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उत्तराखंड में भू-कानून की मांग तेज, राज्य आंदोलनकारियों ने CM धामी को सौंपा ज्ञापन

उत्तराखंड में इन दिनों तेजी से भू-कानून की मांग उठ रही है. भू-कानून को लेकर डीएम के माध्यम से वरिष्ठ नागरिक और राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम को ज्ञापन सौंपा है.

उत्तराखंड में भू-कानून की मांग तेज
उत्तराखंड में भू-कानून की मांग तेज
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Published : Jul 25, 2021, 9:29 AM IST

Updated : Jul 25, 2021, 4:32 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भू-कानून की मांग जोरों पर है. उत्तराखंड के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पुरजोर भू-कानून (land law) की पुरजोर मांग कर रहे हैं. भू-कानून को लेकर डीएम आर राजेश कुमार (DM R Rajesh Kumar) के माध्यम से वरिष्ठ नागरिक और राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को ज्ञापन सौंपा है.

बता दें कि, पिछले कुछ दिनों से हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी भू-कानून बनाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रदर्शन के दौरान संयुक्त नागरिक संगठन के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि उत्तराखंड की संपदा को बचाने के लिए भू-कानून की आवश्यकता है. ऐसे में सरकार को इस पर जल्द विचार करना चाहिए.

राज्य आंदोलनकारियों ने CM धामी को सौंपा ज्ञापन.

राज्य आंदोलनकारियों और सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने मांग उठाई है कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी भू-कानून लागू किया जाए. भू-कानून में बदलाव को लेकर उत्तराखंड के तमाम संगठन आंदोलन कर रहे हैं.

संयुक्त नागरिक संगठन के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य गठन के लिए संघर्ष इसलिए नहीं किया था कि देशभर के भूमाफिया राज्य की जमीनों पर आकर कब्जा जमा लें. उत्तराखंड भू-माफियाओं के लिए सैरगाह बन जाए. राज्य सरकार को तत्काल भूमि सुधार कानून में संशोधन करने की जरूरत है. ताकि भू-माफियाओं के वर्चस्व को रोका जा सके.

पढ़ें: भू-कानून की मांग को सुबोध उनियाल ने बताया चुनावी मुद्दा, कहा-जमीनी हकीकत कुछ और है

प्रदीप कुकरेती ने कहा कि संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा भू-कानून को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है. जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भू-कानून में जो बदलाव किया था, तो उसमें पूरे राज्य की जनता चिंतित है. हमने तब भी आवाज उठाई थी, लेकिन अब चुनावी वर्ष है. इसलिए हम पक्ष और विपक्ष को आगाह करना चाहते है कि इस प्रदेश को बचाने के लिए जिन शहादतों को लेकर इस राज्य का गठन हुआ था. इस प्रदेश की संपदा को बचाने के लिए हम मांग कर रहे हैं कि हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून लागू किया जाएगा. ताकि पूरे प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि और वन संपदा की दृष्टि से बचा सके.

उत्तराखंड में सोशल मीडिया के माध्यम से भू-कानून की जंग छिड़ी: उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून (land law) की मांग सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड (trend) हुई थी. पहली बार फेसबुक, इंस्टाग्राम (Instagram) पर कोई राजनीतिक मुद्दा इतना गरमाया था. इससे उत्तराखंड की इस भू-कानून (Uttarakhand Land Law) की मांग में उन लोगों को भी ऊर्जा मिली है, जो पिछले लंबे समय से इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में भू-कानून की मांग जोरों पर है. उत्तराखंड के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पुरजोर भू-कानून (land law) की पुरजोर मांग कर रहे हैं. भू-कानून को लेकर डीएम आर राजेश कुमार (DM R Rajesh Kumar) के माध्यम से वरिष्ठ नागरिक और राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को ज्ञापन सौंपा है.

बता दें कि, पिछले कुछ दिनों से हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी भू-कानून बनाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रदर्शन के दौरान संयुक्त नागरिक संगठन के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि उत्तराखंड की संपदा को बचाने के लिए भू-कानून की आवश्यकता है. ऐसे में सरकार को इस पर जल्द विचार करना चाहिए.

राज्य आंदोलनकारियों ने CM धामी को सौंपा ज्ञापन.

राज्य आंदोलनकारियों और सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने मांग उठाई है कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी भू-कानून लागू किया जाए. भू-कानून में बदलाव को लेकर उत्तराखंड के तमाम संगठन आंदोलन कर रहे हैं.

संयुक्त नागरिक संगठन के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य गठन के लिए संघर्ष इसलिए नहीं किया था कि देशभर के भूमाफिया राज्य की जमीनों पर आकर कब्जा जमा लें. उत्तराखंड भू-माफियाओं के लिए सैरगाह बन जाए. राज्य सरकार को तत्काल भूमि सुधार कानून में संशोधन करने की जरूरत है. ताकि भू-माफियाओं के वर्चस्व को रोका जा सके.

पढ़ें: भू-कानून की मांग को सुबोध उनियाल ने बताया चुनावी मुद्दा, कहा-जमीनी हकीकत कुछ और है

प्रदीप कुकरेती ने कहा कि संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा भू-कानून को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है. जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भू-कानून में जो बदलाव किया था, तो उसमें पूरे राज्य की जनता चिंतित है. हमने तब भी आवाज उठाई थी, लेकिन अब चुनावी वर्ष है. इसलिए हम पक्ष और विपक्ष को आगाह करना चाहते है कि इस प्रदेश को बचाने के लिए जिन शहादतों को लेकर इस राज्य का गठन हुआ था. इस प्रदेश की संपदा को बचाने के लिए हम मांग कर रहे हैं कि हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून लागू किया जाएगा. ताकि पूरे प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि और वन संपदा की दृष्टि से बचा सके.

उत्तराखंड में सोशल मीडिया के माध्यम से भू-कानून की जंग छिड़ी: उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून (land law) की मांग सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड (trend) हुई थी. पहली बार फेसबुक, इंस्टाग्राम (Instagram) पर कोई राजनीतिक मुद्दा इतना गरमाया था. इससे उत्तराखंड की इस भू-कानून (Uttarakhand Land Law) की मांग में उन लोगों को भी ऊर्जा मिली है, जो पिछले लंबे समय से इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं.

Last Updated : Jul 25, 2021, 4:32 PM IST
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