देहरादून: प्रदेश के पुराने 125 थानों का कुछ रिकॉर्ड ऑनलाइन किये जा चुके हैं और बाकी का भी जल्द कर दिया जाएगा. साथ ही 34 नए खुले थानों के दस्तावेज भी स्थापना के समय से ऑनलाइन होंगे. वहीं, जब सभी थाने ऑनलाइन हो जायेंगे तो लोग बरसों पुरानी एफआईआर देख सकेंगे.
क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के तहत उत्तराखंड पुलिस का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन होना है. इस के तहत टेंडर के माध्यम से प्राइवेट स्तर पर डाटा एंट्री ऑपरेटर हायर किये जायेंगे ताकि जल्द से जल्द यह काम पूरा कर लिया जाए.
क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम को लागू करने में उत्तराखंड देश मे पांचवां और हिमालय राज्यो में पहले पहला प्रदेश होगा. पुलिस थानों में 2003 से 2019 तक कि एफआईआर, चार्जशीट, जीडी ऑनलाइन हो चुकी है. अब 2003 से लेकर 2019 तक के 25 तरह रिकॉर्ड जैसे गुमशुदगी, इनामी अपराधी, हिस्ट्रीशीटर, पंचायतनामा, लावारिस लाशें, अपराध रजिस्टर और ग्राम अपराध रजिस्टर आदि शामिल हैं.
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वहीं, मैनपावर कम होने के कारण पुलिस ने पुराने रिकॉर्ड को ऑनलाइन करने की ज़िम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को दी है. साथ ही 2003 से 2019 तक का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में करीब एक करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान जताया जा रहा है, बजट की स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस विभाग अब टेंडर के माध्यम से डेटा एंट्री ऑपरेटर जुटाने में लगी हुई है.
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एसटीएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सीसीटीएनएस के तहत उत्तराखंड पुलिस का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन हो जाएगा और टेंडर के जरिये से प्राइवेट स्तर पर डाटा ऑपरेटर रखे जाएंगे. ताकि जल्द जल्द से यह काम पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही 125 थाने ऐसे हैं जिनका रिकॉर्ड 2003 से फीड होना है.