देहरादूनः उत्तराखंड में बीजेपी के दो बड़े नेताओं के बयानों से न केवल बीजेपी खुद असहज महसूस कर रही है, बल्कि विपक्ष भी दोनों नेताओं के बयानों के बाद आग बबूला है. पहला बयान सरकार में कैबिनेट मंत्री और मसूरी से विधायक गणेश जोशी का है तो वहीं दूसरा बयान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की तरफ से आया है. जिसमें जोशी ने इंदिरा और राजीव की मौत को शहादत नहीं हादसा करार दिया तो वहीं महेंद्र भट्ट ने जोशीमठ में विरोध के बहाने माओवाद को बढ़ावा देने की बात कहते हुए आंदोलनकारियों पर कटाक्ष किया. अब दोनों ही नेताओं के बयानों से राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.
गणेश जोशी और विवादित बयान की लंबी है फेहरिस्त: मसूरी से विधायक गणेश जोशी के मुंह से ऐसे शब्द कोई पहली बार नहीं निकले हैं. वो पहले भी कुछ ऐसा ही बयान देकर चर्चाओं में आ चुके हैं. गणेश जोशी राज्य सरकार की कैबिनेट में बेहद उम्रदराज नेता हैं, लेकिन उनके किस्से आज भी खबरों और सोशल मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं. फिर वो किस्सा देहरादून एयरपोर्ट पर रॉबर्ट वाड्रा से झगड़ा हो या फिर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए ये कहना कि जब तक कांग्रेस में पप्पू और बबली हैं, तब तक कांग्रेस गर्त में ही जाएगी. गणेश जोशी कई बार ऐसे बयान देते हैं. जो विवादों में आ जाते हैं.
अब उनका एक नया बयान सामने आया. जिसमें उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए मारे गए. साथ ही कहा कि राहुल गांधी की हिम्मत नहीं है कि वो लाल चौक पर झंडा फहरा देता. ये श्रेय पीएम मोदी को जाता है. जिन्होंने वहां से धारा 370 हटाई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपनी बुद्धि के अनुसार बात करते हैं. जबकि, जिस हादसे को वो शहादत का नाम देते हैं. वो शहादत ही नहीं है, वो एक हादसा था. हैरानी ये है कि यह बयान देने के 4 दिन बाद भी गणेश जोशी अपने बयान पर अडिग हैं. अभी वो यही बात दोबारा दोहरा रहे हैं. जिसे लेकर कांग्रेस हमलावर है.
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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने क्यों कहीं ये बात? खैर ये बात तो रही गणेश जोशी के बयान की. हैरानी तो तब हुई जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने ये दावा कर दिया कि उनको ये अंदेशा है कि जोशीमठ में कुछ माओवादी शक्तियां विरोध के बहाने चाइना को यहां से सहयोग कर रही है. महेंद्र भट्ट ने ये जो बयान दिया. उसके बाद हो सकता है कि सरकार को इस बारे में और सोचना चाहिए, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि क्या महेंद्र भट्ट ने इस बात की जानकारी राज्य के खुफिया विभाग या सरकार के मुखिया को दी है या नहीं.
महेंद्र भट्ट आगे ये भी दावा कर रहे हैं कि अनावश्यक रूप से लोग यात्रा को प्रभावित कर रहे हैं. भट्ट मानते हैं कि जिनका उत्तराखंड से कोई लेना नहीं, लेकिन उसके बाद भी वो लोग यहां विरोध कर रहे हैं. वैसे इसमें कोई दो राय नहीं है कि महेंद्र भट्ट जोशीमठ के हालात को अच्छे से जानते हैं. क्योंकि, वो वहीं से विधायक रह चुके हैं. उनकी विधानसभा भी वही है.
कांग्रेस हुई हमलवारः इन सब के बीच कांग्रेस भी इन नेताओं को लेकर हमलावर है. कांग्रेस प्रवक्ता सुझाता पॉल की मानें तो दोनों नेताओं के बयान एक ही तारीख को आया है. इससे जाहिर होता है कि सब कुछ सोच समझ कर बोला जा रहा है. पॉल कहती हैं कि हैरानी की बात है कि महेंद्र भट्ट जिनको माओवादी बता रहे हैं, उन्हीं लोगों से मिलने के लिए सीएम भी जोशीमठ कई बार गए. कांग्रेस तंज कसते हुए कह रही है कि सीएम धामी ही बताएं कि वो अपने अध्यक्ष के बयान से कितना इत्तेफाक रखते हैं. वहीं, गणेश जोशी के बयान पर भी पॉल कहती हैं कि ये लोग गांधी परिवार के बलिदान के लिए कुछ बोलने लायक ही नहीं हैं.
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बीजेपी नेता ही दे रहे बीजेपी नेताओं को नसीहतः ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस ही बीजेपी नेताओं के बयान पर हमलावर या उसे गलत बता रही हो. बीजेपी खुद अपने नेताओं को नसीहत दे रही है कि बयानबाजी सोच समझ कर करनी चाहिए. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि किसी भी व्यक्ति या पार्टी से राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन किसी के लिए उल्टी सीधी टिप्पणी करना कहीं से कहीं तक ठीक नहीं है. हमें शब्दों को दायरे में रहकर कहना चाहिए.
उत्तराखंड में आएं दिन नेता जिस तरह के बयानबाजी कर रहे हैं, वैसी बयानबाजी पहाड़ की राजनीति में शायद पहले नहीं होती थी, लेकिन अब विवादित बयानों को देने में न कांग्रेस पीछे रहती है और न ही बीजेपी के बड़े नेता. इन बयानों से पार्टी को कितना फायदा पहुंचता है, ये तो पार्टी ही जाने, लेकिन इतना तय है कि राजनीति में शुचिता की बात करने वाले नेताओं के मुंह से इस तरह की बयानबाजी कहीं से कहीं सही नहीं लगती है.
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