देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की सड़कों की बहदाल तस्वीर को सुधारने के लिए पीडब्ल्यूडी को मिले 65 लाख रुपए विभाग ने वापस लौटा दिए हैं. इसके बाद हमेशा से जनता की आलोचना झेल रहा लोक निर्माण विभाग फिर से जनता की परेशानियों का गुनहगार बन गया है. हालांकि इन बदहाल सड़कों के लिए लोक निर्माण विभाग अकेला जिम्मेदार नहीं है, बल्कि अन्य विभागों की लापरवाही भी लोक निर्माण विभाग को झेलनी पड़ रही है.
लोक निर्माण विभाग देहरादून के अधिशासी अभियंता डीसी नौटियाल का कहना है कि शहर में कई अलग-अलग संस्थाओं द्वारा निर्माण कार्य चलाए जा रहे हैं. लेकिन कई संस्थाएं अपने तय अवधि से काफी पीछे चल रहे हैं. लोक निर्माण विभाग के मुताबिक सड़कों की मरम्मत के लिए शासन द्वारा स्वीकृति के साथ अच्छा खासा बजट दिया गया था. जिसमें से 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. लेकिन कई जगहों पर पेयजल निगम, स्मार्ट सिटी और अन्य विभागों द्वारा चल रहे खुदाई के काम के चलते सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाई है. अगर इन जगहों पर सड़क बनाई जाती है, तो उसको फिर से उखाड़ दिया जाएगा. इससे विभागीय और जनता के पैसे की बर्बादी होगी. ऐसे में करीब 4 किलोमीटर के सड़क निर्माण का तकरीबन 65 लाख रुपया वापस भेज दिया गया है.
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अधिशासी अभियंता डीसी नौटियाल ने बताया कि देहरादून शहर में सड़क निर्माण के लिए 156 किलोमीटर का लक्ष्य लोक निर्माण विभाग को दिया गया था. जिसमें से 152 किलोमीटर की सड़कें बना दी गई हैं. लेकिन 4 किलोमीटर की सड़कें इसलिए पूरी नहीं हो पाई. क्योंकि वहां पर अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं द्वारा निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. हालांकि ज्यादातर अपने तय लक्ष्य से काफी पीछे हैं.
बिना जानकारी खोद दी जाती हैं सकड़ें
लोक निर्माण विभाग का कहना है कि शहर में सड़कों की मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग लगातार काम कर रहा है. लेकिन शहर में कई निजी कंपनियां के साथ-साथ सरकारी विभाग बिना किसी पूर्व जानकारी के सड़क की खुदाई कर देते हैं. डीसी नौटियाल का कहना है कि चकराता रोड पर शाम को सड़क बनाई गई और अगले दिन सुबह एक निजी कंपनी द्वारा सड़क खोद दी गई. जिसके बाद कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई. इसके अलावा सरकारी विभागों द्वारा भी आपसी सामंजस्य नहीं बनाया जाता जिससे सड़कों की दुर्दशा होती है.