देहरादून: बीजेपी विधायक महेश नेगी के ब्लैकमेलिंग और दुष्कर्म का मामला सुलझने के बजाय और पेचीदा होता जा रहा है. दोनों पक्षों के आरोप और केस के जुड़े गवाहों के बयानों में विरोधाभास देखने को मिल रहा है. यही कारण है कि अब पुलिस सच्चाई तक पहुंचने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट यानी लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने पर विचार कर रही है.
दरअसल, इस से जुड़े एक पुलिसकर्मी ने कुछ दिनों पहले गवाह के तौर पर जांच अधिकारी के पास बयान दर्ज कराए थे. उसी गवाह का एक कथित ऑडियो वायरल हो रहा है. जिसमें गवाह कह रहा है कि कुछ लोगों ने जबरदस्ती उस पर दबाव बनाकर विधायक के पक्ष में बयान दिलवाया था. हालांकि वायरल ऑडियो की कोई पुष्टि नहीं हुई है. न ही पुलिस के पास इस वायरल ऑडियो के संबंधित कोई शिकायत आई है. इस ऑडियो के वायरल होने के बाद ये केस और पेचीदा होता जा रहा है. ऐसे में पुलिस उलझी हुई इन गुत्थियों की सुलझाने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट का सहारा ले सकती है. ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.
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इस मामले में डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि पुलिस को दोनों पक्षों की तरफ से बयान और साक्ष्य मिले हैं. जिसके आधार पर मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. बावजूद इसके किसी को भी ये लगता है कि बयानों में कुछ जोड़ना जरूरी है तो वो जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर अपने वास्तविक बयानों को दर्ज करा सकता है. हालांकि, अभी तक इस मामले में उनके पास कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आई है.
बता दें कि इस मामले में अभीतक दोनों पक्षों की तरफ से करीब सात से ज्यादा तहरीर पुलिस को मिल चुकी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी जोशी ने दुष्कर्म मामले की जांच का जिम्मा 'स्पेशल इन्वेस्टिगेशन स्क्वाड' (SIS) टीम को दिया है.