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अब फिल्मी स्टाइल में केस सॉल्व करेगी पुलिस, जवानों को दिखाई गई 'सेक्शन 375'

देहरादून में पुलिस कर्मियों को सेक्शन 375 फिल्म दिखाई गई. फिल्म के माध्यम से मौजूद अधिकारियों को अनेक कार्रवाइयों के संबंध में और अधिक जागरूक किया गया.

'आर्टिकल 375'
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Published : Jan 30, 2020, 2:36 PM IST

Updated : Jan 30, 2020, 2:47 PM IST

देहरादून: राजधानी में पुलिस प्रणाली किस तरह से छोटे से छोटे बिंदु पर कार्य करे, ताकि कार्यों में कोई त्रुटि नहीं रहे. कई बार ऐसा होता है कि कोई केस सुलझाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ती है. ऐसा पर्याप्त सबूत न जुटा पाने या किसी कानूनी पेंच का ध्यान न रख पाने की वजह से भी होता है. ऐसा आगे से न हो इसलिए देहरादून पुलिस ने एक अनोखा प्रयोग किया. डीआईजी अरुण मोहन जोशी की पहल पर पुलिसकर्मियों को एक फिल्म दिखाई गई. यह फिल्म है सेक्शन 375, जो एक कोर्ट रूम ड्रामा है और कानूनी खींचतान पर आधारित है.

इसका मकसद विवेचनाओं के तौर-तरीकों और कोर्ट में केस की पैरवी के दौरान ध्यान में रखने वाली बातों को बारीकी से समझाना था. पुलिसकर्मियों को एक पिक्चर हॉल में स्पेशल शो चलाकर सेक्शन 375 फिल्म दिखाई गई. इसमें जनपद के विभिन्न थानों में नियुक्त 110 महिला और पुरुष उपनिरीक्षक शामिल हुए.

फिल्म दिखाए जाने का उद्देश्य विवेचना के दौरान की जाने वाली कमियों को पूरा करना और किसी सूचना के प्राप्त होने से लेकर उस पर की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत जानकारी देना था. फिल्म के माध्यम से मौजूद अधिकारियों को अनेक कार्रवाइयों के संबंध में और अधिक जागरूक किया गया.

यह भी पढ़ेंः CM त्रिवेंद्र के आर्थिक सलाहकार बने आलोक भट्ट, इन्हें मिली IT की जिम्मेदारी

डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि कई बार विवेचक मामूली सी बात पर गौर नहीं कर पाते, इसका पता तब चलता है जब वह कोर्ट में केस की पैरवी करने जाते हैं. वहां आरोपी छूट जाता है. इस फिल्म को दिखाने का उद्देश्य है कि जब कोई शख्स थाने में प्राथमिक सूचना लेकर आता है तो उससे क्या-क्या पूछना चाहिए, जिससे केस की विवेचना आसानी से हो जाए.

देहरादून: राजधानी में पुलिस प्रणाली किस तरह से छोटे से छोटे बिंदु पर कार्य करे, ताकि कार्यों में कोई त्रुटि नहीं रहे. कई बार ऐसा होता है कि कोई केस सुलझाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ती है. ऐसा पर्याप्त सबूत न जुटा पाने या किसी कानूनी पेंच का ध्यान न रख पाने की वजह से भी होता है. ऐसा आगे से न हो इसलिए देहरादून पुलिस ने एक अनोखा प्रयोग किया. डीआईजी अरुण मोहन जोशी की पहल पर पुलिसकर्मियों को एक फिल्म दिखाई गई. यह फिल्म है सेक्शन 375, जो एक कोर्ट रूम ड्रामा है और कानूनी खींचतान पर आधारित है.

इसका मकसद विवेचनाओं के तौर-तरीकों और कोर्ट में केस की पैरवी के दौरान ध्यान में रखने वाली बातों को बारीकी से समझाना था. पुलिसकर्मियों को एक पिक्चर हॉल में स्पेशल शो चलाकर सेक्शन 375 फिल्म दिखाई गई. इसमें जनपद के विभिन्न थानों में नियुक्त 110 महिला और पुरुष उपनिरीक्षक शामिल हुए.

फिल्म दिखाए जाने का उद्देश्य विवेचना के दौरान की जाने वाली कमियों को पूरा करना और किसी सूचना के प्राप्त होने से लेकर उस पर की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत जानकारी देना था. फिल्म के माध्यम से मौजूद अधिकारियों को अनेक कार्रवाइयों के संबंध में और अधिक जागरूक किया गया.

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डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि कई बार विवेचक मामूली सी बात पर गौर नहीं कर पाते, इसका पता तब चलता है जब वह कोर्ट में केस की पैरवी करने जाते हैं. वहां आरोपी छूट जाता है. इस फिल्म को दिखाने का उद्देश्य है कि जब कोई शख्स थाने में प्राथमिक सूचना लेकर आता है तो उससे क्या-क्या पूछना चाहिए, जिससे केस की विवेचना आसानी से हो जाए.

Intro:डीआईजी अरुण मोहन जोशी की पहल पर विवेचनाओं के तौर-तरीकों और कोर्ट में केस की पैरवी के दौरान ध्यान में रखने वाली बातों को तरीके से समझाने के लिए पुलिसकर्मियों को बुधवार को 11 बजे एक पिक्चर हॉल में स्पेशल शो चलाकर आर्टिकल 375 दिखाई गई।जनपद के विभिन्न थानों में नियुक्त 110 महिला और पुरुष उप उपनिरीक्षक शामिल हुए।फिल्म दिखाई जाने का उद्देश्य विवेचना के दौरान की जाने वाली कमियों को पूरा करना और किसी सूचना के प्राप्त होने से लेकर उस पर की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत जानकारी के साथ पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान की जाने वाली कमियों को उजागर करना है।फिल्म के माध्यम से मौजूद अधिकारियों को निम्न कार्रवाइयों के संबंध में और अधिक जागरूक किया गया।


Body:फिल्म को दिखाएं जाने का मुख्य उद्देश्य था कि जब थाने पर प्राथमिक सूचना मिलती है तो उस पर पुलिस कर्मियों की तुरंत कार्यवाही क्या होनी चाहिए ओर इन्वेस्टीगेशन के दौरान पुलिसकर्मियों को क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए जिससे कोर्ट में केस ठीक प्रकार से चल सके और अपराधी को सजा मिल सके।साथ ही विवेचना के दौरान रूटीन में ऐसी कौन सी कमियां करते हैं जिससे ऐसे केस कोर्ट में आरोपी छूट जाते हैं।


Conclusion:डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि कई बार विवेचक मामूली से बात पर गौर नहीं कर पाते इसका पता तब चलता है जब वह कोर्ट में केस की पैरवी करने जाते और वहां आरोपी छूट जाता है।इस फिल्म को दिखाने का उद्देश्य है कि जब कोई शख्स थाने पर प्राथमिक सूचना लेकर आता है तो उससे क्या क्या पूछना चाहिए जिससे कि इसकी विवेचना आसान हो जाती है।

विसुल मेल किये है,मेल से उठाने की कृपा करें।
धन्यवाद।
Last Updated : Jan 30, 2020, 2:47 PM IST
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