देहरादूनः प्रदेश में तेजी के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से एहतियातन सभी सीमाओं और रेलवे स्टेशन के साथ ही एयरपोर्ट पर एक बार फिर कोरोना की रैपिड एंटीजन जांच की शुरूआत की गई है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देहरादून रेलवे स्टेशन में यात्रियों की कोरोना जांच के नाम पर महज औपचारिकता पूरी की जा रही है. ऐसे में कोरोना फैलने से इनकार नहीं किया जा सकता है.
देहरादून रेलवे स्टेशन में आखिर किस तरह यात्रियों की कोविड-19 जा रही है? इसका जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता दून रेलवे स्टेशन पहुंची. जहां कोविड-19 लिए मौके पर मेडिकल टीम तो मौजूद जरूर हैं, लेकिन जब कुछ देर बाद ही रेलवे स्टेशन पहुंची लिंक एक्सप्रेस के यात्री स्टेशन से बाहर निकले तो इन यात्रियों की मेडिकल टीम की ओर से किसी तरह की कोई रैपिड एंटीजन जांच ही नहीं की गई. इसके साथ ही न ही किसी यात्री से उनकी कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट मांगी गई.
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रैपिड एंटीजन टेस्ट की किट ही नहीं तो कैसे होगा टेस्ट?
जब मौके पर मौजूद मेडिकल टीम के इंचार्ज सूरज से बात की तो उनका जवाब कुछ ऐसा था. जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाएगा. सूरज का कहना था कि कुंभ मेले और देहरादून में चल रहे झंडे जी मेले की वजह से भारी जाम लग रहा है. जिसकी वजह से उनके पास अब तक रैपिड एंटीजन टेस्ट की किट नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में यात्रियों को बिना रैपिड एंटीजन टेस्ट के ही भेजा जा रहा है.
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वहीं, रियलटी चेक के दौरान कुछ ही देर बाद देहरादून रेलवे स्टेशन में एक दूसरी तस्वीर देखने को मिली. यहां अचानक ही रेलवे स्टेशन में मौजूद मेडिकल टीम रेलवे स्टेशन के अंदर यात्रियों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के लिए पहुंच रही है. इस दौरान जब मौके पर मौजूद चीफ टिकट ऑफिसर चंदन सिंह तोमर से बात की तो उन्होंने बताया इस तरह की सूचना आई है कि एक कोच में मौजूद यात्रियों के पास कोविड-19 की जांच रिपोर्ट नहीं है. जिसकी वजह से इन यात्रियों का मौके पर ही मेडिकल टीम की ओर कोविड-19 टेस्ट किया जा रहा है.
बरहाल, देहरादून रेलवे स्टेशन में जिस तरह यात्रियों की कोरोना जांच हो रही है, उसने हमें भी यह सोचने को मजबूर कर दिया कि आखिर रेलवे स्टेशन में मौजूद मेडिकल टीम किस आधार पर कुछ यात्रियों का कोविड-19 कर रही है? जो तस्वीरें हमारे सामने उभर कर सामने आई हैं वो सीधे तौर पर जिला प्रशासन के साथ ही मौके पर मौजूद मेडिकल टीम के लापरवाह रवैये को उजागर करती है. वहीं, यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि शासन-प्रशासन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच आम जनमानस के स्वास्थ्य को लेकर कितनी संजीदा है.