देहरादून: स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत राजधानी में चल रहे कार्यों ने अब रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है. इसी के तहत हैदराबाद से देहरादून पहुंच चुकी पहली प्रोटो इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है. यानी अगले सप्ताह से देहरादून शहर की सड़कों पर प्रोटो इलेक्ट्रिक बस दौड़ती नजर आएगी.
देहरादून में 30 इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी
बता दें कि, स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत राजधानी देहरादून की सड़कों पर 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाना है. हालांकि शुरुआती दौर में ट्रायल सफल होने के बाद दिसंबर माह के आखिरी सप्ताह तक 11 इलेक्ट्रिक बसें देहरादून पहुंच जाएंगी. वहीं, इसके बाद जरूरत के मुताबिक धीरे-धीरे और अधिक इलेक्ट्रिक बसों की संख्या शहर में बढ़ाई जाएगी.
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देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अगले सप्ताह से इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल शुरू किया जा रहा है. ट्रायल रन का मुख्य उद्देश्य ये देखना है कि शहर की सड़कों पर दौड़ने जा रही यह बस यात्रियों के लिए कितनी आरामदायक हैं. इसमें किसी भी तरह का कोई टेक्निकल डिफेक्ट तो नहीं है. उनका कहना है कि यह ट्रायल रन सफल होता है तो अगले साल की शुरुआत तक शहर के अलग-अलग रूटों पर 11 इलेक्ट्रिक बसें दौड़ती नज़र आएंगी.
इलेक्ट्रिक बस की खासियत
- इन बसों से प्रदूषण में कमी आएगी
- डीजल की बचत होगी और परिचालन खर्च में भी कमी आएगी
- एक बस के प्रति 100 किमी चलने पर लगभग 17 से 18 लीटर डीजल की खपत होती है
- बस दिनभर में 150 किमी से ज्यादा की दूरी तय करती है
75 मिनट की चार्जिंग और टेंशन फ्री
- एक इलेक्ट्रिक बस 75 मिनट की चार्जिंग पर 220 किमी तक चल सकेगी
- एक डीजल बस की तुलना में एक किमी पर 25 रुपए कम खर्च होंगे
- एक इलेक्ट्रिक बस के संचालन पर प्रति किमी 55 रुपए 26 पैसे का खर्च आएगा
- इसकी अपेक्षा एक डीजल बस पर प्रति किमी 70 से 80 रुपए खर्च आ रहा है
प्रदूषण कम होगा
- इलेक्ट्रिक बसों से प्रदूषण काफी कम होगा
- अभी चल रही डीजल बसों से हाइड्रोकार्बन का ज्यादा उत्सर्जन होता है
- इस बसों से हो रहे वायु प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है
- इलेक्ट्रिक बसों से हवा में हाइड्रोकार्बन पर नियंत्रण किया जा सकेगा
भविष्य का ट्रांसपोर्ट हैं इलेक्ट्रिक बसें
- इस बस की क्षमता 35 से लेकर 65 यात्रियों तक की है
- एक बार चार्ज होने के बाद, मानक परिस्थितियों में यह 150 किलोमीटर तक चल सकती है
- बस की अधिकतम स्पीड 75 किलोमीटर प्रति घंटे की है
- इस बस की लागत 1.50 करोड़ रुपये से 3.50 करोड़ रुपये के बीच होगी
- सर्किट बसों का विनिर्माण कंपनी के स्वामित्व वाले सभी सातों विनिर्माण इकाइयों में हो सकता है
- यह वाहन भारत में ईंधन के आयात पर आने वाले आठ लाख करोड़ के बिल को कम करने की सरकारी पहल में मददगार साबित हो सकता है
- यह आसान, मास-मार्केट प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है, जिससे परिचालक मामूली परिचालन एवं मेंटनेंस खर्च पर शहर के ग्राहकों को सेवा उपलब्ध करा सकते हैं