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जौनसार बावर में चल रही बूढ़ी दीपावली की तैयारियां, महिलाएं तैयार कर रही चिवड़ा - Jaunsar Bawar vikasnagar dehradun updates

जौनसार बावर क्षेत्र में 200 से अधिक गांव में बूढ़ी दीपावली के जश्न की तैयारियां चल रही हैं. बूढ़ी दीपावली की तैयारियों को लेकर इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र "चिवड़ा" की महक से लबरेज हैं.

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बूढ़ी दीपावली की चल रही तैयारियां.
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Published : Dec 8, 2020, 3:05 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर में मनाई जाने वाली बूढ़ी दीपावली देश की दीपावली के ठीक एक माह बाद मनाई जाती है. इन दिनों जौनसार बावर के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बच्चे व युवतियां द्वारा प्रसाद के रूप में मुख्य व्यंजन चिवड़ा तैयार किया जा रहा है.

बूढ़ी दीपावली की तैयारियां

देश में मनाई जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद जौनसार बावर क्षेत्र में 200 से अधिक गांव में बूढ़ी दीपावली का जश्न मनाया जाएगा. बूढ़ी दीपावली की तैयारियों को लेकर इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र "चिवड़ा" की महक से लबरेज हैं. ग्रामीण महिला रविता तोमर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं धान को 5 दिन पहले पानी में भिगोकर रखती हैं. 5 दिन बाद लोहे की कढ़ाई में भीगे हुए धान को भूना जाता है, तो वहीं इस भुने हुए धान को ओखली में मूसल से कूटकर महिलाएं "चिवड़ा" तैयार करती हैं.

यह भी पढ़ें-मसूरी माउंटेन फेस्टिवल का आज से हुआ आगाज, वर्चुअली किए गए कार्यक्रम

उन्होंने बताया कि चिवड़ा दीपावली के पर्व पर सर्वप्रथम अपने इष्ट देव को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.उसके बाद अन्य लोगों को प्रसाद में दिया जाता है. यह इस बूढ़ी दीपावली त्योहार का मुख्य व्यंजन है.

विकासनगर: जौनसार बावर में मनाई जाने वाली बूढ़ी दीपावली देश की दीपावली के ठीक एक माह बाद मनाई जाती है. इन दिनों जौनसार बावर के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बच्चे व युवतियां द्वारा प्रसाद के रूप में मुख्य व्यंजन चिवड़ा तैयार किया जा रहा है.

बूढ़ी दीपावली की तैयारियां

देश में मनाई जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद जौनसार बावर क्षेत्र में 200 से अधिक गांव में बूढ़ी दीपावली का जश्न मनाया जाएगा. बूढ़ी दीपावली की तैयारियों को लेकर इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र "चिवड़ा" की महक से लबरेज हैं. ग्रामीण महिला रविता तोमर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं धान को 5 दिन पहले पानी में भिगोकर रखती हैं. 5 दिन बाद लोहे की कढ़ाई में भीगे हुए धान को भूना जाता है, तो वहीं इस भुने हुए धान को ओखली में मूसल से कूटकर महिलाएं "चिवड़ा" तैयार करती हैं.

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उन्होंने बताया कि चिवड़ा दीपावली के पर्व पर सर्वप्रथम अपने इष्ट देव को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.उसके बाद अन्य लोगों को प्रसाद में दिया जाता है. यह इस बूढ़ी दीपावली त्योहार का मुख्य व्यंजन है.

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