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कोरोना मरीजों के बिल प्रतिपूर्ति पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका

देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निजी अस्पतालों ने कोरोना के मरीजों से ज्यादा बिल वसूले. अभिनव ने सुप्रीम कोर्ट से कोरोना काल में इलाज कराने वाले मरीजों से लिए गए ज्यादा बिल को वापस करने की मांग की है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 9, 2021, 2:19 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 2:24 PM IST

देहरादून: कोरोना के कहर से हर कोई वाकिफ है. भले ही कोरोना के मामले कम हुए हों, हालात जस के तस बने हुए हैं. देश में पिछले 24 घंटों में 23 हजार 70 लोग कोरोना मुक्त हुए हैं, जिसके बाद एक्टिव केस घटकर 2 लाख 36 हजार 643 हो गए हैं. इसके साथ ही देश में अबतक तीन करोड़ 32 लाख 48 हजार 871 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं. कोरोना से लोगों को जान-माल के नुकसान के साथ ही आर्थिकी की भी मार पड़ी है. कोई भी वर्ग कोरोना से अछूता नहीं है. वहीं कोरोना में इलाज के खर्चे के लिए देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.


यही नहीं कोरोना से कई लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. तब भी उन्होंने अपने परिजनों को बचाने के लिये प्राइवेट अस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. कोरोनाकाल में केंद्र सरकार ने जून 2020 में प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया था. लेकिन फिर भी कई राज्यों के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये. जिसे देखते हुए देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अत्यधिक खर्च की प्रतिपूर्ति आमजन को प्राइवेट अस्पतालों से पैसे वापसी के लिये देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

पढ़ें- NTCA के पत्र के बाद राजाजी टाइगर रिजर्व अनिश्चित काल के लिए बंद, ये है कारण

याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु में बताया कि पूरे देश में प्राइवेट अस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइन जारी कर प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों हेतु चार्ज सुनिश्चित किया गया था. जिसके आधार पर समय-समय पर केंद्र और लगभग सभी राज्यों द्वारा कोरोना मरीजों के लिए एक-समान दरों की गाइडलाइन जारी की गई थी. लेकिन फिर भी देश भर लोगों के लोगों को इलाज के लिए अधिक बिल चुकाना पड़ा और लोगों को कोई राहत नहीं मिली. कोरोना शुरू होने से अबतक लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोना के कारण मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा और अधिकतर लोगों को गाइडलाइन से अधिक बिल की मार झेलनी पड़ी.

पढ़ें-अपनी सोशल मीडिया विंग को धार देगी कांग्रेस, हरिद्वार में आज है कार्यशाला

बता दें कि गाइडलाइन में कोरोना मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था. जिसके तहत ऑक्सीजन बेड के लिए 8-10 हजार रुपये, आईसीयू बेड के लिए 13-15 हजार रुपये व वेंटिलेटर बेड के लिए 18 हजार रुपये, जिसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जांच आदि सब खर्चे शामिल थे. लेकिन फिर भी कई राज्यों के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये. जिसे देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा है. जिससे कोरोना-पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके.

गौर हो कि उत्तराखंड में शुक्रवार (8 अक्टूबर) को कोरोना वायरस के 19 नए मरीज मिले हैं. आज 9 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं. बीते 24 घंटे में किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत नहीं हुई है. प्रदेश में इस समय एक्टिव (जिनका इलाज चल रहा है) केसों की संख्या 166 है. प्रदेश में अभी तक कोरोना के कुल 3,43,645 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 3,29,976 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. जिसकी रिकवरी रेट 96.02% है. वहीं, प्रदेश में अब तक कोरोना से 7,396 मरीजों की मौत हुई है. ऐसे में डेथ रेट 2.15% है.

देहरादून: कोरोना के कहर से हर कोई वाकिफ है. भले ही कोरोना के मामले कम हुए हों, हालात जस के तस बने हुए हैं. देश में पिछले 24 घंटों में 23 हजार 70 लोग कोरोना मुक्त हुए हैं, जिसके बाद एक्टिव केस घटकर 2 लाख 36 हजार 643 हो गए हैं. इसके साथ ही देश में अबतक तीन करोड़ 32 लाख 48 हजार 871 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं. कोरोना से लोगों को जान-माल के नुकसान के साथ ही आर्थिकी की भी मार पड़ी है. कोई भी वर्ग कोरोना से अछूता नहीं है. वहीं कोरोना में इलाज के खर्चे के लिए देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.


यही नहीं कोरोना से कई लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. तब भी उन्होंने अपने परिजनों को बचाने के लिये प्राइवेट अस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. कोरोनाकाल में केंद्र सरकार ने जून 2020 में प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया था. लेकिन फिर भी कई राज्यों के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये. जिसे देखते हुए देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अत्यधिक खर्च की प्रतिपूर्ति आमजन को प्राइवेट अस्पतालों से पैसे वापसी के लिये देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

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याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु में बताया कि पूरे देश में प्राइवेट अस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइन जारी कर प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों हेतु चार्ज सुनिश्चित किया गया था. जिसके आधार पर समय-समय पर केंद्र और लगभग सभी राज्यों द्वारा कोरोना मरीजों के लिए एक-समान दरों की गाइडलाइन जारी की गई थी. लेकिन फिर भी देश भर लोगों के लोगों को इलाज के लिए अधिक बिल चुकाना पड़ा और लोगों को कोई राहत नहीं मिली. कोरोना शुरू होने से अबतक लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोना के कारण मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा और अधिकतर लोगों को गाइडलाइन से अधिक बिल की मार झेलनी पड़ी.

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बता दें कि गाइडलाइन में कोरोना मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था. जिसके तहत ऑक्सीजन बेड के लिए 8-10 हजार रुपये, आईसीयू बेड के लिए 13-15 हजार रुपये व वेंटिलेटर बेड के लिए 18 हजार रुपये, जिसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जांच आदि सब खर्चे शामिल थे. लेकिन फिर भी कई राज्यों के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये. जिसे देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा है. जिससे कोरोना-पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके.

गौर हो कि उत्तराखंड में शुक्रवार (8 अक्टूबर) को कोरोना वायरस के 19 नए मरीज मिले हैं. आज 9 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं. बीते 24 घंटे में किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत नहीं हुई है. प्रदेश में इस समय एक्टिव (जिनका इलाज चल रहा है) केसों की संख्या 166 है. प्रदेश में अभी तक कोरोना के कुल 3,43,645 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 3,29,976 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. जिसकी रिकवरी रेट 96.02% है. वहीं, प्रदेश में अब तक कोरोना से 7,396 मरीजों की मौत हुई है. ऐसे में डेथ रेट 2.15% है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 2:24 PM IST
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