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उत्तराखंड बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे के मायने, कुछ फेरबदल होने वाला है क्या?

उत्तराखंड में हुई भर्ती घोटालों को लेकर जहां प्रदेश सरकार चौतरफा घिरी हुई हैं. वहीं, उत्तराखंड बीजेपी नेताओं की दिल्ली दौड़ ने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पीएम मोदी से मुलाकात की, जिसके बाद से दिल्ली से लेकर देहरादून तक चर्चाएं तेज हैं. त्रिवेंद्र रावत का यह दौरा कोई नॉर्मल दौरा नहीं है, बल्कि आने वाले समय में राज्य में कुछ परिवर्तन देखने को मिल सकता है.

UTTARAKHAND
बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे के मायने
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Published : Sep 8, 2022, 9:15 PM IST

Updated : Sep 10, 2022, 12:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती घोटालों (recruitment scams in Uttarakhand)की बाढ़ आई तो तमाम बीजेपी नेता दिल्ली की तरफ रुख करने लगे हैं. यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच (UKSSSC paper leak investigation) में अब तक में 30 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है. चाहे राज्य की राजधानी देहरादून या गढ़वाल कुमाऊं का कोई भी शहर हो, हर जगह मौजूदा सरकार और सिस्टम के खिलाफ बेरोजगार सड़कों पर हैं. बेरोजगारों की मांग है कि राज्य सरकार दोषी लोगों को सजा देने के साथ, पर्दे के पीछे छुपे उन लोगों को भी सजा दे, जो अब तक सामने नहीं आ पाए हैं.

इसके अलावा सरकार से युवा यह भी जवाब मांग रहे हैं उन युवाओं का क्या होगा, जो आंखों में सपने लिए इस इंतजार में बैठे हैं कि शायद आज नहीं तो कल बेरोजगारी का जो ठप्पा उनके माथे पर लगा है, वह उनकी मेहनत के बाद हट सकेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) लगातार युवाओं से कह रहे हैं कि किसी के साथ वह अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन एक के बाद एक सामने आ रहे मामले और विधानसभा भर्ती मामले के बाद बीजेपी की टेंशन बढ़ती जा रही है. वहीं, दूसरी ओर टेंशन उन नेताओं ने भी बढ़ा रखी है, जो लगातार दिल्ली में जाकर केंद्रीय नेताओं से मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 'पार्टी धर्म' निभाने के बाद 'कर्तव्य पथ' पर त्रिवेंद्र! कही ये बड़ी बात

दिल्ली में क्या पक रहा है: उत्तराखंड में चाहे कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही हो, उनकी दिल्ली दौड़ यह बता देती है कि राज्य में कुछ ना कुछ ऐसा होने जा रहा है. जिसकी उम्मीद या तो जनता बहुत पहले से कर रही थी या फिर कुछ ऐसा होता है जिसकी उम्मीद जनता को थी ही नहीं. हालांकि, फिलहाल राज्य में ऐसा लगता नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी कुछ करने के मूड में है, लेकिन जिस तरह से बीते दिनों घोटाले घपले और भर्ती में मंत्रियों के बयान आए हैं, उससे यह चर्चाएं तेज है कि आलाकमान किसी ना किसी को जरूर इसके लिए दोषी ठहरा सकता है.

बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे के मायने

वहीं, विधानसभा भर्ती मामले की जांच (Assembly recruitment case investigation) विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों के बाद की जा रही है. इस मामले में कौन दोषी है और कौन निर्दोष यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगी, लेकिन पार्टी की जांच में सूत्र बताते हैं के पूर्व के विधानसभा अध्यक्ष जरूर संदेह के घेरे में है. मीडिया से बातचीत करते हुए जिस तरह से उन्होंने अपना रूप दिखाया है और इस बात को स्वीकार किया है कि हां उनके परिजन भी इस भर्ती में भर्ती हुए हैं, इसके बाद बीजेपी के ऊपर कांग्रेस को हमला करने का मौका मिला गया है.

ये भी पढ़ें: सब इंस्पेक्टर भर्ती मामले की विजिलेंस ने शुरू की जांच, हो सकता है बड़ा खुलासा

ऐसे में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और साल 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों में इसका कोई फर्क ना पड़े. ऐसे में बीजेपी एक कड़ा संदेश देकर ना केवल अपने विरोधियों को शांत करने की कोशिश करेगी, बल्कि अपने नेताओं को भी यह नसीहत देने की पूरी कोशिश है कि अगर कुछ भी गलत होता है तो उसे ना तो सहा जाएगा और ना ही बख्शा जाएगा.

त्रिवेंद्र को अचानक इतनी तवज्जो के मायने: फिलहाल, हम बात कर रहे हैं दिल्ली में लगातार जा रहे प्रदेश के नेताओं की. दिल्ली में 7 सितंबर को अचानक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) की मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से होती है. लगभग 1 घंटे तक हुई इस मुलाकात में क्या कुछ हुआ यह बात तो साफ नहीं है, लेकिन जितना त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने बयान में बताया है. वह यह है कि उनकी यह मुलाकात मात्र शिष्टाचार भेंट थी. वह लंबे समय से अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिल पा रहा था. जैसे ही उन्हें समय मिला वैसे ही वह दिल्ली पहुंच गए.

वहीं, इससे इतर चर्चाएं यह भी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर पार्टी अंदर खाने विचार कर रही है. यही कारण है जेपी नड्डा से 1 घंटे की मुलाकात के बाद आज 8 सितंबर को लगभग 45 मिनट की मुलाकात त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई है. कल अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात को स्वीकारा था कि जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात में राज्य के मौजूदा समय के हालातों पर चर्चा हुई है. बताया तो यह भी जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाकर पार्टी आलाकमान ने मौजूदा घटनाक्रम की जानकारी ली थी. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के बाद दिल्ली से लेकर देहरादून तक चर्चाएं तेज हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह दौरा कोई नॉर्मल दौरा नहीं था, बल्कि आने वाले समय में राज्य में कुछ परिवर्तन देखने के लिए मिल सकता है.

ये भी पढ़ें: सफेदपोशों और ब्यूरोक्रेट ने पैदा किए हाकम सिंह- कांग्रेस MLA राजेंद्र भंडारी

प्रेमचंद और धन सिंह के दिल्ली जाने क्या मायने: त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर दूसरे स्थान पर पहुंचे थे, तो वहीं उसी शाम यानी 7 सितंबर को अचानक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी दिल्ली रवाना हो गए. उनके दिल्ली रवाना होने की खबर किसी को कानों कान तक नहीं लगी, लेकिन उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह दिल्ली जा रहे हैं तो उन्होंने इतना जरूर कहा कि हां वह दिल्ली जरूर जा रहे हैं, लेकिन यह दौरा उनका निजी दौरा है. प्रेमचंद अग्रवाल एक हफ्ते में दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं. लिहाजा, उनका यह दिल्ली द्वारा भी संदेह भरी नजर से देखा जा रहा है.

आपको बता दें कि प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए ही 7 से ज्यादा भर्तियां विधानसभा में हुई हैं. जिसको लेकर राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस पार्टी और दूसरी अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता बीजेपी पर हमलावर हैं. उनका वह बयान जिसमें वह खुलकर इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं. वह भी काफी वायरल हुआ. इसके साथ ही कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में धन सिंह रावत को भी देखा गया है. बताया जा रहा है की बाकी नेताओ की तरह वह भी अपने निजी दौरे पर ही गए होंगे, लेकिन दिल्ली में बड़े नेताओं से मिली विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भी यही कह रहीं है कि एक महीने में जो जांच में सामने आएगा. उसके बाद पार्टी की तरफ से भी उन्हें साफ निर्देश दिए गए हैं कि दोषी कोई भी हो उसे बख्शा ना जाए.

ये भी पढ़ें: 2024 में BJP को 'डूबा' न दे भर्ती घोटाला! कांग्रेस को हाथ लगा आपदा में अवसर

कांग्रेस की बीजेपी नेताओ से अपील: उधर, दिल्ली में उत्तराखंड बीजेपी नेताओ की दौड़ को कांग्रेस भी संदेह की नजर से देख रही है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने कहा बीजेपी के नेता दिल्ली आएं या फिर दिल्ली जाएं, चाहे कुछ भी करें, लेकिन पार्टी के बड़े नेता उत्तराखंड पर रहम करें. कांग्रेस को भी लग रहा है कि अचानक उत्तराखंड बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे से उत्तराखंड भाजपा में कहीं बदलाव फिर से तो नहीं होने जा रहा है. लिहाजा, कांग्रेस ने बीजेपी से आग्रह किया है कि अगर कुछ ऐसा है भी तो पार्टी राज्य की जनता पर रहम खाए और कोई ऐसा फैसला न ले जो जनता के हितों को प्रभावित करें.

बीजेपी ने कहा ऑल इज वेल: उत्तराखंड बीजेपी ने अपने नेताओं के दिल्ली दौरे को लेकर कहा कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है, कांग्रेस जो सपने देख रही है वो सिर्फ मुंगरी लाल के सपने हैं. बाकी और कुछ नहीं है. क्यूंकि राज्य और बीजेपी में सब कुछ ऑल इज वेल है. शादाब शम्स की मानें तो नेताओं के दिल्ली दौरे होते रहते हैं. बीजेपी नेता अपनी पार्टी के नेताओं से नहीं मिलेंगे तो किससे मिलेंगे? इसलिए कांग्रेस राज्य में इस तरह का भ्रमित प्रचार करना बंद करे. बहरहाल, ऐसा नहीं है कि राज्य में कुछ गुल नहीं खिलने वाला है. इतना जरूर है की छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर बीजेपी कुछ ना कुछ जरूर करने जा रही है. मौजूदा हालात और परिस्थितियां तो इसी की ओर इशारा कर रही है.

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती घोटालों (recruitment scams in Uttarakhand)की बाढ़ आई तो तमाम बीजेपी नेता दिल्ली की तरफ रुख करने लगे हैं. यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच (UKSSSC paper leak investigation) में अब तक में 30 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है. चाहे राज्य की राजधानी देहरादून या गढ़वाल कुमाऊं का कोई भी शहर हो, हर जगह मौजूदा सरकार और सिस्टम के खिलाफ बेरोजगार सड़कों पर हैं. बेरोजगारों की मांग है कि राज्य सरकार दोषी लोगों को सजा देने के साथ, पर्दे के पीछे छुपे उन लोगों को भी सजा दे, जो अब तक सामने नहीं आ पाए हैं.

इसके अलावा सरकार से युवा यह भी जवाब मांग रहे हैं उन युवाओं का क्या होगा, जो आंखों में सपने लिए इस इंतजार में बैठे हैं कि शायद आज नहीं तो कल बेरोजगारी का जो ठप्पा उनके माथे पर लगा है, वह उनकी मेहनत के बाद हट सकेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) लगातार युवाओं से कह रहे हैं कि किसी के साथ वह अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन एक के बाद एक सामने आ रहे मामले और विधानसभा भर्ती मामले के बाद बीजेपी की टेंशन बढ़ती जा रही है. वहीं, दूसरी ओर टेंशन उन नेताओं ने भी बढ़ा रखी है, जो लगातार दिल्ली में जाकर केंद्रीय नेताओं से मिल रहे हैं.

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दिल्ली में क्या पक रहा है: उत्तराखंड में चाहे कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही हो, उनकी दिल्ली दौड़ यह बता देती है कि राज्य में कुछ ना कुछ ऐसा होने जा रहा है. जिसकी उम्मीद या तो जनता बहुत पहले से कर रही थी या फिर कुछ ऐसा होता है जिसकी उम्मीद जनता को थी ही नहीं. हालांकि, फिलहाल राज्य में ऐसा लगता नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी कुछ करने के मूड में है, लेकिन जिस तरह से बीते दिनों घोटाले घपले और भर्ती में मंत्रियों के बयान आए हैं, उससे यह चर्चाएं तेज है कि आलाकमान किसी ना किसी को जरूर इसके लिए दोषी ठहरा सकता है.

बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे के मायने

वहीं, विधानसभा भर्ती मामले की जांच (Assembly recruitment case investigation) विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों के बाद की जा रही है. इस मामले में कौन दोषी है और कौन निर्दोष यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगी, लेकिन पार्टी की जांच में सूत्र बताते हैं के पूर्व के विधानसभा अध्यक्ष जरूर संदेह के घेरे में है. मीडिया से बातचीत करते हुए जिस तरह से उन्होंने अपना रूप दिखाया है और इस बात को स्वीकार किया है कि हां उनके परिजन भी इस भर्ती में भर्ती हुए हैं, इसके बाद बीजेपी के ऊपर कांग्रेस को हमला करने का मौका मिला गया है.

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ऐसे में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और साल 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों में इसका कोई फर्क ना पड़े. ऐसे में बीजेपी एक कड़ा संदेश देकर ना केवल अपने विरोधियों को शांत करने की कोशिश करेगी, बल्कि अपने नेताओं को भी यह नसीहत देने की पूरी कोशिश है कि अगर कुछ भी गलत होता है तो उसे ना तो सहा जाएगा और ना ही बख्शा जाएगा.

त्रिवेंद्र को अचानक इतनी तवज्जो के मायने: फिलहाल, हम बात कर रहे हैं दिल्ली में लगातार जा रहे प्रदेश के नेताओं की. दिल्ली में 7 सितंबर को अचानक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) की मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से होती है. लगभग 1 घंटे तक हुई इस मुलाकात में क्या कुछ हुआ यह बात तो साफ नहीं है, लेकिन जितना त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने बयान में बताया है. वह यह है कि उनकी यह मुलाकात मात्र शिष्टाचार भेंट थी. वह लंबे समय से अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिल पा रहा था. जैसे ही उन्हें समय मिला वैसे ही वह दिल्ली पहुंच गए.

वहीं, इससे इतर चर्चाएं यह भी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर पार्टी अंदर खाने विचार कर रही है. यही कारण है जेपी नड्डा से 1 घंटे की मुलाकात के बाद आज 8 सितंबर को लगभग 45 मिनट की मुलाकात त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई है. कल अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात को स्वीकारा था कि जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात में राज्य के मौजूदा समय के हालातों पर चर्चा हुई है. बताया तो यह भी जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाकर पार्टी आलाकमान ने मौजूदा घटनाक्रम की जानकारी ली थी. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के बाद दिल्ली से लेकर देहरादून तक चर्चाएं तेज हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह दौरा कोई नॉर्मल दौरा नहीं था, बल्कि आने वाले समय में राज्य में कुछ परिवर्तन देखने के लिए मिल सकता है.

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प्रेमचंद और धन सिंह के दिल्ली जाने क्या मायने: त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर दूसरे स्थान पर पहुंचे थे, तो वहीं उसी शाम यानी 7 सितंबर को अचानक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी दिल्ली रवाना हो गए. उनके दिल्ली रवाना होने की खबर किसी को कानों कान तक नहीं लगी, लेकिन उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह दिल्ली जा रहे हैं तो उन्होंने इतना जरूर कहा कि हां वह दिल्ली जरूर जा रहे हैं, लेकिन यह दौरा उनका निजी दौरा है. प्रेमचंद अग्रवाल एक हफ्ते में दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं. लिहाजा, उनका यह दिल्ली द्वारा भी संदेह भरी नजर से देखा जा रहा है.

आपको बता दें कि प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए ही 7 से ज्यादा भर्तियां विधानसभा में हुई हैं. जिसको लेकर राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस पार्टी और दूसरी अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता बीजेपी पर हमलावर हैं. उनका वह बयान जिसमें वह खुलकर इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं. वह भी काफी वायरल हुआ. इसके साथ ही कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में धन सिंह रावत को भी देखा गया है. बताया जा रहा है की बाकी नेताओ की तरह वह भी अपने निजी दौरे पर ही गए होंगे, लेकिन दिल्ली में बड़े नेताओं से मिली विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भी यही कह रहीं है कि एक महीने में जो जांच में सामने आएगा. उसके बाद पार्टी की तरफ से भी उन्हें साफ निर्देश दिए गए हैं कि दोषी कोई भी हो उसे बख्शा ना जाए.

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कांग्रेस की बीजेपी नेताओ से अपील: उधर, दिल्ली में उत्तराखंड बीजेपी नेताओ की दौड़ को कांग्रेस भी संदेह की नजर से देख रही है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने कहा बीजेपी के नेता दिल्ली आएं या फिर दिल्ली जाएं, चाहे कुछ भी करें, लेकिन पार्टी के बड़े नेता उत्तराखंड पर रहम करें. कांग्रेस को भी लग रहा है कि अचानक उत्तराखंड बीजेपी नेताओं के दिल्ली दौरे से उत्तराखंड भाजपा में कहीं बदलाव फिर से तो नहीं होने जा रहा है. लिहाजा, कांग्रेस ने बीजेपी से आग्रह किया है कि अगर कुछ ऐसा है भी तो पार्टी राज्य की जनता पर रहम खाए और कोई ऐसा फैसला न ले जो जनता के हितों को प्रभावित करें.

बीजेपी ने कहा ऑल इज वेल: उत्तराखंड बीजेपी ने अपने नेताओं के दिल्ली दौरे को लेकर कहा कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है, कांग्रेस जो सपने देख रही है वो सिर्फ मुंगरी लाल के सपने हैं. बाकी और कुछ नहीं है. क्यूंकि राज्य और बीजेपी में सब कुछ ऑल इज वेल है. शादाब शम्स की मानें तो नेताओं के दिल्ली दौरे होते रहते हैं. बीजेपी नेता अपनी पार्टी के नेताओं से नहीं मिलेंगे तो किससे मिलेंगे? इसलिए कांग्रेस राज्य में इस तरह का भ्रमित प्रचार करना बंद करे. बहरहाल, ऐसा नहीं है कि राज्य में कुछ गुल नहीं खिलने वाला है. इतना जरूर है की छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर बीजेपी कुछ ना कुछ जरूर करने जा रही है. मौजूदा हालात और परिस्थितियां तो इसी की ओर इशारा कर रही है.

Last Updated : Sep 10, 2022, 12:44 PM IST
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