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उत्तराखंड में कर्मचारियों की नाराजगी किसे पड़ेगी भारी ? BJP-कांग्रेस दोनों से नहीं हैं खुश

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 मार्च को आएंगे. लेकिन उससे पहले बीजेपी-कांग्रेस प्रदेश में जीत का दावा करते दिख रहे हैं. वैसे तो प्रदेश की जनता अपना जनादेश ईवीएम में दे चुकी है, लेकिन इस चुनाव में कर्मचारियों की भूमिका भी बेहद खास रहने वाली है. क्योंकि कर्मचारी लंबे समय से मांगों को लेकर मुखर हैं और सरकार का गणित फेल कर सकते हैं.

Uttarakhand Politics News
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Published : Mar 1, 2022, 9:13 AM IST

Updated : Mar 1, 2022, 9:47 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के परिणामों का इंतजार सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी कर रहे हैं. वैसे तो प्रदेश की जनता अपना जनादेश ईवीएम में दे चुकी है, लेकिन इस चुनाव में कर्मचारियों की भूमिका भी बेहद खास रहने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार कई कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर चुनावों को प्रभावित करने का मन बनाते हुए दिखाई दिए हैं. खास तौर पर पुरानी पेंशन बहाल करने और ग्रेड पे के मुद्दे विभिन्न विधानसभा सीटों पर बड़ा असर डाल सकते हैं.

पुरानी पेंशन और ग्रेड पे बिगाड़ सकते हैं खेल: उत्तराखंड में भाजपा सरकार एक बार फिर सत्ता की सीढ़ी चढ़ने का दावा कर रही है, लेकिन उनकी इस कोशिश में सत्ता विरोधी लहर से लेकर कर्मचारियों की नाराजगी आड़े आती दिख रही है. बात कर्मचारियों के मुद्दों की करें तो इस चुनाव में पुरानी पेंशन बहाल करने से जुड़ा मुद्दा खासा अहम रहा है. एक तरफ पुलिसकर्मी ग्रेड पे के मामले पर भाजपा के खिलाफ दिखाई दिए हैं और पुलिसकर्मियों के परिजनों ने तो खुले रूप से भाजपा का विरोध भी किया है. दूसरी तरफ पुरानी पेंशन बहाली से जुड़ा विषय भी भाजपा के लिए चिंताएं बढ़ा रहा है.

उत्तराखंड में कर्मचारियों की नाराजगी किसे पड़ेगी भारी ?
पढ़ें-हरीश रावत पर BJP नेता का विवादित बयान, कहा- CM पद के लिए ही अटके हैं हरदा के प्राण

BJP सरकार से कर्मचारी नाराज तो कांग्रेस से भी खुश नहीं: लेकिन भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि इस मांग से जुड़े कर्मचारियों में न केवल भाजपा द्वारा उनकी मांगें पूरी ना करने पर आक्रोश है बल्कि कांग्रेस की रणनीति भी उनको पसंद नहीं आ रही है. लिहाजा इससे जुड़े कर्मचारियों ने विधानसभा सीट स्तर पर प्रत्याशियों के रवैये के आधार पर अपना वोट देने की बात कही. उत्तराखंड में 2017 से भाजपा सत्ता संभाले हुए है और लगातार सरकार से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया.

हालांकि कर्मचारियों के रुख और चुनाव में संभावित नुकसान को देखते हुए भाजपा अब दोबारा सरकार आने पर ऐसे कर्मचारियों पर ठोस निर्णय लेने की बात कह रही है, हालांकि भाजपा को भी इल्म है कि कर्मचारी चुनाव में उनका नुकसान कर सकते हैं. लेकिन पार्टी नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर इन कर्मचारियों की नाराजगी के बावजूद वोट मिलने का भी भरोसा है.

कर्मचारियों की मांग: कर्मियों की मांग है कि 2004 के बाद के कर्मियों को भी पेंशन की पुरानी व्यवस्था का लाभ मिले और करीब 80,000 कर्मचारी इससे सीधे प्रभावित हैं. तीन साल से कर्मचारी मांग को लेकर मुखर हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने पर स्पष्ट वादा न होने से भी कर्मचारी नाराज हैं. ग्रेड पे के कारण पहले ही करीब 20,000 पुलिसकर्मी भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कर्मचारी कम अंतर वाली सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के परिणामों का इंतजार सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी कर रहे हैं. वैसे तो प्रदेश की जनता अपना जनादेश ईवीएम में दे चुकी है, लेकिन इस चुनाव में कर्मचारियों की भूमिका भी बेहद खास रहने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार कई कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर चुनावों को प्रभावित करने का मन बनाते हुए दिखाई दिए हैं. खास तौर पर पुरानी पेंशन बहाल करने और ग्रेड पे के मुद्दे विभिन्न विधानसभा सीटों पर बड़ा असर डाल सकते हैं.

पुरानी पेंशन और ग्रेड पे बिगाड़ सकते हैं खेल: उत्तराखंड में भाजपा सरकार एक बार फिर सत्ता की सीढ़ी चढ़ने का दावा कर रही है, लेकिन उनकी इस कोशिश में सत्ता विरोधी लहर से लेकर कर्मचारियों की नाराजगी आड़े आती दिख रही है. बात कर्मचारियों के मुद्दों की करें तो इस चुनाव में पुरानी पेंशन बहाल करने से जुड़ा मुद्दा खासा अहम रहा है. एक तरफ पुलिसकर्मी ग्रेड पे के मामले पर भाजपा के खिलाफ दिखाई दिए हैं और पुलिसकर्मियों के परिजनों ने तो खुले रूप से भाजपा का विरोध भी किया है. दूसरी तरफ पुरानी पेंशन बहाली से जुड़ा विषय भी भाजपा के लिए चिंताएं बढ़ा रहा है.

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BJP सरकार से कर्मचारी नाराज तो कांग्रेस से भी खुश नहीं: लेकिन भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि इस मांग से जुड़े कर्मचारियों में न केवल भाजपा द्वारा उनकी मांगें पूरी ना करने पर आक्रोश है बल्कि कांग्रेस की रणनीति भी उनको पसंद नहीं आ रही है. लिहाजा इससे जुड़े कर्मचारियों ने विधानसभा सीट स्तर पर प्रत्याशियों के रवैये के आधार पर अपना वोट देने की बात कही. उत्तराखंड में 2017 से भाजपा सत्ता संभाले हुए है और लगातार सरकार से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया.

हालांकि कर्मचारियों के रुख और चुनाव में संभावित नुकसान को देखते हुए भाजपा अब दोबारा सरकार आने पर ऐसे कर्मचारियों पर ठोस निर्णय लेने की बात कह रही है, हालांकि भाजपा को भी इल्म है कि कर्मचारी चुनाव में उनका नुकसान कर सकते हैं. लेकिन पार्टी नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर इन कर्मचारियों की नाराजगी के बावजूद वोट मिलने का भी भरोसा है.

कर्मचारियों की मांग: कर्मियों की मांग है कि 2004 के बाद के कर्मियों को भी पेंशन की पुरानी व्यवस्था का लाभ मिले और करीब 80,000 कर्मचारी इससे सीधे प्रभावित हैं. तीन साल से कर्मचारी मांग को लेकर मुखर हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने पर स्पष्ट वादा न होने से भी कर्मचारी नाराज हैं. ग्रेड पे के कारण पहले ही करीब 20,000 पुलिसकर्मी भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कर्मचारी कम अंतर वाली सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं.

Last Updated : Mar 1, 2022, 9:47 AM IST
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