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उत्तराखंड जेल प्रशासन हुआ मुस्तैद, पोस्टपेड नंबर से ही होगी कैदियों से बात

उत्तराखंड जेल प्रशासन ने जेल में बंद कैदियों के लिए कड़ा फैसला लिया है. अब पोस्टपेड फोन नंबर वालों को ही कैदियों से बात करने की अनुमति मिलेगी.

उत्तराखंड जेल प्रशासन हुआ मुस्तैद
उत्तराखंड जेल प्रशासन हुआ मुस्तैद
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Published : Oct 5, 2020, 10:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की जेल में बंद कैदियों से अब हर कोई फोन पर बात नहीं कर पाएगा. जेल प्रशासन पोस्टपेड फोन नंबर से बात करने वालों को ही कैदियों से बात करने की अनुमति देगा. जबकि प्रीपेड नंबर से बात करने वाले लोगों को कैदियों से बात करने की अनुमति नहीं मिलेगी. कैदी के जेल से छूटने के बाद अपराधिक गतिविधियों को बढ़ता देख ये फैसला लिया गया है.

दरअसल, जेल प्रशासन के मुताबिक प्रीपेड नंबर से बात करने वाले लोगों का सत्यापन करना कई बार मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कैदी इसका फायदा उठाकर बाहर जो सक्रिय गिरोह हैं उनके साथ मिलकर अपराधिक गतिविधियों को लेकर योजनाएं बनाते हैं. जबकि पोस्टपेड नंबर से बात करने वाले लोगों का जेल प्रशासन आसानी से सत्यापन कर उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है. हालांकि जिन कैदियों के परिजनों और रिश्तेदारों के पास प्रीपेड नंबर हैं, वो जेल में आकर कैदियों से मुलाकात कर सकते हैं.

पढ़ें- UTU ने बीटेक छात्रों के लिए बढ़ाई च्वॉइस फिलिंग की अंतिम तारिख

बता दें कि, वर्तमान समय में कोरोना के चलते जेल में बंद कैदियों को सप्ताह में दो बार अपने परिजनों और रिश्तेदारों से बात करने की सहूलियत दी गई है. हालांकि, इसके लिए जेल की वेबसाइट में पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. इस दौरान फोन पर बात करने वाले को अपना नंबर बताना होता है.

ऐसे में कई बार प्रीपेड फोन नंबर से बात करने वालों का सत्यापन करना मुश्किल हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए अब पोस्टपेड फोन नंबर वाले को ही जेल प्रशासन के नए नियम के मुताबिक कैदियों से बात करने की अनुमति मिलेगी.

देहरादून: उत्तराखंड की जेल में बंद कैदियों से अब हर कोई फोन पर बात नहीं कर पाएगा. जेल प्रशासन पोस्टपेड फोन नंबर से बात करने वालों को ही कैदियों से बात करने की अनुमति देगा. जबकि प्रीपेड नंबर से बात करने वाले लोगों को कैदियों से बात करने की अनुमति नहीं मिलेगी. कैदी के जेल से छूटने के बाद अपराधिक गतिविधियों को बढ़ता देख ये फैसला लिया गया है.

दरअसल, जेल प्रशासन के मुताबिक प्रीपेड नंबर से बात करने वाले लोगों का सत्यापन करना कई बार मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कैदी इसका फायदा उठाकर बाहर जो सक्रिय गिरोह हैं उनके साथ मिलकर अपराधिक गतिविधियों को लेकर योजनाएं बनाते हैं. जबकि पोस्टपेड नंबर से बात करने वाले लोगों का जेल प्रशासन आसानी से सत्यापन कर उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है. हालांकि जिन कैदियों के परिजनों और रिश्तेदारों के पास प्रीपेड नंबर हैं, वो जेल में आकर कैदियों से मुलाकात कर सकते हैं.

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बता दें कि, वर्तमान समय में कोरोना के चलते जेल में बंद कैदियों को सप्ताह में दो बार अपने परिजनों और रिश्तेदारों से बात करने की सहूलियत दी गई है. हालांकि, इसके लिए जेल की वेबसाइट में पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. इस दौरान फोन पर बात करने वाले को अपना नंबर बताना होता है.

ऐसे में कई बार प्रीपेड फोन नंबर से बात करने वालों का सत्यापन करना मुश्किल हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए अब पोस्टपेड फोन नंबर वाले को ही जेल प्रशासन के नए नियम के मुताबिक कैदियों से बात करने की अनुमति मिलेगी.

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