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देहरादून: पिरूल से बिजली की राह आसान, 14 करोड़ स्वीकृत

पिरूल से बिजली बनाने की प्रक्रिया को गति देने के लिए एडीबी से 14 करोड़ रुपये की मदद को लेकर केंद्र से हरी झंडी मिल गई है.

पिरूल से बिजली की राह आसान
पिरूल से बिजली की राह आसान
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Published : Jun 4, 2020, 10:04 PM IST

देहरादून: पिरूल से बिजली बनाने की प्रक्रिया को गति देने के लिए एडीबी से 14 करोड़ रुपये की मदद को लेकर केंद्र से हरी झंडी मिल गई है. जिसके बाद अब पिरूल से बिजली बनाने और बायोमास इकाइयों की स्थापना के साथ-साथ प्रशिक्षण को तेजी मिलेगी.

बता दें कि, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पिरूल से बिजली बनाने और विद्युत संबंधी अन्य योजनाओं में इकाइयों की स्थापना करना, महिला समूहों को पीरूल एकत्रीकरण और भंडारण की व्यवस्था की ट्रेनिंग के साथ-साथ वन पंचायतों, महिला मंगल दल के सदस्यों की क्षमता विकास और तकनीकी सहायता के लिए 14 करोड़ की धनराशि का प्रस्ताव रखा गया था.

पढ़ें- ग्रामीणों की पुकार, प्रवासियों को रोजगार दे सरकार

वहीं प्रदेश में हर साल करीब 6 लाख मीट्रिक टन पिरूल उपलब्ध होता है. इसके अतिरिक्त 8 मीट्रिक टन अन्य बायोमास जैसे कृषि उपज अवशेष, लेंटाना भी राज्य में पर्याप्त है. इस तरह हर साल 14 लाख मीट्रिक टन पिरूल और अन्य बायोमास उपलब्ध हो सकता है. जिससे करीब 150 मेगावाट विद्युत उत्पादन और 2000 मीटर तक ब्रीकेटिंग और बायो ऑयल उत्पादन की संभावना है.

देहरादून: पिरूल से बिजली बनाने की प्रक्रिया को गति देने के लिए एडीबी से 14 करोड़ रुपये की मदद को लेकर केंद्र से हरी झंडी मिल गई है. जिसके बाद अब पिरूल से बिजली बनाने और बायोमास इकाइयों की स्थापना के साथ-साथ प्रशिक्षण को तेजी मिलेगी.

बता दें कि, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पिरूल से बिजली बनाने और विद्युत संबंधी अन्य योजनाओं में इकाइयों की स्थापना करना, महिला समूहों को पीरूल एकत्रीकरण और भंडारण की व्यवस्था की ट्रेनिंग के साथ-साथ वन पंचायतों, महिला मंगल दल के सदस्यों की क्षमता विकास और तकनीकी सहायता के लिए 14 करोड़ की धनराशि का प्रस्ताव रखा गया था.

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वहीं प्रदेश में हर साल करीब 6 लाख मीट्रिक टन पिरूल उपलब्ध होता है. इसके अतिरिक्त 8 मीट्रिक टन अन्य बायोमास जैसे कृषि उपज अवशेष, लेंटाना भी राज्य में पर्याप्त है. इस तरह हर साल 14 लाख मीट्रिक टन पिरूल और अन्य बायोमास उपलब्ध हो सकता है. जिससे करीब 150 मेगावाट विद्युत उत्पादन और 2000 मीटर तक ब्रीकेटिंग और बायो ऑयल उत्पादन की संभावना है.

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