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भारत-चीन तल्खी के बीच उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम, गृह मंत्री को भेजा प्रस्ताव

कोरोना संकट के बीच पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में स्थित गरतांग गली को इनर लाइन से बाहर करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.

Gartang Gali of Uttarkashi
उत्तरकाशी का गरतांग गली.
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Published : Aug 12, 2020, 3:17 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 5:40 PM IST

देहरादून: भारत-चीन के बीच एलएसी पर हो रही तल्खी के बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. कोरोना संकट के बीच पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में स्थित गरतांग गली को इनर लाइन (प्रतिबंधित क्षेत्र) से बाहर करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी के नेलांग घाटी और गरतांग गली को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र भेजा है. इनर लाइन से बाहर हो जाने के बाद सैलानियों इन खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.

केंद्र को भेजे प्रस्ताव पर जानकारी देते पर्यटन मंत्री सतपाल महराज.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि गरतांग गली समेत अन्य क्षेत्रों को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्र सरकार से लगातार वार्ता चल रही है. इसके लिए एक पत्र भी केंद्रीय मंत्री को भेजा गया है. नेलांग घाटी के साथ ही पिथौरागढ़ के नाभिटांग, ओम पर्वत, कोठी गांव, व्यास गांव और चमोली के टिम्बरसैंण क्षेत्र, द्रोणागिरि, भविष्य बद्री को भी इनर लाइन से बाहर करने के लिए पत्र में जिक्र किया गया है. लिहाजा उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस फैसला लेगी. सतपाल महाराज के मुताबिक, इससे जनजातीय क्षेत्र में पर्यटन को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा बल्कि उस क्षेत्र का विकास भी होगा. बता दें कि 1962 तक गरतांग गली से होकर भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था.

ये भी पढ़ें: विश्व हाथी दिवस: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 20 फीसदी बढ़े 'गजराज'

भारत तिब्बत के बीच कभी व्यापार मार्ग रहा गरतांग गली समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां लोहे की छड़ों को चट्टानों में फंसा कर संकरा रास्ता बनाया गया है. केंद्र सरकार की अनुमति के बाद उत्तराखंड सरकार गरतांग गली में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफेटेरिया, शौचालय और ठहरने जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काम करेगी.

हिमालय की गोद बसे उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. देश-विदेश से सैलानी उत्तराखंड की प्राकृतिक खूबसूरती देखने आते हैं. हर साल मुख्य रूप से गर्मियों के सीजन में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन शीतकाल के दौरान तमाम पर्यटक स्थल वीरान हो जाते हैं. इसे देखते हुए पर्यटन विभाग अब शीतकाल टूरिज्म को जोर देने की कवायत में जुट गया है.

जानें- क्या है गरतांग गली?

रोमांच के शौकीनों के लिए उत्तरकाशी एक बेहतरीन विकल्प है. अगर आप रोमांच के लिए अपने डर से भी मुकाबला कर सकते हैं तो उत्तरकाशी का रुख जरूर करें. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गरतांग गली दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, करीब 300 मीटर लंबे इस रास्ते को 17वीं सदी में पेशावर से आए लोगों ने चट्टान को काटकर बनाया था. इस रास्ते के जरिए भारत, तिब्बत और चीन के बीच व्यापार भी होता था लेकिन 1962 के युद्ध के बाद इस रास्ते को बंद कर दिया गया.

गरतांग गली के जरिए ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचा जाता था. बाड़ाहाट का अर्थ है बड़ा बाजार. उस वक्त दूर दूर से लोग बाड़ाहाट आते थे और सामान खरीदते थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक 1975 में सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया था. तब से लेकर इस रास्ते में सन्नाटा पसरा हुआ है.

देहरादून: भारत-चीन के बीच एलएसी पर हो रही तल्खी के बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. कोरोना संकट के बीच पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में स्थित गरतांग गली को इनर लाइन (प्रतिबंधित क्षेत्र) से बाहर करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी के नेलांग घाटी और गरतांग गली को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र भेजा है. इनर लाइन से बाहर हो जाने के बाद सैलानियों इन खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.

केंद्र को भेजे प्रस्ताव पर जानकारी देते पर्यटन मंत्री सतपाल महराज.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि गरतांग गली समेत अन्य क्षेत्रों को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्र सरकार से लगातार वार्ता चल रही है. इसके लिए एक पत्र भी केंद्रीय मंत्री को भेजा गया है. नेलांग घाटी के साथ ही पिथौरागढ़ के नाभिटांग, ओम पर्वत, कोठी गांव, व्यास गांव और चमोली के टिम्बरसैंण क्षेत्र, द्रोणागिरि, भविष्य बद्री को भी इनर लाइन से बाहर करने के लिए पत्र में जिक्र किया गया है. लिहाजा उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस फैसला लेगी. सतपाल महाराज के मुताबिक, इससे जनजातीय क्षेत्र में पर्यटन को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा बल्कि उस क्षेत्र का विकास भी होगा. बता दें कि 1962 तक गरतांग गली से होकर भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था.

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भारत तिब्बत के बीच कभी व्यापार मार्ग रहा गरतांग गली समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां लोहे की छड़ों को चट्टानों में फंसा कर संकरा रास्ता बनाया गया है. केंद्र सरकार की अनुमति के बाद उत्तराखंड सरकार गरतांग गली में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफेटेरिया, शौचालय और ठहरने जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काम करेगी.

हिमालय की गोद बसे उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. देश-विदेश से सैलानी उत्तराखंड की प्राकृतिक खूबसूरती देखने आते हैं. हर साल मुख्य रूप से गर्मियों के सीजन में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन शीतकाल के दौरान तमाम पर्यटक स्थल वीरान हो जाते हैं. इसे देखते हुए पर्यटन विभाग अब शीतकाल टूरिज्म को जोर देने की कवायत में जुट गया है.

जानें- क्या है गरतांग गली?

रोमांच के शौकीनों के लिए उत्तरकाशी एक बेहतरीन विकल्प है. अगर आप रोमांच के लिए अपने डर से भी मुकाबला कर सकते हैं तो उत्तरकाशी का रुख जरूर करें. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गरतांग गली दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, करीब 300 मीटर लंबे इस रास्ते को 17वीं सदी में पेशावर से आए लोगों ने चट्टान को काटकर बनाया था. इस रास्ते के जरिए भारत, तिब्बत और चीन के बीच व्यापार भी होता था लेकिन 1962 के युद्ध के बाद इस रास्ते को बंद कर दिया गया.

गरतांग गली के जरिए ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचा जाता था. बाड़ाहाट का अर्थ है बड़ा बाजार. उस वक्त दूर दूर से लोग बाड़ाहाट आते थे और सामान खरीदते थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक 1975 में सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया था. तब से लेकर इस रास्ते में सन्नाटा पसरा हुआ है.

Last Updated : Aug 12, 2020, 5:40 PM IST
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