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यहां तीन दशक से गूंज रही है रामधुन, आज भी मौजूद हैं भगवान राम के चरण कमल - भगवान राम के वनगमन

दीपावली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश 'राजाराम', जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. राम अपने वनवास के दौरान जहां भी गए, उनमें होशंगाबाद भी शामिल है, श्रीराम यहां के पासीघाट पर रुके, जहां पिछले 25 सालों से रामधुन लगातार जारी है.

यहां तीन दशक से गूंज रही है रामधुन.
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Published : Oct 23, 2019, 8:07 AM IST

होशंगाबाद: हवा के झोकों से लहराती घंटियां और चारों ओर गूंजती राम धुन, राजाराम की भक्ती में लीन भक्त और मंदिर में विराजे रघुराई, ये नजारा होशंगाबाद से होकर गुजरने वाली नर्मदा और दूधी नदी के संगम पर मौजूद पासीघाट का है. यहां प्रभुराम की भक्ती में कोई ढोकर बजा रहा है, तो किसी ने मंजीरे थाम रखे हैं. कोई हार्मोनियम से धुन निकाल रहा है, तो किसी ने झूले से ताल बिठाई है.

यहां तीन दशक से गूंज रही है रामधुन.


ये नजारा किसी एक दिन का नहीं, यहां पिछले तीन दशक से रामधुन गूंज रही है. दिन हो या फिर रात, पासीघाट के चारों तरफ राम धुन ही सुनाई देती है. महंत रामदास त्यागी द्वारा शुरू की गई ये परंपरा पिछले तीन दशकों से लगातार जारी है. इस संकल्प को नर्मदा में आई भयानक बाढ़ भी नहीं रोक सकी. क्योंकि बाढ़ के दौरान नाव पर सवार होकर महंत रामदास त्यागी रामधुन जाप करते रहे.

नर्मदा नदी और दूधी के संगम पर वसे इस पासीघाट का उल्लेख शास्त्रों में पंछी घाट के नाम से किया गया है, यहां प्रभु श्री राम के चरणकमल आज भी मौजूद हैं, जिनके दर्शन के लिए दूर- दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि अपने वनवास के दौरान प्रभुराम इस जगह रुके थे, जब महंत रामदास को अहसास हुए कि इस जगह से वनवास के दौरान राजाराम निकले हैं, तभी से उन्होंने पर भक्ती के लिए रामधुन शुरू की.

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की वनवास यात्रा के दौरान जिस जगह उनके चरण पड़े, वो धरा धन्य हो गई. राजाराम ने इस दौरान मध्यप्रदेश में लंबा वक्त बिताया. अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ पासीघाट से होकर आगे बढ़े. यही वजह है कि यहां आज भी राम धुन सुनाई दे रही है.

होशंगाबाद: हवा के झोकों से लहराती घंटियां और चारों ओर गूंजती राम धुन, राजाराम की भक्ती में लीन भक्त और मंदिर में विराजे रघुराई, ये नजारा होशंगाबाद से होकर गुजरने वाली नर्मदा और दूधी नदी के संगम पर मौजूद पासीघाट का है. यहां प्रभुराम की भक्ती में कोई ढोकर बजा रहा है, तो किसी ने मंजीरे थाम रखे हैं. कोई हार्मोनियम से धुन निकाल रहा है, तो किसी ने झूले से ताल बिठाई है.

यहां तीन दशक से गूंज रही है रामधुन.


ये नजारा किसी एक दिन का नहीं, यहां पिछले तीन दशक से रामधुन गूंज रही है. दिन हो या फिर रात, पासीघाट के चारों तरफ राम धुन ही सुनाई देती है. महंत रामदास त्यागी द्वारा शुरू की गई ये परंपरा पिछले तीन दशकों से लगातार जारी है. इस संकल्प को नर्मदा में आई भयानक बाढ़ भी नहीं रोक सकी. क्योंकि बाढ़ के दौरान नाव पर सवार होकर महंत रामदास त्यागी रामधुन जाप करते रहे.

नर्मदा नदी और दूधी के संगम पर वसे इस पासीघाट का उल्लेख शास्त्रों में पंछी घाट के नाम से किया गया है, यहां प्रभु श्री राम के चरणकमल आज भी मौजूद हैं, जिनके दर्शन के लिए दूर- दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि अपने वनवास के दौरान प्रभुराम इस जगह रुके थे, जब महंत रामदास को अहसास हुए कि इस जगह से वनवास के दौरान राजाराम निकले हैं, तभी से उन्होंने पर भक्ती के लिए रामधुन शुरू की.

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की वनवास यात्रा के दौरान जिस जगह उनके चरण पड़े, वो धरा धन्य हो गई. राजाराम ने इस दौरान मध्यप्रदेश में लंबा वक्त बिताया. अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ पासीघाट से होकर आगे बढ़े. यही वजह है कि यहां आज भी राम धुन सुनाई दे रही है.

Intro:समाज को मर्यादा का पाठ पढ़ाने वाले जन-जन के आराध्य मर्यादा का आदर्श प्रस्तुत करने वाले श्री राम जहां प्रभु ने किया वनवास के समय रात्रि विश्राम किया वहां राम रूपी ध्वनी को पिछले 25 साल से मर्यादित करके रखा है । जहॉ मर्यादा ओर संकल्प के साथ रामरूपी धुन को भजनों मे समाहित किया जा रहा है ।


Body:राम शब्द से निकलने वाली ध्वनि पाप और अज्ञान का नाश करने वाली ज्ञान की ज्योति जलाने वाली राम धुन आज भी पासी घाट पर पिछले तीन दशकों से रात दिन लगातार जारी है जिसको इस मर्यादित नियम को नर्मदा की बाढ़ भी प्रभावित नहीं कर पाई । नर्मदा नदी और दूधी के संगम पर वसा पासीघाट जिसका उल्लेख पंछी घाट के नाम से शास्त्रो मे मिलता है जहां पर प्रभु श्री राम के चरणकमल के दर्शन आज भी देखने को मिलते हैं वहां पर रामदास महंत रामदास त्यागी बाबा के द्वारा शुरू किया गया राम धुन पिछले 25 साल से सतत लगातार जारी है इस संकल्प को नर्मदा रूप नदी में आई बाढ भी नहीं रोक पाई है बाढ़ आने पर यहां के ग्रामीणों का कहना है कि 1991 मां नर्मदा नदी में भीषण बाढ़ आई थी जिसमें मंदिर डूब गया था लेकिन यहां के महंत रामदास त्यागी ने मंदिर नहीं छोड़ते हुए नाव पर बैठकर रामधुन का जाप किया था और अखंडता और मर्यादा को बनाए रखा था जो कि आज तक जारी है यहां के लोगों का कहना है कि भगवान राम के चरण की जानकारी ग्रामीणों को नहीं थी महंत रामदास त्यागी जी जो कि नर्मदा परिक्रमा कर रहे थे इसी दौरान इस जगह पर पहुंचे और उन्होंने इन चरणों का रहस्य बताया और तभी से राम धुन महंत ने शुरूकर दी गई जो आज तक लगातार सतत जारी है।

बाइट श्रदालु
पंडित
श्रदालू


Conclusion:
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