मसूरी: कवियत्री महादेवी वर्मा की जयंती पर साहित्य परिषद की ओर से एमपीजी कॉलेज में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने जहां महादेवी के काव्य पर चर्चा की, वहीं अपनी कविताओं के जरिए समाज को संदेश देने का प्रयास किया. वहीं, कवियों ने बसंत ऋतु और होली के गीतों से समा बांध कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया.
आयोजित कवि गोष्ठी में कॉलेज के साहित्य परिषद प्रभारी डॉ. प्रमोद भारतीय ने कवियत्री महादेवी वर्मा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वह हिंदी साहित्य में छायावादी की बड़ी हस्ताक्षर हैं. वो करुणा और संवेदना की कवि थीं. इस अवसर पर कॉलेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश पाल सिंह चैहान ने कहा कि महादेवी वर्मा करुणा, विश्वबंधुत्व की भावना और संवेदनशीला की कवि थी. देहरादून से आए कवि डॉ. राम विनय सिंह ने कहा कि वो हिंदी साहित्य के मंदिर की सरस्वती थीं.
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इस मौके पर उपस्थित अन्य कवियों ने होली सहित अन्य कविताएं सुनाकर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया. अंत में प्रधानाचार्य डॉ. सुनील पंवार ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य की महान कवियत्री महादेवी की जयंती के अवसर पर कोरोना महामारी की वजह से कॉलेज में काव्य अन्य कोई गतिविधियां नहीं हो पा रही थी. फिर भी कवि गोष्ठी का आयोजन करने का फैसला लिया गया है, जिसमें सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखा गया है.
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गोष्ठी के आयोजक डॉ. प्रमोद भारतीय ने बताया कि देशभर में फैली कोरोना महामारी की वजह से असंवेदनशील वातावरण बना हुआ है. ऐसे में इस कवि गोष्ठी का आयोजन करने का मकसद लोगों के बीच संवेदनशील वातावरण तैयार करना है. ऐसे में महादेवी वर्मा की जयंती पर इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है. वहीं, कवि डॉ. राम विनय सिहं ने कहा कि महादेवी की जयंती मनाया जाना साहित्य की जन्म जयंती मनाया जाना है. कवियित्री महादेवी वर्मा के भीतर संपूर्ण साहित्य का समन्वित स्वरूप निहित था.