ETV Bharat / state

राजनीतिक दलों ने दी प्रदेश सरकार को आंदोलन की चेतावनी

author img

By

Published : Jan 22, 2021, 10:47 AM IST

विभिन्न राजनीतिक दलों का कहना है कि प्रदेश सरकार मलिन बस्तियों और आश्रय के अधिकार की उपेक्षा कर रही है. वहीं, राजनीतिक दलों प्रदेश सरकार से मांग की है कि जल्द मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की समस्साओं का समाधान हो.

Dehradun
राजनीतिक दलों ने दी प्रदेश सरकार को चेतावनी

देहरादून: मलिन बस्ती के निवासियों के हकों को लेकर विपक्षी दलों और राज्य के विभिन्न संगठनों ने जनआंदोलन की चेतावनी दी है. राज्य के विपक्षी दलों का कहना है कि प्रदेश सरकार मलिन बस्तियों और आश्रय के अधिकार की उपेक्षा कर रही है. इसके लिए आने वाले समय में बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

राजनीतिक दलों ने दी प्रदेश सरकार को चेतावनी

विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड की मलिन बस्ती में लाखों परिवार रहते हैं. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद साल 2018 में देहरादून के लाखों घर उजाड़ने के लिए सरकार तैयार हो गई थी. जनविरोध होने के बाद सरकार की ओर से एक अध्यादेश लाया गया. लेकिन अध्यादेश में सिर्फ 3 साल के लिए बेदखली की प्रक्रिया निलंबित की गई. 3 साल वाली प्रक्रिया जून 2021 में समाप्त होने वाला हैं. ऐसे में सरकार फिर कोई ना कोई बहाना बनाएगी.

ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड पुलिस के ये कर्मचारी होंगे सम्मानित, देखें लिस्ट

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि ऐसे लाखों लोगों की पहली जरूरत आवास है. लेकिन प्रदेश सरकार इनकी सुरक्षा के लिए कोई भी इंतजाम नहीं कर रही है. वहीं, CPI नेता समर भंडारी का कहना है कि विभिन्न दलों का सरकार पर आरोप है कि सरकार बड़े-बड़े बिल्डरों के हितों में योजनाएं और नीतियां बनाती है. लेकिन मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देती है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड STF का सबसे बड़ा खुलासा, राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले गिरोह का पर्दाफाश

वहीं, विपक्षी दलों ने यह फैसला लिया है कि सरकार इस दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित कर मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूर और गरीबों के आवासों को महफूज करे. अगर प्रदेश सरकार ऐसा नहीं करती है, तो सभी विपक्षी दल और सामाजिक संगठन संयुक्त रूप से मिल कर एक बड़ा आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी.

मुख्य मांगें

  • आश्रय का अधिकार कानूनी हक होना चाहिए.
  • राज्य के सारे शहरों की मलिन बस्तियों का सर्वे कर उनका नक्शा सरकार को घोषित करना चाहिए.
  • अगर पुनर्वास ही होना है, तो प्रभावितों की सहमति से ही पुनर्वास योजना बनें.
  • निर्माण मजदूर कल्याण कोष द्वारा सरकार मजदूरों के लिए हॉस्टलों की स्थापना करें, जहां पर मजदूर नि:शुल्क रह सके और मजदूर चौकियों में छत और बुनियादी सुविधाएं सृजित की जाएं.

देहरादून: मलिन बस्ती के निवासियों के हकों को लेकर विपक्षी दलों और राज्य के विभिन्न संगठनों ने जनआंदोलन की चेतावनी दी है. राज्य के विपक्षी दलों का कहना है कि प्रदेश सरकार मलिन बस्तियों और आश्रय के अधिकार की उपेक्षा कर रही है. इसके लिए आने वाले समय में बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

राजनीतिक दलों ने दी प्रदेश सरकार को चेतावनी

विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड की मलिन बस्ती में लाखों परिवार रहते हैं. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद साल 2018 में देहरादून के लाखों घर उजाड़ने के लिए सरकार तैयार हो गई थी. जनविरोध होने के बाद सरकार की ओर से एक अध्यादेश लाया गया. लेकिन अध्यादेश में सिर्फ 3 साल के लिए बेदखली की प्रक्रिया निलंबित की गई. 3 साल वाली प्रक्रिया जून 2021 में समाप्त होने वाला हैं. ऐसे में सरकार फिर कोई ना कोई बहाना बनाएगी.

ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड पुलिस के ये कर्मचारी होंगे सम्मानित, देखें लिस्ट

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि ऐसे लाखों लोगों की पहली जरूरत आवास है. लेकिन प्रदेश सरकार इनकी सुरक्षा के लिए कोई भी इंतजाम नहीं कर रही है. वहीं, CPI नेता समर भंडारी का कहना है कि विभिन्न दलों का सरकार पर आरोप है कि सरकार बड़े-बड़े बिल्डरों के हितों में योजनाएं और नीतियां बनाती है. लेकिन मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देती है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड STF का सबसे बड़ा खुलासा, राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले गिरोह का पर्दाफाश

वहीं, विपक्षी दलों ने यह फैसला लिया है कि सरकार इस दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित कर मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूर और गरीबों के आवासों को महफूज करे. अगर प्रदेश सरकार ऐसा नहीं करती है, तो सभी विपक्षी दल और सामाजिक संगठन संयुक्त रूप से मिल कर एक बड़ा आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी.

मुख्य मांगें

  • आश्रय का अधिकार कानूनी हक होना चाहिए.
  • राज्य के सारे शहरों की मलिन बस्तियों का सर्वे कर उनका नक्शा सरकार को घोषित करना चाहिए.
  • अगर पुनर्वास ही होना है, तो प्रभावितों की सहमति से ही पुनर्वास योजना बनें.
  • निर्माण मजदूर कल्याण कोष द्वारा सरकार मजदूरों के लिए हॉस्टलों की स्थापना करें, जहां पर मजदूर नि:शुल्क रह सके और मजदूर चौकियों में छत और बुनियादी सुविधाएं सृजित की जाएं.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.