देहरादून: लोकसभा चुनाव के दौरान देहरादून में पुलिस लूटकांड में फंसे आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस जल्द ही विभागीय कार्रवाई कर सकती है. उम्मीद है कि तीनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जा सकता है. इस मामले में पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा गठित अर्द्ध दंड न्यायायिक टीम आरोपियों की सजा पर फैसला ले सकती है.
इस मामले में निलंबित दरोगा के अवकाश पर होने के कारण कुछ औपचारिकताएं लंबित थी. दरोगा के छुट्टी से वापस आने के बाद विभागीय अर्द्ध दंड न्यायायिक टीम (सेमी ज्यूडिशियल) द्वारा सम्भवतः अगले एक हफ्ते में इस पर निर्णय लिया जाएगा.
मामले की जांच कर रही सेमी ज्यूडिशियल टीम को तीनों निलंबित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीसीटीवी फुटेज के अलावा कई और अहम सबूत मिले थे. जिनके आधार पर उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है. इसके बाद उम्मीद की जा रही है तीनों आरोपियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक सकती है.
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हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी जैसी कोई सख्त कार्रवाई न हो इसके लिए पुलिस टीम पर लगातार राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है. जबकि पुलिस मुख्यालय आरोपी पुलिसकर्मियों को सख्त सजा देकर वर्दी पर लगा दाग धोने की कोशिश कर रहा है.
क्या पूरा मामला
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आचार संहिता के दौरान दरोगा दिनेश नेगी, सिपाही हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी पर आरोप लगा था कि आईजी गढ़वाल अजय रौतेला की गाड़ी का इस्तेमाल करके प्रॉपर्टी डीलर से करोड़ों रुपए लूटे थे. तीनों पुलिसकर्मियों ने इस वारदात को देहरादून के राजपुर रोड पर मधुबन होटल के पास अंजाम दिया था. पीड़ित प्रॉपर्टी डीलर ने इस मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. प्रॉपर्टी डीलर की तहरीर पर पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. हालांकि कुछ समय बाद तीनों आरोपी पुलिसकर्मियों की कानूनी प्रक्रिया के तहत जमानत मिल गई थी.
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पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए विभागीय अर्द्ध दंड न्यायायिक टीम (सेमी ज्यूडिशियल) गठित की थी. इस टीम में एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल और एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद्र हैं. जानकारी के मुताबिक टीम ने जांच के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते तक टीम आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई बड़ा फैसला ले सकती है. हालांकि जब इस बारेमें देहरादून एसएसपी अरुण मोहन जोशी से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया.