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New Conversion Law: उत्तराखंड में धर्मांतरण के मामले दर्ज होने के बाद भी पुलिस सुस्त, क्या है राज ?

उत्तराखंड में सख्त धर्मांतरण कानून लागू है. इसके बाद भी उत्तराखंड में धर्मांतरण (conversion in Uttarakhand) की खबरें सामने आ रही हैं. अब तक प्रदेश में देहरादून, उत्तरकाशी और हरिद्वार से धर्मांतरण मामले में तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं. पुलिस की सुस्त जांच पर सवाल उठने लगे हैं.

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उत्तराखंड में धर्मांतरण की आहट
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Published : Jan 11, 2023, 11:35 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में एक के बाद एक धर्मांतरण के मामले (conversion in uttarakhand) सामने आ रहे हैं. 1 महीने में देहरादून, उत्तरकाशी (पुरोला) और हरिद्वार में धर्मांतरण के मुकदमे (Three conversion cases filed in Uttarakhand) दर्ज हो चुके हैं. राज्य में सख्त कानून लागू होने के बावजूद पुलिस की कार्रवाई (Police action on conversion case in Uttarakhand) इन मामलों में उतनी प्रभावी नजर नहीं आ रही है, जितनी कड़े कानून को लेकर चर्चाएं हो रही थी.

दरअसल, लंबे समय से राज्य में बेहिसाब हो रहे धर्मांतरण के मामले को देखते हुए उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार ने राज्य में धर्मांतरण कानून में संशोधन करते हुए बीते 22 दिसंबर 2022 को सख्त कानून बनाते हुए सामूहिक धर्मांतरण मामले में 10 साल की सजा का प्रावधान रखा है. हैरानी की बात है कि नए कानून के तहत पहले पुरोला और अब हरिद्वार में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नजर नहीं आ रही है. फिलहाल पुलिस नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल साक्ष्य संकलन एकत्र कर आरोपित लोगों की अरेस्टिंग और आगे की अग्रिम कार्रवाई की दुहाई देते नजर आ रही है.
पढ़ें- उत्तरकाशी: पुरोला में धर्मांतरण की आहट पर जमकर हुआ हंगामा

इस मामले में राज्य में अपराध नियंत्रण के लिए कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे ADG डॉ वी. मुरुगेशन ने कहा कि नए कानून के तहत धर्मांतरण के दर्ज मुकदमों में जांच पड़ताल जारी है. तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर सामूहिक धर्मांतरण के दो मामले सामने आने के बाद ही गिरफ्तारी जैसी कोई प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है. ADG मुरुगेशन के मुताबिक नए कानून के तहत दर्ज 2 मुकदमों में जांच पड़ताल और साक्ष्य- सबूत संकलन किए जा रहे हैं. अगर आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त एविडेंस मिलते हैं तो उसके आधार पर धर्मांतरण कराने वाले लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी.
पढ़ें- धर्मांतरण कानून बनने से संत समाज में खुशी की लहर, मुख्यमंत्री धामी को दी शुभकामनाएं

धर्मांतरण मामले में मात्र मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल की दुहाई देकर आरोपियों के खिलाफ शिथिलता बरतने के रवैये को लेकर कानून के जानकार भी मानते हैं कि पुलिस की यह कार्यशैली और अधिक चिंता का विषय है. पुलिस का यह रवैया आरोपियों को बचने का मौका देने जैसा है. देशभर के कई राज्यों में जबरन धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कानून के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उसी क्रम में मध्य प्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी लगातार धर्मांतरण जैसे मामले सामने आने के बाद मौजूदा राज्य सरकार द्वारा पिछले दिनों धर्मांतरण कानून में संशोधन कर 10 साल की सजा, आर्थिक जुर्माना और त्वरित जांच पड़ताल कर आरोपियों को सीधे अरेस्टिंग का प्रावधान रखा है. इतना ही नहीं इस मुकदमे का सीधा ट्रायल सेशन कोर्ट से शुरू कराने का भी प्रावधान है. इसके बावजूद इस गंभीर अपराध में जिस तरह से पुलिस मात्र मुकदमा दर्ज कर लंबी जांच पड़ताल और सबूतों की दुहाई दे रही है, उससे राज्य सरकार की मंशा पर भी पूरी होती नहीं दिखती है.
पढ़ें- धर्मांतरण कानून को लेकर तेज हुई सियासत, कांग्रेस ने बताया वोटों के ध्रुवीकरण वाला शिगूफा

बता दें देश कि कई राज्यों में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ने के चलते सर्वोच्च अदालत में केंद्र और राज्य सरकारों को इस विषय में कड़े कदम उठाने मांग की याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की बतौर न्याय मित्र के रूप में सहायता मांगी है. कोर्ट इस बात को लेकर चिंता भी जता चुका है. लालच, धमकी, तोहफे व पैसे देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों की निगरानी बढ़ाये जाने के मामलों पर और कार्रवाई करने को लेकर अटॉर्नी जनरल से सहयोग मांगा है.

देहरादून: उत्तराखंड में एक के बाद एक धर्मांतरण के मामले (conversion in uttarakhand) सामने आ रहे हैं. 1 महीने में देहरादून, उत्तरकाशी (पुरोला) और हरिद्वार में धर्मांतरण के मुकदमे (Three conversion cases filed in Uttarakhand) दर्ज हो चुके हैं. राज्य में सख्त कानून लागू होने के बावजूद पुलिस की कार्रवाई (Police action on conversion case in Uttarakhand) इन मामलों में उतनी प्रभावी नजर नहीं आ रही है, जितनी कड़े कानून को लेकर चर्चाएं हो रही थी.

दरअसल, लंबे समय से राज्य में बेहिसाब हो रहे धर्मांतरण के मामले को देखते हुए उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार ने राज्य में धर्मांतरण कानून में संशोधन करते हुए बीते 22 दिसंबर 2022 को सख्त कानून बनाते हुए सामूहिक धर्मांतरण मामले में 10 साल की सजा का प्रावधान रखा है. हैरानी की बात है कि नए कानून के तहत पहले पुरोला और अब हरिद्वार में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नजर नहीं आ रही है. फिलहाल पुलिस नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल साक्ष्य संकलन एकत्र कर आरोपित लोगों की अरेस्टिंग और आगे की अग्रिम कार्रवाई की दुहाई देते नजर आ रही है.
पढ़ें- उत्तरकाशी: पुरोला में धर्मांतरण की आहट पर जमकर हुआ हंगामा

इस मामले में राज्य में अपराध नियंत्रण के लिए कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे ADG डॉ वी. मुरुगेशन ने कहा कि नए कानून के तहत धर्मांतरण के दर्ज मुकदमों में जांच पड़ताल जारी है. तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर सामूहिक धर्मांतरण के दो मामले सामने आने के बाद ही गिरफ्तारी जैसी कोई प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है. ADG मुरुगेशन के मुताबिक नए कानून के तहत दर्ज 2 मुकदमों में जांच पड़ताल और साक्ष्य- सबूत संकलन किए जा रहे हैं. अगर आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त एविडेंस मिलते हैं तो उसके आधार पर धर्मांतरण कराने वाले लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी.
पढ़ें- धर्मांतरण कानून बनने से संत समाज में खुशी की लहर, मुख्यमंत्री धामी को दी शुभकामनाएं

धर्मांतरण मामले में मात्र मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल की दुहाई देकर आरोपियों के खिलाफ शिथिलता बरतने के रवैये को लेकर कानून के जानकार भी मानते हैं कि पुलिस की यह कार्यशैली और अधिक चिंता का विषय है. पुलिस का यह रवैया आरोपियों को बचने का मौका देने जैसा है. देशभर के कई राज्यों में जबरन धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कानून के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उसी क्रम में मध्य प्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी लगातार धर्मांतरण जैसे मामले सामने आने के बाद मौजूदा राज्य सरकार द्वारा पिछले दिनों धर्मांतरण कानून में संशोधन कर 10 साल की सजा, आर्थिक जुर्माना और त्वरित जांच पड़ताल कर आरोपियों को सीधे अरेस्टिंग का प्रावधान रखा है. इतना ही नहीं इस मुकदमे का सीधा ट्रायल सेशन कोर्ट से शुरू कराने का भी प्रावधान है. इसके बावजूद इस गंभीर अपराध में जिस तरह से पुलिस मात्र मुकदमा दर्ज कर लंबी जांच पड़ताल और सबूतों की दुहाई दे रही है, उससे राज्य सरकार की मंशा पर भी पूरी होती नहीं दिखती है.
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बता दें देश कि कई राज्यों में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ने के चलते सर्वोच्च अदालत में केंद्र और राज्य सरकारों को इस विषय में कड़े कदम उठाने मांग की याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की बतौर न्याय मित्र के रूप में सहायता मांगी है. कोर्ट इस बात को लेकर चिंता भी जता चुका है. लालच, धमकी, तोहफे व पैसे देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों की निगरानी बढ़ाये जाने के मामलों पर और कार्रवाई करने को लेकर अटॉर्नी जनरल से सहयोग मांगा है.

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