देहरादून: उत्तराखंड शासन ने 14 नवंबर को इगास-बग्वाल पर्व (बूढ़ी दीवाली) पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था. लेकिन 14 नवंबर को रविवार होने कारण अब 15 नवंबर को प्रदेश में पर्व की छुट्टी रहेगी. इसको लेकर शासनादेश भी जारी कर दिया गया है.
गौर हो कि उत्तराखंड सरकार ने लोकपर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करते हुए 14 नवंबर को छुट्टी की घोषणा की थी. 14 नवंबर के दिन रविवार होने के कारण इगास को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम पुष्कर धामी पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि जब इगास पर्व इतवार को पड़ रहा है तो छुट्टी देने का क्या फायदा होगा. उन्होंने कहा कि सीएम की घोषणाओं का लाभ इगास प्रेमियों को नहीं मिलेगा.
ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार ने अपने शासनादेश में फेरबदल करते हुए 14 नवंबर की जगह 15 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है. उत्तराखंड शासन के प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन ने आदेश जारी करते हुए कहा कि 15 नवंबर को इगास बग्वाल पर बैंकों, कोषागारों और उपकोषागारों को छोड़कर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा.
कई सालों से हो रही है मांग: दरअसल, छठ पर्व पर अवकाश देने के बाद से सीएम धामी से ये लगातार मांग हो रही थी कि वो उत्तराखंड के लोकपर्वों पर भी छुट्टी घोषित करें, जिसके बाद सीएम ने ये निर्णय लेते हुए इगास पर्व पर अवकाश घोषित किया था. इससे पहले त्रिवेंद्र सरकार में भी छठ पर्व पर तो राजकीय अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन इगास पर्व पर छुट्टी नहीं की गई थी.
उत्तराखंड की लोकसंस्कृति: उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. देशभर में दीपावली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. ये भारत की खूबसूरती ही है कि अलग-अलग प्रान्तों में दीपावली का त्योहार प्रकाशपर्व के साथ-साथ अपने वर्षों पुरानी परंपरागत तौर-तरीकों के साथ मनाया जाता है. ऐसा ही उत्तराखंड में भी दीपावली को एक अनूठे अंदाज में मनाने की परंपरा है.