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राजधानी की शांत वादियों में घुल रहा प्रदूषण का जहर, टूट रहे मानकों के रिकॉर्ड - देहरादून न्यूज

कभी रिटायरमेंट की जिन्दगी बिताने के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाने वाले देहरादून शहर में शोरगुल और प्रदूषण ने लोगों का बुरा हाल कर रखा है. आज यहां सभी मानक रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं.

प्रदूषण
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Published : Aug 8, 2019, 5:17 PM IST

देहरादूनः राजधानी की शांत वादियों को लगातार मानव जनित अव्यवस्थित विकास की दखल ने अशांत कर दिया है और आलम अब ये है कि राजधानी देहरादून के अधिकतर चौराहे ध्वनि प्रदूषण की चरम सीमा के करीब हैं. इस पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकार इस पर गंभीर है और लगातार नियंत्रण करने के प्रयास जारी हैं.

देहरादून में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है.

स्वच्छ आबोहवा के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून शहर में जरूरत से ज्यादा अव्यस्थित विकास ने पिछले कुछ दशकों में यहां की आबोहवा में जहर घोलने का काम किया है. कभी रिटायरमेंट की जिन्दगी बिताने के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाने वाले देहरादून शहर में शोरगुल और प्रदूषण ने इतनी दखल दी है कि आज यहां सभी मानक रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं.

प्रदूषण के मामले में जहां हाल ही में ब्लैक कार्बन को लेकर etv भारत ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि किस तरह से देहरादून भी दिल्ली की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो वहीं अब ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े भी देहरादून में परेशान करने वाले हैं.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देहरादून के मुख्य चौराहों का ये है हाल
स्थान जोन डेसिबल
दून अस्पताल- साइलेंस 52 से 55.99
गांधी पार्क साइलेंस 52 से 65
रेसकोर्स आवासीय 52.3 से 67.05
नेहरू कॉलोनी आवासीय 54 से 66.38
सर्वे चौक कमर्शियल 73.2 से 75.8
घंटाघर कमर्शियल 70.6 से 76
सीएमआई चौक कमर्शियल 60.12 से 75.6
प्रिंस चौक कमर्शियल 72 से 75

विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सीएमआई और प्रिंस चौक पर ध्वनि प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है. हरक सिंह ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के मानकों के अनुसार 75 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण खतरे का होता है और अगर ये मानक 80 डेसीबल पहुंच जाता है तो ये बहुत ही ज्यादा गंभीर है.

यह भी पढ़ेंः हाईटेक तकनीक से बनेगा नया लक्ष्मण झूला पुल, होगा शीशे की तरह पारदर्शी

रावत ने बताया कि उत्तराखंड में ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश में एम्बुलेंस, पुलिस और अग्निशमन वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों पर सायरन बैन किया गया है. साथ ही परिवहन विभाग को भी दिशा- निर्देश दिए गए हैं कि वे ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय अनावश्यक हॉर्न न बजाने पर भी जोर दिया जाए.

ध्वनि के मानक

  • औद्योगिक क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 75 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 65 डेसिबल
  • कमर्शियल क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 65 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 55 डेसिबल
  • आवासीय क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 55 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 45 डेसिबल
  • (स्कूल, हॉस्पिटल)साइलेंस जोन- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 50 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 40 डेसिबल और आस पास के 100 मीटर की रेंज में कोई ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के तरीके

  • जरूरत पड़ने पर ही हॉर्न बजाएं, अनावश्यक हॉर्न न बजाएं
  • प्रेशर होर्न का प्रयोग न करें
  • शोर गुल वाले कार्यक्रमो का आयोजन बंद सभागार में किया जाए
  • किसी भी प्रकार के अनाउंसमेंट, जुलूस और शोर शराबे वाली यात्रा जिला प्रशासन की अनुमति के बिना न आयोजित की जाए
  • डीजे का प्रयोग तय समय तक ही हो और रात को लाउडस्पीकर और किसी भी शोरगुल वाले कार्यक्रम का आयोजन न किया जाए.

देहरादूनः राजधानी की शांत वादियों को लगातार मानव जनित अव्यवस्थित विकास की दखल ने अशांत कर दिया है और आलम अब ये है कि राजधानी देहरादून के अधिकतर चौराहे ध्वनि प्रदूषण की चरम सीमा के करीब हैं. इस पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकार इस पर गंभीर है और लगातार नियंत्रण करने के प्रयास जारी हैं.

देहरादून में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है.

स्वच्छ आबोहवा के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून शहर में जरूरत से ज्यादा अव्यस्थित विकास ने पिछले कुछ दशकों में यहां की आबोहवा में जहर घोलने का काम किया है. कभी रिटायरमेंट की जिन्दगी बिताने के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाने वाले देहरादून शहर में शोरगुल और प्रदूषण ने इतनी दखल दी है कि आज यहां सभी मानक रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं.

प्रदूषण के मामले में जहां हाल ही में ब्लैक कार्बन को लेकर etv भारत ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि किस तरह से देहरादून भी दिल्ली की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो वहीं अब ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े भी देहरादून में परेशान करने वाले हैं.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देहरादून के मुख्य चौराहों का ये है हाल
स्थान जोन डेसिबल
दून अस्पताल- साइलेंस 52 से 55.99
गांधी पार्क साइलेंस 52 से 65
रेसकोर्स आवासीय 52.3 से 67.05
नेहरू कॉलोनी आवासीय 54 से 66.38
सर्वे चौक कमर्शियल 73.2 से 75.8
घंटाघर कमर्शियल 70.6 से 76
सीएमआई चौक कमर्शियल 60.12 से 75.6
प्रिंस चौक कमर्शियल 72 से 75

विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सीएमआई और प्रिंस चौक पर ध्वनि प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है. हरक सिंह ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के मानकों के अनुसार 75 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण खतरे का होता है और अगर ये मानक 80 डेसीबल पहुंच जाता है तो ये बहुत ही ज्यादा गंभीर है.

यह भी पढ़ेंः हाईटेक तकनीक से बनेगा नया लक्ष्मण झूला पुल, होगा शीशे की तरह पारदर्शी

रावत ने बताया कि उत्तराखंड में ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश में एम्बुलेंस, पुलिस और अग्निशमन वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों पर सायरन बैन किया गया है. साथ ही परिवहन विभाग को भी दिशा- निर्देश दिए गए हैं कि वे ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय अनावश्यक हॉर्न न बजाने पर भी जोर दिया जाए.

ध्वनि के मानक

  • औद्योगिक क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 75 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 65 डेसिबल
  • कमर्शियल क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 65 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 55 डेसिबल
  • आवासीय क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 55 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 45 डेसिबल
  • (स्कूल, हॉस्पिटल)साइलेंस जोन- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 50 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 40 डेसिबल और आस पास के 100 मीटर की रेंज में कोई ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के तरीके

  • जरूरत पड़ने पर ही हॉर्न बजाएं, अनावश्यक हॉर्न न बजाएं
  • प्रेशर होर्न का प्रयोग न करें
  • शोर गुल वाले कार्यक्रमो का आयोजन बंद सभागार में किया जाए
  • किसी भी प्रकार के अनाउंसमेंट, जुलूस और शोर शराबे वाली यात्रा जिला प्रशासन की अनुमति के बिना न आयोजित की जाए
  • डीजे का प्रयोग तय समय तक ही हो और रात को लाउडस्पीकर और किसी भी शोरगुल वाले कार्यक्रम का आयोजन न किया जाए.
Intro:summary- ध्वनि प्रदूषण पर देहरादून शहर का हाल


एंकर- देवभूमि उत्तराखंड की शांत वादियों को लगातार मानव निर्मित अव्यवस्थित विकास की दखल ने अशांत कर दिया है और आलम अब ये है कि राजधानी देहरादून शहर के अधिकतम चौराहे ध्वनि प्रदूषण के चरम मानक के करीब है। इस पर वन मंन्त्री हरक सिंह रावत ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार इस पर गंभीर है और लगातर इस पर नियंत्रण करने के प्रयास जारी है।


Body:वीओ- अपनी आबो हवा के लिए पहचानी जाने वाले देहरादून शहर में जरूरत से ज्यादा अव्यस्थित विकास ने पिछले कुछ दशकों में यंहा की आबो हवा में जहर घोलने का काम किया है।
कभी रिटायरमेंट की जिन्दगी बिताने के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाने वाले देहरादून शहर में शोर गुल और प्रदूषण ने इतनी दखल दी है कि आज यंहा सभी मानक रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।

प्रदूषण के मामले में जहां हाल ही में ब्लैक कार्बन को लेकर etv भारत ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि किस तरह से देहरादून भी दिल्ली की राह पर आगे बढ़ रहा है तो वही अब ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े भी देहरादून में पदेशान करने वाले हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देहरादून के मुख चौराहों का ये है हाल---
स्थान जोन डेसिबल
दून अस्पताल- साइलेंस 52 से 55.99
गांधी पार्क- साइलेंस 52 से 65
रेसकोर्स- आवासीय 52.3 से 67.05
नेहरू कॉलोनी- आवासीय 54 से 66.38
सर्वे चौक- कमर्शियल 73.2 से 75.8
घंटाघर- कमर्शियल 70.6 से 76
सीएमआई चौक- कमर्शियल 60.12 से 75.6
प्रिंस चौक- कमर्शियल 72 से 75

विभागीय मंन्त्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सीएमआई और प्रिंस चौक पर ध्वनि प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है। हरक सिंह रावत ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के मानकों के अनुसार 75 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण खतरे का होता है और अगर ये मानक 80 डेसीबल पहुंच जाता है तो ये स्थिति बहुत ही ज्यादा गंभीर है। मंन्त्री हरक सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड में ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश में एम्बुलेंस, पुलिस और अग्निशमन वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों पर सायरन बैन किया गया है साथ ही परिवहन विभाग को भी दिशानिर्देश दिए गए हैं कि वो ड्राइवरिंग लाइसेन्स बनाते समय आवश्यक हॉर्न ना बजाने पर भी जोर दिया जाय।
बाइट- हरक सिंह रावत, वन एवं पर्यावरण मंत्री

ध्वनि के मानक---
1- औद्योगिक क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 75 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 65 डेसिबल।
2- कमर्शियल क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 65 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 55 डेसिबल।
3- आवासीय क्षेत्र- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 55 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 45 डेसिबल।
4- (स्कूल, हॉस्पिटल)साइलेंस जोन- इस क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक 50 डेसिबल, जबकि रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक 40 डेसिबल और आस पास के 100 मीटर की रेंज में कोई ध्वनि प्रदूषण नही होना चाहिए।


ध्वनि प्रदूषण को रोकने के तरीके-
1- जरूरत पड़ने पर ही हॉर्न बजाए, अनावश्यक हॉर्न ना बजाए।
2- प्रेशर होर्न का प्रयोग ना करें।
3- शोर गुल वाले कार्यक्रमो का आयोजन बंद सभागार में किया जाय।
4- किसी भी प्रकार के अनाउंसमेंट, जुलूस और शोर शराबे वाली यात्रा जिला प्रशासन की अनुमति के बिना ना आयोजित की जाय।
5- डीजे का प्रयोग तय समय तक ही हो और रात को लाउडस्पीकर और किसी भी शोरगुल वाले कार्यक्रम का आयोजन ना किया जाय।


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