देहरादूनः आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है. उत्तराखंड में पांचों लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को मतदान होना है. चुनाव में कई मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट करेंगे. वहीं, कई मतदाता ईवीएम में जोड़े गए नोटा (NOTA) विकल्प का इस्तेमाल भी करेंगे. NOTA को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने देहरादून के वोटर्स से जानी उनकी राय, देखिए खास रिपोर्ट.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बीते साल 2013 में 'NOTA' यानी Non of the above बटन को मतदाता की सहूलियत के लिए ईवीएम में जोड़ा गया था. इस बटन को मतदाता उस स्थिति में प्रयोग कर सकता है, जब चुनाव मैदान में उतरा कोई भी उम्मीदवार उसकी पसंद का न हो. ऐसे में कई मतदाता पोलिंग बूथ में जाकर NOTA का बटन दबाकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. ऐसे में वह सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सकता है और उसका वोट भी काउंट होगा.
NOTA के इस्तेमाल और इस विकल्प के तौर पर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून के वोटर्स से बातचीत की. इस दौरान कई मतदाता तो ऐसे थे जिन्हें को नोटा की जानकारी तक नहीं थी. जबकि, अधिकतर वोटर्स का कहना है कि नोटा एक बेहतर विकल्प है, लेकिन चुनाव में NOTA का उपयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या काफी कम है.
वोटर्स का कहना है कि NOTA एक बेहतर विकल्प है. इससे आम जनता मजबूरी में किसी पार्टी विशेष या निर्दलीय उम्मीदवार को नहीं चुनती. बल्कि, उसके पास उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प है और इससे उनका वोट भी काउंट हो जाता है. कुछ अन्य मतदाताओं का कहना है कि दो प्रतिशत लोगों के लिए नोटा एक विश्लेषण का काम करती है. वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि जब वोट ही देना है तो किसी भी उम्मीदवार को दे दो. NOTA दबाकर वोट बर्बाद क्यों करना है.
वहीं, इस बारे में मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या का कहना है कि वोटर्स के लिए ईवीएम मशीन में NOTA विकल्प मौजूद है. अगर चुनाव में उतरे उम्मीदवार में से वोटर को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वे नोटा इस्तेमाल कर सकता है.