ETV Bharat / state

उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 का विरोध शुरू, प्रधान संगठनों ने खोला मोर्चा - उत्तराखंड न्यूज

अली का कहना है कि सरकार ने नए विधेयक बनाते समय पंचायत राज एक्ट की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा. साथ ही विधेयक में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के लिए कट ऑफ डेट का कोई जिक्र नहीं किया गया. सिर्फ यह कहा गया है कि 3 बच्चों वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे

गुलफाम अली, पूर्व अध्यक्ष, जिला प्रधान संगठन
author img

By

Published : Jun 27, 2019, 7:39 PM IST

विकास नगर: उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 का विरोध होना शुरू हो गया है. जिला प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष गुलफाम अली ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. गुलफाम अली का आरोप है कि सरकार ये विधेयक लाकर पंचायत चुनाव समय से न कराकर टालना चाहती है.

पढ़ें- रॉयल शादी के बाद पालिका ने निकाला 300 क्विंटल कूड़ा, कई लीटर सीवरेज भी किया साफ

गुलफाम अली ने त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए पंचायतों के लिए जारी किए गए करोड़ों रुपए के बजट को आसानी से ठिकाने लगाने का काम कर रही है. यदि सरकार ने इस विधेयक की कमियां दूर नहीं करती है तो प्रधान संगठन आम जनता से साथ मिलकर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में जाएंगे.

गुलफाम अली, पूर्व अध्यक्ष, जिला प्रधान संगठन

पढ़ें- तीर्थनगरी में कूड़े की समस्या से जल्द मिलेगी निजात, 10 एकड़ भूमि पर तैयार होगा 'कूड़े का मैदान'

अली का कहना है कि सरकार ने नए विधेयक बनाते समय पंचायत राज एक्ट की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा. साथ ही विधेयक में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के लिए कट ऑफ डेट का कोई जिक्र नहीं किया गया. सिर्फ यह कहा गया है कि 3 बच्चों वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राज्यपाल की संतुति के बाद यह विधेयक यदि इस तरह कानून बन गया तो ये वास्तव में अंधा कानून होगा. संशोधित विधेयक के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों की 80 प्रतिशत जनता के मौलिक अधिकारों का हनन होगा.


विकास नगर: उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 का विरोध होना शुरू हो गया है. जिला प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष गुलफाम अली ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. गुलफाम अली का आरोप है कि सरकार ये विधेयक लाकर पंचायत चुनाव समय से न कराकर टालना चाहती है.

पढ़ें- रॉयल शादी के बाद पालिका ने निकाला 300 क्विंटल कूड़ा, कई लीटर सीवरेज भी किया साफ

गुलफाम अली ने त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए पंचायतों के लिए जारी किए गए करोड़ों रुपए के बजट को आसानी से ठिकाने लगाने का काम कर रही है. यदि सरकार ने इस विधेयक की कमियां दूर नहीं करती है तो प्रधान संगठन आम जनता से साथ मिलकर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में जाएंगे.

गुलफाम अली, पूर्व अध्यक्ष, जिला प्रधान संगठन

पढ़ें- तीर्थनगरी में कूड़े की समस्या से जल्द मिलेगी निजात, 10 एकड़ भूमि पर तैयार होगा 'कूड़े का मैदान'

अली का कहना है कि सरकार ने नए विधेयक बनाते समय पंचायत राज एक्ट की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा. साथ ही विधेयक में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के लिए कट ऑफ डेट का कोई जिक्र नहीं किया गया. सिर्फ यह कहा गया है कि 3 बच्चों वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राज्यपाल की संतुति के बाद यह विधेयक यदि इस तरह कानून बन गया तो ये वास्तव में अंधा कानून होगा. संशोधित विधेयक के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों की 80 प्रतिशत जनता के मौलिक अधिकारों का हनन होगा.


Intro:पूर्व जिला अध्यक्ष प्रधान संगठन देहरादून द्वारा उत्तराखंड संशोधन अधिनियम 2019 को मंजूरी पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूर्व प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष गुलफाम अली ने प्रेस वार्ता कर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए गए हैं.


Body:पूर्व जिला अध्यक्ष प्रधान संगठन देहरादून द्वारा उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रेस वार्ता कर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए गए हैं आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कई पूर्व प्रधान एवं वर्तमान प्रधान ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 लाकर पंचायत चुनाव को समय से ना कराकर टालना चाहती है जिससे वर्तमान में पंचायतों के लिए जारी किए गए करोड़ों के बजट को प्रशासकों की सहायता से आसानी से ठिकाने लगाया जा सके अगर सरकार विधेयक की त्रुटियों को दूर नहीं करती है तो प्रधान संगठन आम जनता के साथ मिलकर नैनीताल उच्च न्यायालय की शरण लेगा.


Conclusion:प्रधान संगठन देहरादून के पूर्व जिला अध्यक्ष गुलफाम अली ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सरकार द्वारा नया एक्ट बनाते समय पंचायत राज एक्ट की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा गया साथ ही विधायक में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के लिए कट ऑफ डेट का कोई जिक्र नहीं किया गया सिर्फ यह कहा गया है कि 3 बच्चों वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे राज्यपाल की संतति के बाद यह भी विधेयक इसी प्रकार कानून बन गया तो वास्तव में यह अंधा कानून होगा संशोधन विधेयक के वर्तमान स्वरूप के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्र की 80% जनता के मौलिक अधिकारों का हनन होगा

बाइट_ पूर्व जिला अध्यक्ष प्रधान संगठन देहरादून
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.