देहरादून: उत्तराखंड के मैदानी जिलों में लंबे समय तैनात दारोगा-इंस्पेक्टर पहाड़ नहीं चढ़ पा रहे हैं. जो दारोगा-इंस्पेक्टर ट्रांसफर एक्ट के तहत अंडर ट्रांसफर लिस्ट में चल रहे हैं, उनको 'बैक टू बैक' थाना-कोतवाली की जिम्मेदारी तोहफे के रूप में मिलती जा रही है. बीते दिन देहरादून जिले में 5 कोतवाल, इंस्पेक्टर के तबादले आदेश की सूची जारी की गई. इसमें दो कोतवाल (इंस्पेक्टर) वो हैं, जो अंडर ट्रांसफर में होने के बावजूद उन्हें नई कोतवाली की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
बता दें कि ट्रांसफर एक्ट नियमावली के मुताबिक पहाड़ चढ़ने वाले आदेश सूची में देहरादून जिले के कुल 5 ऐसे इंस्पेक्टर व कोतवाल हैं जो अंडर ट्रांसफर में चल रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद 2 इंस्पेक्टर को नई कोतवाली की जिम्मेदारी कल ही दी गई है, जबकि इनमें 3 इंस्पेक्टर पहले से अलग-अलग कोतवाली में प्रभारी हैं. वहीं दूसरी तरफ देहरादून जिले के दो ऐसे दारोगा भी हैं, जो अंदर ट्रांसफर में चल रहे हैं, उसके बावजूद उन्हें थानों की जिम्मेदारी पहले से मिली हुई हैं.
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मैदान में तय समय सीमा पूरी होने के बावजूद ट्रांसफर एक्ट दरकिनार
उत्तराखंड में पुलिस ट्रांसफर एक्ट वर्ष 2017 में लागू होने और वर्ष 2018 में संशोधन होने के बावजूद अब तक धरातल पर लागू नहीं हो सका है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. विभागीय जानकारों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह राज्य गठन के बाद से मैदानी इलाकों में तैनात वह दारोगा-इंस्पेक्टर हैं, जो राजनीतिक संरक्षण के चलते 10 साल की तय समय सीमा पूरी होने के बावजूद मैदान से पहाड़ चढ़ने वाले 'ट्रांसफर एक्ट' को लागू नहीं होने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.