देहरादून: संभागीय परिवहन अधिकारी (RTO) देहरादून के फर्जी ट्रांसफर मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह को पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में पेश में किया. कोर्ट ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. वहीं अब पुलिस इस मामले में परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर सुधांशु गर्ग से भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही है.
पुलिस ने सुधांशु गर्ग से किए जाने वाले सवालों की लंबी लिस्ट तैयार कर ली है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही सुधांशु गर्ग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि इस खुलासे के बाद से ही उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा है. पुलिस का उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ है. बता दें कि इस मामले की जांच के लिए देहरादून सीओ सिटी शेखर सुयाल के नेतृत्व में एसआईटी की एक टीम गठित की गई थी, जो सुधांशु गर्ग से पूछताछ करेंगी.
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जानकारी के मुताबिक एसआईटी उनसे जो पहला सवाल करें यही हो सकता है कि कैसे उन्होंने शासन में रहते हुए मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह से खुद को आरटीओ पद पर तैनात करने के लिए जाल बुना? दूसरा सवाल क्यों कुलदीप के राजनीतिक रसूख और ऊंचे अधिकारियों से मेलजोल होने के बाद पर हामी भर यह फर्जीवाड़ा का खेल रचा? मुख्य आरोपी और गर्ग के बीच कौन सौदा हुआ जिसके तहत ट्रांसफर होना था? सवाल यह भी उठता है कि क्या देहरादून आरटीओ की कुर्सी बिकती है? क्या इससे पहले भी मुख्य आरोपी ने किसी और का ऐसे काम कराया? एसआईटी हर तरह के वह सवाल परिवहन डिप्टी कमिश्नर सुधांशु गर्ग से पूछेगी जो इस केस से जुड़े हुए हैं. ताकि सुधांशु गर्ग को कानूनी शिकंजे में लेने के लिए सभी साक्ष्य और सबूतों एकत्र कर लिए जाए.
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क्या था मामला
देहरादून आरटीओ में काम करने वाले परमिट इंचार्ज को व्हाट्सएप पर परिवहन संभागीय अधिकारी देहरादून यानी आरटीओ देहरादून के ट्रांसफर का आदेश प्राप्त हुआ. इस आदेश के अनुसार सुधांशु गर्ग को देहरादून का नया आरटीओ बनाया गया था. आदेश की कॉपी बिल्कुल शासन द्वारा जारी होने वाले आदेश की तरह थी. इस पर परिवहन सचिव शैलेश बगोली के हस्ताक्षर थे. जिसके बाद जब देहरादून आरटीओ द्वारा औपचारिक रूप से सचिव परिवहन से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी भी आदेश से मना कर दिया था. इस मामले में पुलिस ने बुधवार को कुलदीप नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया था, जो गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया.