विकास नगर: उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 का विरोध होना शुरू हो गया है. जिला प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष गुलफाम अली ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. गुलफाम अली का आरोप है कि सरकार ये विधेयक लाकर पंचायत चुनाव समय से न कराकर टालना चाहती है.
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गुलफाम अली ने त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए पंचायतों के लिए जारी किए गए करोड़ों रुपए के बजट को आसानी से ठिकाने लगाने का काम कर रही है. यदि सरकार ने इस विधेयक की कमियां दूर नहीं करती है तो प्रधान संगठन आम जनता से साथ मिलकर नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में जाएंगे.
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अली का कहना है कि सरकार ने नए विधेयक बनाते समय पंचायत राज एक्ट की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा. साथ ही विधेयक में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के लिए कट ऑफ डेट का कोई जिक्र नहीं किया गया. सिर्फ यह कहा गया है कि 3 बच्चों वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राज्यपाल की संतुति के बाद यह विधेयक यदि इस तरह कानून बन गया तो ये वास्तव में अंधा कानून होगा. संशोधित विधेयक के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों की 80 प्रतिशत जनता के मौलिक अधिकारों का हनन होगा.