देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए इस बार उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया है. मगर फिर भी गंगा घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ ने राज्य सरकार की पेशानियों पर बल ला दिया है. आस्था, आध्यात्म से जुड़े होने के कारण धर्मनगरी में श्रद्धालुओं को रोक पाना निश्चित ही राज्य सरकार ने लिए बड़ी चुनौती है. कांवड़ यात्रा रद्द करने के बाद श्रद्धालुओं को गंगाजल मुहैया करवाकर सरकार काफी हद तक इस पर रोक लगा सकती है, मगर आखिर किस तरह से कांवड़ियों को गंगा जल मुहैया कराया जाएगा, ये सरकार के लिए एक बड़ा सवाल है.
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राज्य सरकार ने सिर्फ कांवड़ यात्रा के स्वरूप को स्थगित किया है, लेकिन कांवड़ पर्व तो मनाया ही जाएगा. ऐसे में कांवड़ पर्व के दौरान गंगाजल का एक विशेष महत्व होता है. ऐसे में अन्य राज्यों से आने वाले कांवड़ियों को गंगाजल कैसे उपलब्ध कराया जाए? इसकी रणनीतियां बनाई जा रही हैं.
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सरकार की रणनीति के बारे में बताते हुए शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा लोग कांवड़ में अपने प्रदेश में समितियां बनाकर गंगाजल ले जाने की व्यवस्था कर सकते हैं. उन्होंने कहा राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में फैसला लिया गया था कि ये आस्था से जुड़ा मामला है, ऐसे में हरिद्वार से गंगाजल ले जाने की व्यवस्था राज्य सरकारें कर सकती हैं.
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साथ ही मदन कौशिक ने बताया की कांवड़ पर्व के दौरान किस तरह से गंगाजल हरिद्वार से ले जाना है इन व्यवस्थाओं को राज्य सरकारों को तय करना है, क्योंकि जिन राज्यों से श्रद्धालु हरिद्वार गंगाजल लेने आते हैं, वहां की सरकारें अपनी समितियों से संबंध में बनाकर व्यवस्थाएं कर सकती हैं.
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साथ ही उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी को को देखते हुए फिलहाल अभी राज्य की सीमाए सील हैं. यानी पूरी जांच होने के बाद ही लोगों को राज्य में आने दिया जा रहा है, ऐसे में कांवड़ यात्रा के दौरान स्थिति ठीक रहेगी.