देहरादून: उधमसिंह नगर के कुंडा में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्थानीय पुलिस को बिना बताए दबिश (Uttar Pradesh Police Action) पर कई सवाल उठ रहे हैं. इस मामले को लेकर उत्तराखंड एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन (ADG Law and Order v Murugation) ने सीआरपीसी का हवाला देते हुए सफाई पेश की है. उन्होंने कहा कि सीआरपीसी के अनुसार राज्य पुलिस भारत में किसी भी जगह आरोपी को पकड़ने के लिए बिना किसी वारंट के दबिश दे सकती है. क्योंकि विशेष परिस्थितियों में स्थानीय पुलिस को बिना सूचना के यह कार्रवाई होती है.
उन्होंने कहा कि हालांकि, गिरफ्तारी के 24 घंटों के भीतर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने की बाध्यता जरूर रहती है. इसके लिए वह स्थानीय पुलिस को सूचित कर अपने राज्य में ले जाने के लिए ट्रांजिट रिमांड भी मांग सकती है. ऐसे में उधम सिंह नगर के कुंडा के इस प्रकरण में भी यूपी के खनन माफिया को गिरफ्तार करने में यही कार्रवाई सामने आई है. हालांकि इसमें मृतक पक्ष की तरफ से मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच कार्रवाई चल रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस से उत्तराखंड पुलिस सभी बिंदुओं में बातचीत कर कानूनी कार्रवाई को जारी रखे हुए हैं.
कार्रवाई पर उठ रहे कई सवाल: बता दें कि उधम सिंह नगर के अंतर्गत आने वाले कुंडा के भुल्लर फार्म पर बुधवार को ज्येष्ठ प्रमुख के घर पर हुई उत्तर प्रदेश पुलिस की दबिश के दौरान फायरिंग ( Udham Singh Nagar Kunda Police Action) से उसकी पत्नी की गोली लगने से मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस उत्तराखंड पुलिस को बिना बताए आरोपी इनामी खनन माफिया जफर को गिरफ्तार करने के लिए उधम सिंह नगर के कुंडा में आई. इस दौरान इलाके में फायरिंग (Udham Singh Nagar Kunda firing case) में ज्येष्ठ प्रमुख की पत्नी की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.
हालांकि स्थानीय और पीड़ित परिवार के आक्रोश को देखते हुए इस मामले में उत्तर प्रदेश के कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुंडा थाने में हत्या का मुकदमा भी दर्ज कर जांच चल रही है. लेकिन इस कार्रवाई पर तमाम सवाल दोनों ही राज्यों के पुलिस अधिकारों को लेकर उठ रहे हैं. इनमें से एक सवाल यह भी उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बिना दबिश के लिए कैसे पहुंच गई. वहीं यूपी पुलिस की कार्रवाई में फायरिंग की नौबत क्यों आई?
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एडीजी लॉ एंड ऑर्डर क्या कह रहे: मामले में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी गंभीर प्रकृति के अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस किसी भी राज्य में बिना बताए दबिश दे सकती है. यह विशेष अधिकार पुलिस को सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) में दिए गए हैं. इतना ही नहीं एक्ट के तहत विशेष परिस्थितियों में वारंट की भी आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन, गिरफ्तारी के उपरांत नियमानुसार आरोपी को 24 घंटे के अंदर जरूर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस को सूचित करने के भी अपने लाभ होते हैं. मसलन, यदि सूचित किया जाता है तो संबंधित पुलिस को बेहतर व्यवस्थित तरीके से सहयोग मिल पाता. किसी भी अप्रिय घटना होने की आशंका कम रहती और कार्रवाई एक सकारात्मक रूप में अंजाम तक पहुंचती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह भी व्यावहारिक रूप में कैसे हुआ इसकी निष्पक्ष जांच हो रही है.
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क्या है मामला: बुधवार शाम उधम सिंह नगर जिले में यूपी के इनामी खनन माफिया और गैंगस्टर जफर की तलाश में कुंडा के ग्राम भरतपुर में दबिश देने आई यूपी पुलिस और एसओजी टीम की ग्रामीणों से भिड़ंत हो गई थी. इस दौरान दोनों तरफ से हुई फायरिंग में ज्येष्ठ प्रमुख की पत्नी की गोली लगने से मौत हो गई और मौत से लोगों का आक्रोश बढ़ गया. आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर लोगों ने एनएच को पूरी तरह से बाधित कर दिया. तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर बुलाना पड़ा था. उत्तराखंड पुलिस ने यूपी पुलिस पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.