देहरादून: लॉकडाउन के चौथे चरण में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और व्यापार को राहत देते हुए उत्तराखंड परिवहन विभाग ने सभी तरह के छोटे-बड़े सवारी वाहनों को तय मानकों के अनुसार अनुमति दे दी. हालांकि, इन वाहनों के संचालन में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजिंग जैसे अन्य नियमों की अनिवार्यता के साथ ही वाहनों में यात्रियों की संख्या 50 फीसदी रखने की शर्त लागू की गई है. लॉकडाउन 4.0 में छूट के बाद राजधानी में पहिए 'घूमे'. फिलहाल राजधानी की सड़कों पर ऑटो, ई-रिक्शा सहित छोटे पब्लिक वाहन ही चल रहे हैं. ऐसे में सड़कों पर निकलने वाले ये 'पब्लिक ट्रांसपोर्टर' कितने सावधान और कितने सतर्क हैं इसे लेकर ईटीवी भारत ने सड़कों पर उतर कर रियलिटी चेक किया...
ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक में देखा कि सभी ऑटो और ई रिक्शा चालक कोरोना बचाव को लेकर जागरूक नजर आए. सभी चालकों ने मास्क लगा रखे थे, हैंड सैनिटाइजर भी मौजूद मिला. एक-आध को छोड़कर सभी स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का पालन करते नजर आए. हालांकि, लॉकडाउन के नए नियमों के बाद किराया बढ़ना स्वाभाविक है. ऐसे में कुछ सवारियां किराए को लेकर चालक से बहस करती नजर आईं.
क्या बोले ऑटो चालक ?
ऑटो चालकों का कहना है कि सरकार की ओर से वाहन चलाने की अनुमति तो दे दी गई है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वाहन के संचालन में काफी परेशानी आ रही है. कोरोना के डर से लोग घरों से कम निकल रहे हैं और जो निकल रहे हैं वो ऑटो में बैठने से कतरा रहे हैं. ऐसे में उनकी गाड़ी का खर्चा निकलना मुश्किल भी है.
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स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन से अनजान रिक्शा चालक
वहीं, ईटीवी के रियलिटी चेक में कई ऑटो चालक स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन से अनजान नजर आए. कोरोना जैसे जानलेवा संक्रमण से बचाव को लेकर कई ऑटो चालकों के पास सैनिटाइजर को लेकर अन्य सावधानी भी कम देखने को मिली. वहीं, कुछ ऑटो चालकों के पास मास्क और सैनिटाइजर दोनों मौजूद मिले.
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में ऑटो और ई रिक्शा चालक कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक नजर आए. अधिकतर के पास मास्क और हैंड सैनिटाइजर मौजूद थे. हालांकि, लॉकडाउन के करीब 2 महीने बाद ऑटो और ई रिक्शा चालकों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई. अब देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार ऑटो और ई रिक्शा चालकों को कितनी सहूलियत दे पाती है.