ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने देश में आम नागरिकों की लापरवाही के चलते बढ़ते आर R-नॉट काउंट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने चेताया कि लोगों ने सरकार द्वारा कोविड से बचाव को लेकर जारी गाइडलाइंस का शब्दश: पालन नहीं किया और गैरजिम्मेदाराना हरकतें जारी रखीं तो देश कभी कोरोना वायरस से मुक्त नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कोविड पर पूरी तरह से नियंत्रण के लिए अनिवार्य वैक्सीनेशन के साथ ही जनसामान्य का कोविड से बचाव संबंधी नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है.
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने चेताया कि यदि हम लोगों का रवैया इसी तरह का रहा, तो कोरोना की तीसरी लहर आते देर नहीं लगेगी, जो अपने साथ बड़ी तबाही ला सकती है. इससे हम सबको जन-धन की बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है. लिहाजा उनका सुझाव है कि आने वाली विभीषिका को रोकने के लिए हम सभी को कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करना होगा. यह नियम हैं अच्छे से मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, बार-बार हाथ को साबुन से धोना या सैनिटाइजर का उपयोग करना और अपना क्रम आने पर कोरोना का टीका अवश्य लेना.
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इन सबके साथ-साथ ही हमें सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होने से बचना चाहिए. अन्य लोगों को भी इस तरह के आयोजन करने व उसमें भागीदारी करने से बचने की सलाह देनी चाहिए. उन्होंने बताया हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम इन सभी जरूरी बातों को दूसरे लोगों और अपने परिवार और अपने मित्रों तक भी फैलाएं व उन्हें जागरूक करें.
क्या है R- नॉट काउंट ?: R-नॉट काउंट यह दर्शाता है कि एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने व्यक्तियों को कोरोना फैला रहा है. इससे यह भी पता चलता है, कि कोरोना वायरस समाज में कितनी तेजी से फैल रहा है. लिहाजा कोरोना के फैलाव को नियंत्रित रखने एवं इस महामारी का अंत करने के लिए यह संख्या एक से कम होनी चाहिए.
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R-नॉट काउंट को कम करने के लिए दो महत्वपूर्ण कारक: ऐसे व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि जिनके शरीर में कोरोना के प्रति रोग प्रतिरोधी क्षमता (एंटीबॉडी) विकसित हो चुकी है. प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबॉडी) कोरोना संक्रमण सही होने या टीकाकरण से विकसित होती है. आम नागरिकों द्वारा कोविड संक्रमण से बचाव के नियमों का शब्दश: पालन करने से भी R-नॉट काउंट को कम किया जा सकता है.
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मिशीगन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार भारत के 8 राज्यों में आर नॉट काउंट एक से ऊपर चला गया है. यह राज्य मिजोरम (1.56), मेघालय (1.27), सिक्किम (1.26), मणिपुर (1.08), केरल (1.2), दिल्ली (1.01), उत्तराखंड (1.17) व हिमाचल प्रदेश हैं. इन राज्यों में हमारा प्रदेश उत्तराखंड भी सम्मिलित है, जो कि हम सबके लिए चिंता का विषय है.
R-वैल्यू के घटने-बढ़ने का मतलब: आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. यदि, आर-वैल्यू एक से कम है तो, इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी, जिसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं. आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा. इसके उलट, यदि ‘आर’ एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी. तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है. यह संख्या जितनी बड़ी होगी, महामारी आबादी में उतनी ही तेजी से फैलेगी.
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उत्तराखंड में और R-नॉट काउंट बढ़ने के मुख्य कारण: उत्तराखंड में देश के लगभग सभी प्रांतों से ही नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग-अलग देशों से भी सैलानी घूमने के लिए आते हैं. इनमें कई सैलानी भ्रमण के लिए और श्रद्धालु गंगा स्नान, पूजा-अर्चना, ध्यान योग की तालीम लेने और छुट्टियां बिताने आते हैं. जिनमें से अधिकांश लोग इन तमाम गतिविधियों के दौरान कोरोना से बचाव के मानकों व उपायों को नहीं अपनाते हैं. जिससे संक्रमण लगातार फैल रहा है.
लोगों के राज्य में आवागमन की गतिविधियां लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद से काफी बढ़ गई हैं. जिससे कोविड संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है. यही वजह है कि उत्तराखंड का R नॉट काउंट भी बढ़ गया है. लिहाजा यदि हम कोरोना के नियमों का पालन व जरूरी सावधानियां बरतते हैं, तभी हम लगातार बढ़ते आर नॉट काउंट को रोक सकते हैं.