देहरादून: प्रदेश में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को फीस के लिये अभिभावकों पर किसी भी तरह का दबाव बनाने पर रोक लगाई है. साथ ही फीस जमा करने के लिये किसी भी प्रकार का संदेश न भेजने के निर्देश दिये हैं. हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है.
उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों में तीन महीने की फीस माफ करने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवायी हुई. इसके बाद हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को ऑनलाइन माध्यम से फीस जमा करने से संबंधित किसी भी तरह का संदेश न भेजे जाने के आदेश दिये हैं. इसी मुद्दे को लेकर उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
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प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि अभिभावकों को फीस के लिये मैसेज नहीं भेजने से स्कूलों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. फीस जमा न होने के चलते स्कूल के कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है.
प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डीएस मान ने बताया कि सभी प्राइवेट स्कूल नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं. इसके चलते प्राइवेट स्कूलों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में 80 प्रतिशत पढ़ने वाले छात्र सरकारी विभागों में काम वाले कर्मचारियों के बच्चे हैं. लॉकडाउन के बीच सभी सरकारी कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया गया है. ऐसे में अगर उन्हें फीस के लिये मैसेज नहीं भेजा जाएगा तो वे भी फीस जमा नहीं करेंगे. इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है.