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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी चिकित्सकों ने की हड़ताल, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द

आईएमए के चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों का समुचित उपचार किया जाए.

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Published : Feb 16, 2019, 5:51 AM IST

सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द.

देहरादून: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थ केयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग शुरू कर दी है, जिसको लेकर निजी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं. निजी डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ने लगा है. निजी चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.

सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द.

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एस के गुप्ता ने बताया कि आईएमए के चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों का समुचित उपचार किया जाए. साथ ही उन्होंने बताया कि सभी जिला अस्पतालों, सीएचसी, दून अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल को निर्देशित किया गया है कि मरीजों के लिये आकस्मिक सेवाएं दुरस्त रखी जाए, जिससे मरीजों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े.

पढ़ें: उत्तराखंड कैबिनेट बैठक स्थगित, अब 18 फरवरी को विधानसभा सत्र से पहले होगी मीटिंग
आईएमए के चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर आक्रोशित हैं, और सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा रहे हैं. आईएमए के चिकित्सकों का कहना है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर आईएमए के सभी चिकित्सक लामबंद है. बता दें कि पूरे प्रदेश में करीब 3 हजार नर्सिंग होम, अस्पताल और क्लिनिक्स हैं, जबकि राजधानी में इनकी संख्या 700 के करीब है. ऐसे में आईएमए के चिकित्सकों की तालाबंदी राज्य सरकार के लिए सरदर्द साबित हो रही है.

देहरादून: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थ केयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग शुरू कर दी है, जिसको लेकर निजी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं. निजी डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ने लगा है. निजी चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.

सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द.

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एस के गुप्ता ने बताया कि आईएमए के चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों का समुचित उपचार किया जाए. साथ ही उन्होंने बताया कि सभी जिला अस्पतालों, सीएचसी, दून अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल को निर्देशित किया गया है कि मरीजों के लिये आकस्मिक सेवाएं दुरस्त रखी जाए, जिससे मरीजों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े.

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आईएमए के चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर आक्रोशित हैं, और सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा रहे हैं. आईएमए के चिकित्सकों का कहना है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर आईएमए के सभी चिकित्सक लामबंद है. बता दें कि पूरे प्रदेश में करीब 3 हजार नर्सिंग होम, अस्पताल और क्लिनिक्स हैं, जबकि राजधानी में इनकी संख्या 700 के करीब है. ऐसे में आईएमए के चिकित्सकों की तालाबंदी राज्य सरकार के लिए सरदर्द साबित हो रही है.

Intro:इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थ केयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग को लेकर आज निजी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। जिसके बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ गया है निजी चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी


Body:देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एस के गुप्ता ने कहा कि आईएमए के चिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए सभी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है की अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों का समुचित उपचार किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी जिला अस्पतालों, सी एच सी, दून अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल, को निर्देशित किया गया है कि मरीजों के लिये आकस्मिक सेवाएं दुरस्त रखी जाये जिससे मरीजों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े


Conclusion:वहीं आईएमए के चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर आक्रोशित हैं, और सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा रहे हैं। आईएमए के चिकित्सकों का कहना है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह हैल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर आईएमए के सभी चिकित्सक लामबंद है। बता दें कि पूरे प्रदेश में क़रीब 3000 नर्सिंग होम, अस्पताल व क्लिनिक्स हैं। जबकि राजधानी देहरादून में इनकी संख्या 700 के करीब है। ऐसे में आईएमए के चिकित्सकों की तालाबंदी राज्य सरकार के लिए सरदर्द साबित हो रही है
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