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'बीजेपी गद्दी छोड़ो' अभियान, 10 नवंबर से राज्य आंदोलनकारी भरेंगे हुंकार - देहरादून की खबरें

चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारी आगामी 10 नवंबर को हरिद्वार में गंगा तट पर लोटे में नमक डालकर 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान का संकल्प लेने जा रहे हैं

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10 नवंबर से राज्य आंदोलनकारी भरेंगे हुंकार
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Published : Nov 8, 2020, 5:01 PM IST

Updated : Nov 8, 2020, 6:02 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश आगामी 9 नवंबर को अपना 20वां राज्य स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाने जा रहा है. वहीं, राज्य निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा करने वाले राज्य आंदोलनकारी मांगे पूरी ना होने से मायूस हैं. सरकार से नाराज राज्य आंदोलनकारी आगामी 10 नवंबर को हरिद्वार में गंगा तट पर लोटे में नमक डालकर 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान का संकल्प लेने जा रहे हैं.

कांग्रेस भवन ने मीडिया से वार्ता करते हुए चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है. धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी 8 सूत्रीय मांगों पर 30 अक्टूबर को देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित किए गए धरने में कसम खाई थी कि यदि 10 दिन के भीतर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो आगामी 10 नवंबर को राज्य आंदोलनकारी सड़कों पर उतर जाएंगे. मगर अब पानी सर से ऊपर से निकल चुका है.

10 नवंबर से राज्य आंदोलनकारी भरेंगे हुंकार

ये भी पढ़ें: देहरादून: नोटबंदी की चौथी वर्षगांठ पर कांग्रेस ने साधा PM मोदी पर निशाना

ऐसे में यह तय किया गया है कि हरिद्वार में आंदोलनकारी स्वर्गीय जेपी पांडे की याद में हरिद्वार सम्मेलन में 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान की शुरुआत करेंगे. धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि अब आंदोलनकारी चैन से नहीं बैठने वाले और अगले 13 महीने में लगातार संघर्ष करके इस सरकार को उखाड़ से कर सरकार के विदाई सुनिश्चित करेंगे. धीरेंद्र प्रताप ने सरकार को चेताया कि अभी भी सरकार के पास 24 घंटे बचे हैं यदि वह आंदोलनकारी के 8 सूत्री मांगों पर सकारात्मक पहल करती है तो आंदोलनकारी 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान को वापस लेने पर विचार कर सकते हैं.

गौरतलब है कि राज्य आंदोलनकारी चिन्हीकरण, दस प्रतिशत आरक्षण, पलायन, लोकायुक्त की नियुक्ति समेत मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाने की मांग और समूह ग और घ की नियुक्तियों में उत्तराखंड के मूल निवासियों को प्राथमिकता दिए जाने को लेकर लामबंद हैं. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री धृतराष्ट्र की तरह अंधे बने हुए हैं, ऐसे में अब राज्य आंदोलनकारी चैन से नहीं बैठने वाले हैं.

देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश आगामी 9 नवंबर को अपना 20वां राज्य स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाने जा रहा है. वहीं, राज्य निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा करने वाले राज्य आंदोलनकारी मांगे पूरी ना होने से मायूस हैं. सरकार से नाराज राज्य आंदोलनकारी आगामी 10 नवंबर को हरिद्वार में गंगा तट पर लोटे में नमक डालकर 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान का संकल्प लेने जा रहे हैं.

कांग्रेस भवन ने मीडिया से वार्ता करते हुए चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है. धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी 8 सूत्रीय मांगों पर 30 अक्टूबर को देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित किए गए धरने में कसम खाई थी कि यदि 10 दिन के भीतर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो आगामी 10 नवंबर को राज्य आंदोलनकारी सड़कों पर उतर जाएंगे. मगर अब पानी सर से ऊपर से निकल चुका है.

10 नवंबर से राज्य आंदोलनकारी भरेंगे हुंकार

ये भी पढ़ें: देहरादून: नोटबंदी की चौथी वर्षगांठ पर कांग्रेस ने साधा PM मोदी पर निशाना

ऐसे में यह तय किया गया है कि हरिद्वार में आंदोलनकारी स्वर्गीय जेपी पांडे की याद में हरिद्वार सम्मेलन में 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान की शुरुआत करेंगे. धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि अब आंदोलनकारी चैन से नहीं बैठने वाले और अगले 13 महीने में लगातार संघर्ष करके इस सरकार को उखाड़ से कर सरकार के विदाई सुनिश्चित करेंगे. धीरेंद्र प्रताप ने सरकार को चेताया कि अभी भी सरकार के पास 24 घंटे बचे हैं यदि वह आंदोलनकारी के 8 सूत्री मांगों पर सकारात्मक पहल करती है तो आंदोलनकारी 'भाजपा गद्दी छोड़ो' अभियान को वापस लेने पर विचार कर सकते हैं.

गौरतलब है कि राज्य आंदोलनकारी चिन्हीकरण, दस प्रतिशत आरक्षण, पलायन, लोकायुक्त की नियुक्ति समेत मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाने की मांग और समूह ग और घ की नियुक्तियों में उत्तराखंड के मूल निवासियों को प्राथमिकता दिए जाने को लेकर लामबंद हैं. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री धृतराष्ट्र की तरह अंधे बने हुए हैं, ऐसे में अब राज्य आंदोलनकारी चैन से नहीं बैठने वाले हैं.

Last Updated : Nov 8, 2020, 6:02 PM IST
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