देहरादून: राजधानी में पुलिस प्रणाली किस तरह से छोटे से छोटे बिंदु पर कार्य करे, ताकि कार्यों में कोई त्रुटि नहीं रहे. कई बार ऐसा होता है कि कोई केस सुलझाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ती है. ऐसा पर्याप्त सबूत न जुटा पाने या किसी कानूनी पेंच का ध्यान न रख पाने की वजह से भी होता है. ऐसा आगे से न हो इसलिए देहरादून पुलिस ने एक अनोखा प्रयोग किया. डीआईजी अरुण मोहन जोशी की पहल पर पुलिसकर्मियों को एक फिल्म दिखाई गई. यह फिल्म है सेक्शन 375, जो एक कोर्ट रूम ड्रामा है और कानूनी खींचतान पर आधारित है.
इसका मकसद विवेचनाओं के तौर-तरीकों और कोर्ट में केस की पैरवी के दौरान ध्यान में रखने वाली बातों को बारीकी से समझाना था. पुलिसकर्मियों को एक पिक्चर हॉल में स्पेशल शो चलाकर सेक्शन 375 फिल्म दिखाई गई. इसमें जनपद के विभिन्न थानों में नियुक्त 110 महिला और पुरुष उपनिरीक्षक शामिल हुए.
फिल्म दिखाए जाने का उद्देश्य विवेचना के दौरान की जाने वाली कमियों को पूरा करना और किसी सूचना के प्राप्त होने से लेकर उस पर की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत जानकारी देना था. फिल्म के माध्यम से मौजूद अधिकारियों को अनेक कार्रवाइयों के संबंध में और अधिक जागरूक किया गया.
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डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि कई बार विवेचक मामूली सी बात पर गौर नहीं कर पाते, इसका पता तब चलता है जब वह कोर्ट में केस की पैरवी करने जाते हैं. वहां आरोपी छूट जाता है. इस फिल्म को दिखाने का उद्देश्य है कि जब कोई शख्स थाने में प्राथमिक सूचना लेकर आता है तो उससे क्या-क्या पूछना चाहिए, जिससे केस की विवेचना आसानी से हो जाए.