देहरादून: देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को बाबा केदार के धाम तक पहुंचने में अब दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा. हम बात कर रहे हैं खासतौर पर उन श्रद्धालुओं की, जो हवाई सेवा के जरिए केदारनाथ धाम तक पहुंचना चाहते हैं. दरअसल इस बार नागरिक उड्डयन विभाग राज्य में हवाई सेवाओं को लेकर कुछ नए बदलाव करने जा रहा है. जिसके बाद हवाई सेवा को लेकर ब्लैक टिकटिंग और धोखाधड़ी से श्रद्धालु मिलने की उम्मीद है.
चारधाम की यात्रा में केदारनाथ धाम को सबसे मुश्किल यात्रा के रूप में देखा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए करीब 23 किलोमीटर तक का सफर श्रद्धालुओं को पैदल ही करना होता है. इस दौरान केदारनाथ धाम तक इतनी लंबी दूरी पैदल यात्रा पूरी न कर पाने वाले यात्री घोड़े-खच्चर या हवाई सेवाओं के जरिए करते हैं. साल 2022 में जिस तरह चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंचे. इसी लिहाज से केदारनाथ में भी पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड हवाई सेवाओं का प्रयोग किया. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए इस साल भी केदारनाथ में हवाई सेवाओं से धाम पहुंचने वालों यात्रियों की संख्या बेहद ज्यादा होने की उम्मीद लगाई जा रही है.
बता दें कि चारधाम यात्रा के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. विशेष तौर पर दक्षिण भारत के श्रद्धालु हवाई सेवाओं का बड़ी संख्या में इस्तेमाल करते हैं. यात्रा बेहद कठिन होने के कारण श्रद्धालुओं की प्राथमिकता हवाई सेवा रहती है. वहीं, हवाई सेवा की बढ़ती डिमांड को लेकर कुछ लोग इसका फायदा भी उठाने की कोशिश करते हैं. जिसकी वजह से कई बार श्रद्धालु धोखाधड़ी और ब्लैक टिकटिंग का शिकार भी हो जाते हैं. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब उत्तराखंड में हवाई सेवाओं को लेकर कुछ नई व्यवस्था होने जा रही है.
नई व्यवस्था बिंदुवार समझिए
नई व्यवस्था का मकसद राज्य में ब्लैक टिकटिंग और धोखाधड़ी को रोकना है. साथ ही लोगों को सुविधाजनक रूप में हवाई सेवा का लाभ देना भी है. केदारनाथ में कुल यात्रियों के करीब 10% यात्री हवाई सेवा के जरिए केदारनाथ पहुंच रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि 2013 की आपदा के बाद हवाई सेवा के जरिए केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है. माना जा रहा है कि आईआरसीटीसी को टिकट की जिम्मेदारी देने पर पारदर्शी टिकट की बिक्री हो सकेगी.
इससे पहले गढ़वाल मंडल विकास निगम इस जिम्मेदारी को देख रहा था. उधर डायनेमिक प्राइसिंग सिस्टम का मतलब टिकट की मांग बढ़ने के साथ हेलीकॉप्टर सेवा के दाम भी बढ़ाए जाएंगे. इससे भी ब्लैक टिकटिंग कम होगी. उधर जिन टिकट को आरक्षित रखा जाएगा. उन्हें अति आवश्यक स्थिति में श्रद्धालुओं या वीवीआइपी के साथ स्टाफ को उपलब्ध कराया जाएगा.
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केदारनाथ धाम में जाने वाले श्रद्धालु हवाई सेवाओं का उपयोग करते हैं. इसमें अधिकतर बच्चे, बुजुर्ग और लंबी दूरी तक पैदल चलने में असक्षम लोग होते हैं. ऐसे में इन श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी नागरिक उड्डयन विभाग को विशेष व्यवस्था करने के लिए कहा था. जिसके बाद कुछ नई व्यवस्था की गई है.
बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कहते हैं कि हवाई सेवा केदारनाथ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इससे जाने वाले यात्रियों की संख्या भी बढ़ी है. इसीलिए मुख्यमंत्री ने यूकाडा को फुलप्रूफ सिस्टम तैयार करने के निर्देश दिए हैं. केदारनाथ धाम के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराने वाले ऑपरेटर के लिए टेंडर प्रक्रिया गतिमान है. संभवत 2 मार्च तक टेंडर खोल दिए जाएंगे. हेलीकॉप्टर ऑपरेटर को 3 साल के लिए टेंडर दिया जाएगा.
केदारनाथ धाम के लिए समय के साथ बढ़ाई गई सेवाएं
युकाडा की तरफ से इस बार सुरक्षा को ज्यादा महत्व दिया गया है और नियमों को कड़ा किया गया है. इसमें कंपनी की सुरक्षा से जुड़ी पॉलिसी से लेकर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले पायलट के अनुभव पर भी इस बार खास ध्यान दिया जाएगा. यही नहीं केदारनाथ धाम के लिए उड़ने वाले तमाम हेलीकॉप्टर के हेलीपैड पर पुलिस और पीआरडी के अलावा निजी सुरक्षा कर्मियों को भी तैनात किया जाएगा.
इस बार विशेष सेवा के रूप में चार्टर्ड से सीधे दिल्ली या दूसरे राज्यों से केदारनाथ आने की इच्छा रखने वाले यात्रियों के लिए भी अच्छी खबर है. क्योंकि हवाई सेवा को लेकर फैसला किया गया है कि यदि कोई यात्री चार्टेड से आता है तो उसे सीधा केदारनाथ धाम में पहुंचने के लिए हवाई स्पेस की प्राथमिकता दी जाएगी. बता दें कि केदारनाथ धाम तक हवाई सेवा के जरिए एक बारी में छह हेलीकॉप्टर ही हवा में रह सकते हैं. लिहाजा चार्टर्ड के केदारनाथ आने के दौरान स्थानीय हेलीकॉप्टर की उड़ान स्थगित की जाएगी.