देहरादून: शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और शिक्षा विभाग प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने और शैक्षणिक गतिविधियों के स्तर की दशा और दिशा सुधारने के लिए कई नवाचार के प्रयोग पर बल दे रहे हैं. शिक्षा विभाग जिन नवाचारों की अब बात कर रहा है. इसी क्रम में सरकारी महकमे के ही एक विद्यालय ऐसा है, जो कि इन नवाचारों का पिछले चार सालों से प्रयोग कर रहा है, जिसका असर ये हुआ कि अभिभावक अब निजी स्कूलों से अपने बच्चों को निकालकर इस सरकारी विद्यालय में दाखिल कर रहे हैं.
विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक को मिलाकर पांच शिक्षिकाओं की मेहनत है कि आज सरकारी स्कूल में बच्चे अंग्रेजी में कविता पाठ कर रहे हैं और इसके साथ ही क्लास रूम में स्कूल की शिक्षिकाओं ने ऐसा माहौल बनाया हुआ है कि 1 से 5 कक्षा तक के बच्चे थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल पढ़ाई कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ में पहुंची.
शिक्षा महकमा अब प्रयास कर रहा है कि हर विद्यालय में प्रार्थना सभा से लेकर भाषण प्रतियोगिताओं के साथ छात्र-छात्राओं को हर वह ज्ञान दिया जाए, जिससे कि छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके. ऐसे ही नवाचार उत्तराखंड सरकारी महकमे का देहरादून जिले के रायपुर विकासखंड के बंजारवाला स्कूल का राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ विगत चार वर्षों से कर रहा है. यही कारण है कि आज इस स्कूल कक्षा 1 से 5 तक 146 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जबकि तीन साल पहले इस स्कूल में मात्र 60 छात्र थे.
इसके साथ ही विद्यालय में कोरोना काल में 27 नए एडमिशन हुए थे, तो वहीं कोरोना काल के बाद अब स्कूल प्रबंधन को लगा की इन छात्र-छात्राओं के अभिभावक दोबारा निजी स्कूलों का रुख करेंगे, लेकिन विद्यालय के नवाचार को देखते हुए अब अन्य अभिभावक भी अपने बच्चों का प्रवेश इस सरकारी विद्यालय में करवाने के लिये इच्छुक हैं.
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राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाध्यापक अरविंद सोलांकी का कहना है कि आज उनके विद्यालय में लगातार नवाचारों का प्रयोग किया जा रहा है. लगातार प्रयास रहता है कि छात्र-छात्राओं को शिक्षा के लिए थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल और ज्वॉइंट शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाए. आज स्कूल में हर वो सुविधा उपलब्ध है, जिसका आज शिक्षा विभाग नए प्रयोग के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. यही शिक्षा विभाग इस दिशा में धरातल पर सही से काम करते तो इससे न सिर्फ इन स्कूलों में बढ़ने वाले बच्चों को भविष्य संवरेगा. बल्कि सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों के मन में जो धारण है, वो भी बदलेगी.