस मामले पर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स कहते हैं कि अगर अवैध रूप से कोई भी धार्मिक स्थल बनाया गया होगा, तो उस पर कार्रवाई होनी ही चाहिए और यदि कोई व्यक्ति गलत सुझाव मुख्यमंत्री तक पहुंचा रहा है, तो उसको भी सरकार में स्पष्ट किया जाएगा.

वन क्षेत्रों में मजारों की संख्या बढ़ने का भी उठ चुका है मामला: उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में एकाएक मजारों की संख्या बढ़ने का भी मामला उठ चुका है. स्थिति यह है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग के मुखिया विनोद सिंघल की तरफ से भी इस मामले में अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, अब तक इस जांच से जुड़ी रिपोर्ट का क्या हुआ, इस पर कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है.

जिस तरह एक धर्म विशेष से जुड़े धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ने की शिकायत के साथ जांच शुरू की गई थी. उसे सरकारी एजेंसियों ने भी काफी गंभीर माना था. सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे, इसके लिए इन मामलों पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. लेकिन भू-कानून के जरिए धार्मिक स्थलों के लिए जमीन खरीद और निर्माण पर पाबंदी से जुड़ी संस्तुतियों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है.

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