देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था किसी से छुपी नहीं हुई है. आलम यह है कि प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय मिलाकर करीब एक हजार से अधिक स्कूल जर्जर स्थिति में हैं. वहीं, अब अगले माह से मॉनसून भी दस्तक दे देगा. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षा शिक्षा विभाग मॉनसून से पहले इन जर्जर विद्यालयों की स्थिति को सुधार पाता है या इन्हीं स्कूलों में छात्रों को डर के साए में पढ़ने को मजबूर होना पड़ेगा. हालांकि, शिक्षा विभाग ने मॉनसून को देखते हुए एक लंबा चौड़ा निर्देश जारी किया है लेकिन उस निर्देश में कहीं भी इन स्कूलों की स्थिति सुधारने की बात नहीं की गई है.
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के अनुसार प्रदेश में 580 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो कि जर्जर स्थिति में हैं. इसके साथ ही 500 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय भी इसी स्थिति में बने हुए हैं. शिक्षा विभाग हर साल स्कूलों के मरम्मतीकरण के नाम पर करोड़ों का खर्च करता है. बावजूद इसके इन स्कूलों की स्थिति नहीं सुधार पाई है. वहीं, सरकारी विद्यालयों में शिक्षक अभिभावक संघ को भी समय-समय पर स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए फंड उपलब्ध करवाया जाता है. मॉनसून सीजन में स्कूलों की स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग का कहना है कि जल्द ही रिपेयरिंग की जाएगी.
शिक्षा निदेशक प्रारम्भिक वंदना गर्ब्याल (Education Director Primitive Vandana Garbyal) ने कहा कि मॉनूसन और आपदा को देखते हुए सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया गया है कि उन स्कूलों को चयनित किया जाए, जहां बिजली गिरने के साथ पानी के तेज बहाव का खतरा है. साथ ही स्कूल के आसपास सुरक्षित स्थान को चयनित किया जाए, जहां किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान सुरक्षित पहुंचा जा सके.
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बता दें, उत्तराखंड आपदा के दृष्टिकोण से बहुत ही संवेदनशील है. उसके बाद भी शिक्षा विभाग और सरकार द्वारा नौनिहालों की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई उचित कदम नहीं उठाए गए हैं. क्योंकि अगर इन जर्जर स्कूलों में बारिश के कारण कोई अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?