देहरादून: साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा (Kedarnath disaster in 2013) के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उत्तराखंड में एसडीआरएफ का गठन (Formation of SDRF in Uttarakhand) किया था. उस दौरान वर्ल्ड बैंक की सहायता से तमाम इक्विपमेंट भी उपलब्ध कराए गए, लेकिन पिछले 9 सालों के भीतर एसडीआरएफ टीम उस तरह से मजबूत नहीं हो पाई, जिस तरह से उसे मजबूत होना चाहिए था. ऐसे में अब एक बार फिर उत्तराखंड सरकार और आपदा विभाग, एसडीआरएफ को मजबूत बनाने के साथ ही वेल इक्विपमेंट से लैस करने की कवायद में जुट गई है. ऐसे में आपदा विभाग ने एसडीआरएफ को मजबूत और ज्यादा समझ बनाने का खाका तैयार कर लिया है.
एसडीआरएफ को आधुनिक बनाने की तैयारी: दरअसल, किसी भी प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्यों (Disaster Relief and Rescue) को त्वरित और प्रभावी रूप से करने के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल (State Disaster Response Force) यानी एसडीआरएफ गठन किया गया था. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. वहीं, मानसून सीजन के दौरान प्रदेश में आपदा की स्थिति बद से बदतर हो जाती है. आपदा के दौरान एसडीआरएफ एक अहम भूमिका निभाती है. ऐसे में इस मानसून सीजन के दौरान आपदा की घटनाओं से सबक लेते हुए एसडीआरएफ के आधुनिकीकरण पर निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही एसडीआरएफ में आपदा के लिहाज से टीमों को बढ़ाया जायेगा.
इक्विपमेंट के लिए वर्ल्ड बैंक को भेजा गया प्रस्ताव: आपदा राहत और बचाव कार्यों के लिए साल 2013 में एसडीआरएफ का गठन हुआ था. हालांकि, एसटीआरएफ के गठन के बाद वर्ल्ड बैंक ने एसडीआरएफ को तमाम इक्विपमेंट उपलब्ध कराए थे, लेकिन पिछले 9 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक जरूरी इक्विपमेंट एसजीआरएस को उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. ऐसे में एसडीआरएफ ने करीब 16 करोड़ रुपए के इक्विपमेंट का प्रस्ताव तैयार कर वर्ल्ड बैंक को भेजा है. इक्विपमेंट के लिए सभी फॉर्मेलिटी को पूरी कर ली गई है. अब वर्ल्ड बैंक के हामी का इंतजार है. ऐसे में वर्ल्ड बैंक से जो इक्विपमेंट प्राप्त होंगे, उन सभी इक्विपमेंट को एसडीआरएफ के सभी पोस्टों पर रखे जाएंगे. ताकि इसका आसानी से और जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सके.
हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू के लिए बैकअप टीम: एसडीआरएफ एक स्पेशलाइज्ड यूनिट है, लेकिन इस यूनिट को आधुनिक बनाने के लिए समय-समय पर स्पेशल टीम भी तैयार की जाती रही है. ऐसे में सीबीआरएन (केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर) की टीम के साथ हाई एटीट्यूड रेस्क्यू टीम की बहुत जरूरत होती है. क्योंकि ट्रैकिंग के दौरान अगर कोई ट्रेकर फंस जाता है तो, उसे निकालने के लिए ये टीम काफी मददगार साबित होगी. एसडीआरएफ के पास हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू की 14 से 20 सदस्यों की एक टीम मौजूद है, लेकिन उसके बैकअप के लिए एक और टीम तैयार की जानी है. जिसकी कवायद में आपदा विभाग जुटा हुआ है.
हाई एल्टीट्यूड वेलफेयर स्कूल में दिलाई जाएगी ट्रेनिंग: अभी तक एसडीआरएफ यूनिट को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) से ट्रेनिंग दी जा रही थी, लेकिन नीम में लिमिटेड सीट होने के चलते कई बार सीमित लोगों को ही ट्रेनिंग दिलाई जा रही थी. ऐसे में अब निर्णय लिया गया है कि हाई एल्टीट्यूड वेलफेयर स्कूल श्रीनगर में भी ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि कम समय के भीतर ही ट्रेंड टीमें प्राप्त हो जाएगी. क्योंकि मुख्य रूप से निम में लिमिट सीट होने के चलते कुछ ही लोगों को ट्रेनिंग दिलाई जा रही थी. ऐसे में अलग-अलग जगहों पर तमाम लोगों को एक साथ ट्रेनिंग दिलाई जा सकेगी. ताकि, इस ऑफ सीजन के दौरान एसडीआरएफ की सभी टीमों को अधिक कैपेसिटी के साथ मजबूत बनाया जा सके.
एनएसजी के माध्यम से दिलाई जाएगी विंचिंग की ट्रेनिंग: उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में ट्रेकिंग के दौरान जब ट्रेकर्स फंस जाते हैं तो, वहां पर रेस्क्यू अभियान चलाने में एसआरडीएफ को काफी मशक्कत करना पड़ता है. यही नहीं कई बार ऐसी स्थिति भी आती है कि जिन जगहों पर हेलीकॉप्टर लैंड नहीं हो पाता है. उन जगहों पर विंचिंग के माध्यम से ट्रेकर्स को रेस्ट कराया जाता है. लिहाजा अब एसडीआरएफ की विंचिंग टीम को मजबूत बनाए जाने को लेकर एनएसजी से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. इसके लिए फिलहाल आपदा विभाग की ओर से एनएसजी से संपर्क किया जा रहा है ताकि विंचिंग टीम को ट्रेनिंग देकर और अधिक मजबूत बनाया जा सके.
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दोनों रीजन में तैनात होंगे एसडीआरएफ की सीबीआरएन टीम: उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के साथ ही अप्राकृतिक आपदा और घटनाएं भी होती रहती हैं. ऐसे में आपातकाल के समय राहत बचाव कार्यों के साथ ही इस अपदा से निपटने के लिए एसडीआरएफ को ट्रेंड और नये इक्विपमेंट्स की अभी भी आवश्यकता है. एसडीआरएफ के पास सीबीआरएन यानी केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर की 21 सदस्यों की एक टीम मौजूद हैं. कोशिश की जा रही है कि प्रदेश के दोनों रीजन गढ़वाल और कुमाऊं में एक-एक टीम रखी जाए, जो पूरी तरह से ट्रेंड हो. इसके लिए एसडीआरएफ, सीबीआरएम की एक और टीम बनाने जा रही है. जो सभी आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार होगी.
हाई एल्टीट्यूड पर रेस्क्यू के लिए हेलीकॉप्टर की दरकार: उत्तराखंड राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर ट्रेकिंग के दौरान ट्रेकर्स के फंसने की सूचना प्राप्त होती रहती है. उस दौरान ट्रेकर्स को रेस्क्यू करने के लिए आपदा विभाग को वायुसेना से अनुरोध कर हेलीकॉप्टर मंगवाना पड़ता है. जिस को लेकर कुछ दिनों पहले हुई डिजास्टर मैनेजमेंट की बैठक में आपदा विभाग ने सीएम धामी के सामने इस बिंदु को रखा था. साथ ही हेलीकॉप्टर लिए जाने को लेकर उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया है. ताकि एसडीआरएफ के पास खुद का हेलीकॉप्टर हो. एसडीआरएफ की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा इस संबंध में राज्य सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव भेज दिया है. इसको लेकर केंद्र से राज्य सरकार की वार्ता चल रही है
फिर से शुरू होगी आपदा मित्र ट्रेनिंग कोर्स: उत्तराखंड में कुछ साल पहले एनडीएमए ने आपदा मित्र ट्रेनिंग कोर्स की शुरुआत की थी. उस दौरान हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले से दो 200 वालंटियर चुने गए थे. जिन्हें किसी भी तरह के आपदा से निपटने के लिए ट्रेंड किया गया था. वहीं, एनडीए में एक बार फिर से आपदा मित्र ट्रेनिंग कोर्स को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के कुछ और जिलों में वॉलिंटियर्स चुने जा रही है. जिसके तहत फिलहाल 1700 लोगों को वॉलिंटियर के रूप में चुना जाएगा. जिन्हें किसी भी प्रकार के आपदा से निपटने के लिए ट्रेंड किया जाएगा. मुख्य रूप से यह सभी वॉलिंटियर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में काम करेंगे.